समाजसेवी ही नहीं संगीत प्रेमी भी हैं नीरजा बिड़ला

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समाजसेवी ही नहीं संगीत प्रेमी भी हैं नीरजा बिड़ला

छाया: दी इकॉनोमिक टाइम्स 

विशिष्ट महिला 

मध्यप्रदेश की बेटी नीरजा देश के एक सबसे बड़े और सबसे पुराने औद्योगिक घराने की बहू हैं, लेकिन उनकी पहचान समाजसेवी के रूप में है। उनका का जन्म इंदौर के एक सुप्रसिद्ध औद्योगिक घराने में हुआ। उनके पिता शम्भू कासलीवाल वस्त्र निर्माता कंपनी एस कुमार्स के संस्थापक हैं। अपने घर का नाम उन्होंने ‘नीरजा विला’ बेटी के नाम पर ही रखा। मात्र 18 साल की उम्र में 1989 में उनका ब्याह आदित्य बिरला के बेटे कुमार मंगलम (22) के साथ हो गया, जिसके बाद दोनों आगे उच्च शिक्षा के लिए लंदन चले गए।कुमार ने जहाँ एम बी ए किया वहीँ नीरजा ने डर्बी विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान की डिग्री हासिल की। नीरजा की प्राथमिक शिक्षा केरल में हुई थी। आम मध्यमवर्गीय लड़की की तरह उन ने भी बचपन में खूब मस्ती की। रेल के दूसरे दर्जे और बस में सफर किया। लेकिन एक बड़े औद्योगिक घराने में विवाह होने के बाद उनकी जिंदगी ही बदल गई। सामाजिक सरोकारों और मूल्यों से उनका सीधा वास्ता हो गया।

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वर्ष 2016 में नीरजा ने एमपावर’ संस्था की स्थापना की, जिसके जरिए उन्होंने  लोगों में अवसाद के कारणों का बारीकी से विश्लेषण किया है। उनके अनुसार भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में डिप्रेशन और एनज़ाइटी चिंता का विषय बन गए हैं। प्राइवेट सेक्टर में लगभग 42.5% प्रतिशत लोग डिप्रेसिव डिसॉर्डर का शिकार हैं। कर्मचारियों में बढ़ते डिप्रेशन की वजह से 2030 तक उद्योग जगत को अरबों रुपये का नुकसान होना तय है। एमपॉवर डिप्रेशन की समस्या को दूर करने के लिए कई चरणों में काम करता है. ये डिप्रेशन के शिकार लोगों को सोशल कॉम्यूनिकेशन के लिए स्पेस देता है, ताकि लोग अपनी समस्या के बारे में खुलकर बात कर सकें। दूसरा, क्लिनिकल सर्विसेज के जरिए लोगों को डिप्रेशन से बाहर निकालने का प्रयास किया जाता है। कोरोना काल में मानसिक अवसाद से जूझ रहे लोगों के लिए उन्होंने विशेष हेल्पलाइन स्थापित की, जिसमें 40 हज़ार से भी ज़्यादा कॉल्स आए।

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नीरजा का गहरा जुड़ाव अनेक अन्य संस्थाओं से भी है। वे आदित्य बिरला वर्ल्ड अकादमी और आदित्य बिरला इंटीग्रेटेड स्कूल की अध्यक्ष हैं। बेंगलुरु में सरला बिरला अकादमी का निर्माण उन्होंने करवाया और वे इसके प्रशासकीय मंडल की उपाध्यक्ष हैं। हाल ही में उन्होंने आदित्य बिरला एजुकेशन अकादमी की स्थापना की है। वे ‘प्रथम’ संस्था और ‘मेक अ विश’ फ़ाउंडेशन के संचालक मंडल की सदस्य हैं। मुक्तांगन, सेव द चिल्ड्रन और सेवा सदन नामक संस्थाओं को नीरजा का संरक्षण प्राप्त है। राष्ट्रीय स्तर के व्यापारिक संगठन फ़िक्की की महिला शाखा – फ़िक्की-एफ़ एल ओ सम्भवा ने नीरजा को उत्कृष्टता सम्मान से नवाजा है, जबकि 2017 में हैलो पत्रिका ने उनके सामाजिक योगदान के लिए उन्हें हॉल ऑफ़ फ़ेम सम्मान दिया। इसी साल न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने उन्हें “देवी” सम्मान प्रदान किया।

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दो पुत्रियों – अनन्याश्री, अद्वैतिशा और एक पुत्र आर्यमान विक्रम की मां नीरजा ने उनके मन में यह बात कभी आने ही नहीं दी कि वे बड़े औद्योगिक घराने के बच्चे हैं।  परिवार की सारी ज़िम्मेदारी संभालने के साथ नीरजा ने एक महत्वपूर्ण काम यह किया कि उन्होंने अपने पति और बच्चों को संगीत प्रेमी बना दिया। पति कुमारमंगलम और बेटा आर्यमान दोनों को उसने अच्छा गायक बना दिया। वे कहती हैं कि संगीत न केवल थकान मिटाता है, बल्कि मनुष्य को आध्यात्मिक ऊंचाई तक ले जाता है। उन्होंने संगीत अकादमी के सहयोग से रामायण पर लघु नृत्य नाटिका तैयार की, जिसे दर्शकों ने काफी सराहा। नीरजा का संगीत प्रेम सिर्फ भारतीय संगीत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वे रॉक, जैज़ की भी प्रशंसक हैं। अपने साथ-साथ वह पूरे परिवार को संगीत सुनने के लिए प्रेरित करती हैं। आरडी बर्मन उनके पसंदीदा संगीतकार है। खाली समय में वे वाद्ययंत्रों पर भी हाथ आजमाती हैं। संतूर उनका प्रिय वाद्य यंत्र है। वे पियानो, सितार जैसे साजों को भी बजाना जानती है। उनकी दिलचस्पी मैदानी खेलों, पर्यटन, नृत्यकला और बाग़वानी में भी है।

संदर्भ स्रोत – मध्यप्रदेश महिला संदर्भ

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