सीमा जी की ज़िंदगी की शुरुआत ही एक नाटक कंपनी चलाने वाले पिता की पहचान के साथ हुई और यही पहचान धीरे-धीरे इन्हें समाज से अलग करने लग...
अक्सर ऐसा होता कि शिक्षक के पढ़ाने से पहले ही गणित के सवाल वे हल कर लिया करती थीं। इसलिए बोर्ड पर सवाल हल करके बताने के लिए उन्हें...
उनके उपन्यास 'सिधपुर की भगतणें’ पर मुम्बई विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने एम.फिल का लघु शोध लिखा है। इसी उपन्यास पर ओडिशा और आंध्र प...
चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने के बाद नंदिनी ने ए.सी.सी.ए. अंतर्राष्ट्रीय परीक्षा में इंडिया में पहली व विश्व में तीसरी रैंक हासिल कर एक...
विवाह के 22 साल बीत जाने के बाद दिसम्बर 1998 में देवलालीकर कला वीथिका इंदौर में एकल प्रदर्शनी लगाई।
बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न अलका जी ने गुड्डे-गुड़ियों से खेलने की उम्र में ही काफी लोकप्रियता बटोर ली थी।