ज़िन्दगीनामा

ज़िन्दगीनामा

नीलेश रघुवंशी

सही मायनों में नीलेश जी ने 1990 के आसपास लिखना शुरू कर दिया था। सबसे पहले तीन कविताएँ जनसत्ता में छपीं। पहली बार छपी उन कविताओं ने...

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उर्मिला शिरीष 

परिवार में कोई लेखन कार्य नहीं करता लेकिन पढ़ने का शौक सभी को था। घर में पुस्तकों का अम्बार लगा हुआ था। पुस्तकों के बीच  रहने के का...

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बाल साहित्य में अलग ही मुकाम है गिरिजा कुलश्रेष्ठ का

उन दिनों पूरे ग्रामीण इलाके में ग्यारहवीं पास करने वाली लड़की गिरिजा ही थीं। लोग हँसते थे कि देखो मास्टर अपनी लड़की को ‘इंदिरा गां...

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अंजुम रहबर

पिता शायर थे, जिनकी एक साहित्यिक संस्था थी ‘बज़्म-ए-अदब’ जिसमें शिरकत करने के लिए देश के बड़े-बड़े शायर आया करते थे। ऐसे माहौल में शा...

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अलकनंदा साने

औपचारिक रूप से सत्रह वर्ष की आयु से लिखना शुरू किया। एक स्थानीय पत्रिका में आलेख छपा था। फिर अनायास ही कविता की ओर मुड़ गई। पहली कव...

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डॉ. उषा कुलश्रेष्ठ

पिछले तीन दशकों से भौतिकी, खगोल भौतिकी और सैद्धांतिक भौतिकी विषयों की लगातार सर्वप्रिय प्राध्यापिका की भूमिका निभाती आ रहीं प्रोफे...