उन दिनों पूरे ग्रामीण इलाके में ग्यारहवीं पास करने वाली लड़की गिरिजा ही थीं। लोग हँसते थे कि देखो मास्टर अपनी लड़की को ‘इंदिरा गां...
पिता शायर थे, जिनकी एक साहित्यिक संस्था थी ‘बज़्म-ए-अदब’ जिसमें शिरकत करने के लिए देश के बड़े-बड़े शायर आया करते थे। ऐसे माहौल में शा...
औपचारिक रूप से सत्रह वर्ष की आयु से लिखना शुरू किया। एक स्थानीय पत्रिका में आलेख छपा था। फिर अनायास ही कविता की ओर मुड़ गई। पहली कव...
पिछले तीन दशकों से भौतिकी, खगोल भौतिकी और सैद्धांतिक भौतिकी विषयों की लगातार सर्वप्रिय प्राध्यापिका की भूमिका निभाती आ रहीं प्रोफे...
वनस्पति शास्त्र के प्राध्यापक पद से सेवानिवृत्त होने के बाद पुष्पा जी अपना पूरा समय औषधीय और विलुप्त होती वनस्पति की प्रजातियों के...
भोपाल की पक्षी विज्ञानी संगीता राजगीर बचपन से ही डॉक्टर बनने की तैयारी कर रही थीं लेकिन जीवन में एक ऐसा मोड़ आया जो उन्हें जंगल की...

