पखावज एक ऐसा वाद्य है जिसे बजाने में ताकत बहुत लगती है इसलिए इसे ‘पुरुष वाद्य’ माना जाता था। लेकिन इंदौर की चित्रांगना आगले रेशवाल...
उषा मंगेशकर ने अपने करियर की शुरूआत 1954 में वी शांताराम की फिल्म “सुबह का तारा” के गाने “बड़ी धूमधाम से मेरी भाभी आई” से की थी। ग...
ग्वालियर घराने की ख़याल गायकी से ताल्लुक़ रखने वाली मीता अपने परिवार की छठी पीढ़ी से आती हैं। साथ ही वो पंडित ख़ानदान की पहली महिल...
स्वरों की विस्तृत परिधि भावों को दर्शाने में पूर्ण सक्षम कलापिनी के गायन में ग्वालियर घराने की व्यक्तिगत छाप झलकती है।
नीरजा देश के एक सबसे बड़े और सबसे पुराने औद्योगिक घराने की बहू हैं, लेकिन उनकी पहचान समाजसेवी के रूप में है।
शुरू से ही सामाजिक कार्य में रुचि के कारण मेधा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, मुबंई से 1976 में समाज सेवा की मास्टर डिग्री हासिल...