करिश्मा यादव

blog-img

करिश्मा यादव

छाया : स्व संप्रेषित

• सारिका ठाकुर 

खिलाड़ी-हॉकी

मध्यप्रदेश महिला हॉकी में प्रदेश को गौरवान्वित करने वाली खिलाड़ी करिश्मा यादव का जन्म ग्वालियर में 25 दिसंबर 1997 में हुआ था। उनके पिता विक्रम सिंह यादव ट्रांसपोर्ट व्यवसायी हैं और कृषक भी,जबकि माँ श्रीमती यादव गृहिणी हैं। करिश्मा अपने माता-माता की तीसरी संतान हैं।

उनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर में किडीज़ कॉर्नर स्कूल से हुई। वर्ष 2015 में उन्होंने 12 वीं उत्तीर्ण की। अमूमन ज़िंदगी के इस मुक़ाम पर युवा अपनी दिशा तय करते हैं, लेकिन करिश्मा का करियर का 2009 में ही तय हो गया था। दरअसल ग्वालियर में स्थित मध्यप्रदेश हॉकी अकादमी की वजह से वहाँ के बच्चों में यह विश्वास पैदा हुआ कि खेल में भी भविष्य है। ख़ासतौर पर हॉकी ग्वालियर और उसके आसपास के क्षेत्रों में पसंदीदा खेल बन चुका है। करिश्मा की सहेलियां दर्पण मिनी स्टेडियम द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन खेल शिविर में हिस्सा ले रही थीं, उन्हें देखकर वे भी साथ चली गईं।

इन्हें भी पढ़िये -

ज्योति रात्रे

उन्हें हॉकी में इतना मजा आया कि ग्रीष्मकालीन शिविर समाप्त होने के बाद वर्ष 2010 से वह अकादमी जाने लगीं। कोच उनकी प्रतिभा से अत्यंत प्रभावित थे, जल्द ही वह जूनियर टीम के लिए चुन ली गईं। मध्यप्रदेश हॉकी अकादमी में खिलाड़ियों के लिए हॉस्टल की व्यवस्था है। करिश्मा ने भी घर के बजाय हॉस्टल को चुना और खेल के साथ अपने स्कूल की शिक्षा भी पूरी की। 2011 तक वह टूर्नामेंट के लिए तैयार हो चुकी थीं। उसी वर्ष उन्होंने अकादमी की ओर से पहला मैच खेला, फिर सब जूनियर टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा, हालाँकि बारहवीं के बाद आगे की पढ़ाई वह जारी नहीं रख सकीं, जिसका उन्हें कोई मलाल नहीं है। वर्तमान में करिश्मा अकादमी में ही रहकर खेल का अभ्यास कर रही हैं, यद्यपि भारत-ओमान रिफ़ाइनरी अर्ध शासकीय कंपनी में वे अपनी सेवाएं भी दे रही हैं।

इन्हें भी पढ़िये -

मेघा परमार

उपलब्धियां

1. 19 वां नेहरू गर्ल्स हॉकी टूर्नामेंट-2012 दिल्ली : स्वर्ण पदक

2. 18 वां नेहरू गर्ल्स हॉकी टूर्नामेंट-2011 ग्वालियर(मध्यप्रदेश) : रजत पदक

3. प्रथम सब जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप-2011 राजनांदगांव(छत्तीसगढ़) : स्वर्ण पदक

4. 19 वां नेहरू गर्ल्स हॉकी टूर्नामेंट दिल्ली 2012 : स्वर्ण पदक

5.  द्वितीय सब जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप-2012 रोहतक (हरियाणा): स्वर्ण पदक

6.  20 वीं नेहरू गर्ल्स हॉकी टूर्नामेंट-2013 दिल्ली: रजत पदक

7.  तृतीय वेस्ट जोन सब जूनियर -2013 (मुंबई में आयोजित) : बेस्ट मिड फील्डर  अवार्ड

8.  तृतीय सब जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप -2013 भोपाल (मप्र) : रजत पदक

9.  21 वीं नेहरू गर्ल्स हॉकी टूर्नामेंट -2014 दिल्ली :  कांस्य पदक

10.  4थी जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप-2014, मैसूर( कर्नाटक) :   रजत पदक

