ज़िन्दगीनामा

ज़िन्दगीनामा

अपने पिता की सच्ची उत्तराधिकारी थीं रत्नकुमारी देवी

रत्नकुमारी ने अपने पिता की साहित्यिक, राजनीतिक और सामाजिक विरासत को सरलता से सहेज लिया। एक ओर वे साहित्य सृजन में व्यस्त थीं तो दू...

ज़िन्दगीनामा

मुकदमे के बजाय समझौते के लिए प्रोत्साहित करती थीं शिप्रा शर्मा

जिस दौर में शिप्रा शर्मा न्यायिक सेवा में पहुंची उस समय इक्का दुक्का महिलाएं ही इस क्षेत्र में सक्रिय थीं। 31 साल और 8 महीने के से...

ज़िन्दगीनामा

इंदु मेहता : ऐसी कॉमरेड जो आज़ादी के लिए आखिर तक लड़ती रहीं

सीपीआई की कर्मठ कार्यकर्ता इंदु मेहता ने अपनी किशोरावस्था और जवानी में ही अंग्रेजों की गुलामी से आज़ादी का ख़्वाब अपनी आँखों में सजा...