उनके बचपन का नाम रानी था। बड़े भाई भगवती ने उनका नाम क्रांति रखा , क्योंकि उस समय चारों ओर क्रांति का वातावरण था।
ज़िंदगी में आने वाले उतार-चढ़ाव से हार मानने की जगह जब व्यक्ति उससे लड़ता है और एक नई परिभाषा लिखता है,
दस-बारह बरस की आयु से ही उन्होंने लिखना शुरू कर दिया था। 1951-52 के मध्य उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी, जो कि हिंदी में थी ।
प्रधानमंत्री निवास में वे बेरोकटक पहुंच जाया करती थीं। वे तीन बार सागर से तथा एक बार दमोह से सांसद रहीं।
हमारे देश में ट्रक-बस जैसे भारी वाहन चलाना पुरुषों के ही बूते की बात मानी जाती है, लेकिन भोपाल की योगिता रघुवंशी ने इसे ग़लत साबित...
देश में महिलाओं के लिए विज्ञान में पीएचडी के द्वार खोलने वाली प्रथम भारतीय महिला सुविख्यात जैव रसायनशास्त्री कमला भागवत सोहोनी का...