11.  39 वीं राष्ट्रीय महिला खेल प्रतियोगिता-2014, हैदराबाद(आंध्र प्रदेश) : रजत पदक

12.  मध्यप्रदेश शासन द्वारा एकलव्य अवार्ड -2015

13.  6वीं सीनियर नेशनल चैम्पियनशिप-2016, बेंगलुरु, कर्नाटक : कांस्य पदक

14.  अखिल भारतीय विजया राजे सिंधिया गोल्ड कप टूर्नामेंट-2018 (बेस्ट मिड फील्डर अवार्ड)

15.  अखिलभारतीय महिला हॉकी टूर्नामेंट -2019 (बेस्ट मिडफील्डर अवार्ड)

16. मध्यप्रदेश शासन द्वारा विक्रम अवार्ड-2019

17. 9वीं सीनियर नेशनल चैम्पियनशिप-2019, हिसार, हरियाणा : रजत पदक

18. 10वीं सीनियर नेशनल चैम्पियनशिप -2020, कोल्लम(केरल) : कांस्य पदक

19. 9वीं सीनियर नेशनल चैम्पियनशिप-2019, हिसार, हरियाणा : रजत पदक

अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट

1. जिन्चोंग में आयोजित सीनियर कोरिया टेस्ट सीरिज़ -2019

2. कुआलालंपुर में आयोजित सीनियर मलेशिया टेस्ट सीरिज़ -2019

3. मर्सिया में आयोजित सीनियर स्पेन सीरिज़ -2019

4. बेल्जियम में आयोजित 6वीं महिला राष्ट्र टूर्नामेंट-2018 (रजत पदक)

5. नीदरलैंड में आयोजित नीदरलैंड टेस्ट सीरिज़ -2017

6. मेलबॉर्न में आयोजित ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरिज़ -2016

7. स्पेन में आयोजित पाँचवीं जूनियर राष्ट्रीय टूर्नामेंट -2016

8. जूनियर न्यूज़ीलैंड टेस्ट सीरिज़ -2014

 संदर्भ स्रोत – स्व संप्रेषित एवं करिश्मा जी से सारिका ठाकुर की  बातचीत पर आधारित 

© मीडियाटिक

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



बैसाखी के साथ बुलंद इरादों वाली सरपंच सुनीता भलावी
ज़िन्दगीनामा

बैसाखी के साथ बुलंद इरादों वाली सरपंच सुनीता भलावी

सुनीता भलावी ने अपने शानदार प्रदर्शन से साबित कर दिया कि इरादे पक्के हों तो विकलांगता कभी आड़े नहीं आ सकती।

कांता बहन : जिनके जज़्बे ने बदल
ज़िन्दगीनामा

कांता बहन : जिनके जज़्बे ने बदल , दी आदिवासी लड़कियों की तक़दीर

शुरुआती दौर में तो आदिवासी उन पर भरोसा ही नहीं करते थे। संपर्क के लिये जब वे गाँव में पहुँचती तो महिलाएं देखते ही दरवाजा...

सीमा कपूर : उसूलों से समझौता किये
ज़िन्दगीनामा

सीमा कपूर : उसूलों से समझौता किये , बगैर जिसने हासिल किया मुकाम

सीमा जी की ज़िंदगी की शुरुआत ही एक नाटक कंपनी चलाने वाले पिता की पहचान के साथ हुई और यही पहचान धीरे-धीरे इन्हें समाज से अ...

एक साथ दस सैटेलाइट संभालती
ज़िन्दगीनामा

एक साथ दस सैटेलाइट संभालती , हैं इसरो वैज्ञानिक प्रभा तोमर

अक्सर ऐसा होता कि शिक्षक के पढ़ाने से पहले ही गणित के सवाल वे हल कर लिया करती थीं। इसलिए बोर्ड पर सवाल हल करके बताने के ल...

लिखना ज़रूरी है क्योंकि जो रचेगा, वो बचेगा : डॉ.लक्ष्मी शर्मा
ज़िन्दगीनामा

लिखना ज़रूरी है क्योंकि जो रचेगा, वो बचेगा : डॉ.लक्ष्मी शर्मा

उनके उपन्यास 'सिधपुर की भगतणें’ पर मुम्बई विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने एम.फिल का लघु शोध लिखा है। इसी उपन्यास पर ओडिशा...