इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि 27 वर्षीय युवती के अपनी पसंद से विवाह करने पर परिवार की आपत्ति तिरस्कार योग्य है। किसी भी वयस्क को अपनी पसंद के जीवनसाथी के चुनाव का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। यह टिप्पणी कर कोर्ट ने युवती को संरक्षण प्रदान करते हुए उसके परिवार की ओर से विवाह के फैसले में हस्तक्षेप की कड़ी निंदा की। साथ ही युवती की ओर से दर्ज कराए मुकदमे को रद्द कराने पहुंचे परिजनों की अगले आदेश तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने मिर्जापुर निवासी व तीन अन्य की याचिका पर दिया है। मिर्जापुर के चिल्ह थाने में युवती ने अपने परिजनों और तीन अन्य पर मुकदमा दर्ज कराया है। आरोप लगाया है कि अपनी पसंद के युवक से विवाह करने पर उसे अपहरण की धमकी दी जा रही है। दर्ज मुकदमे को रद्द करने के लिए परिजनों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर रोक लगाई है, लेकिन साथ ही उन्हें युवती के जीवन में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से सख्ती से मना किया है। अदालत ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा, याचिकाकर्ता चौथे प्रतिवादी (महिला) से न तो सीधे और न ही किसी माध्यम से संपर्क करेंगे। इसके साथ ही राज्य सरकार व अन्य प्राधिकरणों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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