उम्र और निराशा को हराकर आसमान छूने वाली मालती इंदौरिया

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उम्र और निराशा को हराकर आसमान छूने वाली मालती इंदौरिया

छाया : स्व संप्रेषित  

• सीमा चौबे 

'मेरी मंज़िल कठिन है, मुश्किलों से कह दो मेरा हौसला बड़ा है' - यह पंक्ति 65 वर्ष की उम्र में मैराथन और साइकिलिंग (Marathons and cycling) कर रहीं भोपाल की मालती इंदौरिया (Malti Indoria) पर सटीक बैठती है। साइकिल को सेहत से आगे जन-जागरूकता और सामाजिक प्रेरणा का माध्यम बनाने वाली मालती जी उम्र बढ़ने और दौड़ने के बारे में लोगों की सोच को भी बदल रही हैं, लेकिन घरेलू महिला से वर्ल्ड रिकॉर्ड (World Record) तक पहुंचने का उनका यह सफर चुनौतियों और काफी मुश्किलों भरा रहा। 

हरियाणा के अंबाला में 1961 में पं. भगवत दयाल शर्मा (Pt. Bhagwat Dayal Sharma) और सावित्री देवी शर्मा के घर जन्मी महादेवी (शादी के बाद मालती) बचपन से ही अलग मिजाज़ की रहीं। ‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम’ में सक्रिय रहे उनके पिता कार्यकर्ताओं के बीच ‘पण्डित जी’ के नाम से प्रसिद्ध थे। मालती जी के जन्म के समय वे हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री (Chief Minister) थे। इसके बाद 1977 को उड़ीसा के राज्यपाल (Governor) बनाये गए। 1980 से 1984 तक वे मध्यप्रदेश के भी राज्यपाल रहे। 

तीन भाई और तीन बहनों में पांचवें नम्बर की मालती की शिक्षा चंडीगढ़, दिल्ली, बिरला विद्यापीठ-पिलानी, भुवनेश्वर-उड़ीसा और भोपाल से हुई। वे पढ़ाई में औसत थीं, लेकिन खेल के मैदान में उनका कोई सानी नहीं था। वे स्कूल में जिम्नास्टिक, मलखंभ, हॉर्स राइडिंग (Gymnastics, Mallakhamb, Horse Riding) जैसे खेल में शामिल रहीं। सरदार पटेल स्कूल-दिल्ली में स्कूल, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मलखंभ करने वाली एकमात्र महिला के रूप में एक मिसाल कायम की। स्कूल में सब उन्हें 'मलखंभ गर्ल' ('Malakhamb Girl') के नाम से बुलाते थे। ख़ास बात यह कि उस स्कूल में उनके पहले और बाद में किसी और लड़की ने मलखंभ नहीं किया। मालती जी हॉकी की राष्ट्रीय खिलाड़ी और एथलीट (National Hockey Players and Athlete) भी रहीं और कई चैम्पियनशिप उन्होंने जीतीं। लेकिन वे खेल तक ही सीमित नहीं रहीं, उन्होंने कविता पाठ, ओडिसी और हरियाणवी नृत्य में भी अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। 

भोपाल आने के बाद 11वीं कक्षा के लिए मालती जी का दाखिला कमला नेहरू स्कूल  (Kamla Nehru School) में करवा दिया गया, लेकिन खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने का सपना संजो रहीं मालती जी के लिए नियति को कुछ और ही मंजूर था। 11वीं में आते ही उनका रिश्ता तय कर दिया गया और 1981 में जब वे महज 19 साल की थी, तब  ग्रीन पार्क कॉलोनी, भोपाल के श्री अनिल इन्दौरिया से शादी हो गई। यह सब इतना अचानक हुआ कि उन्हें कुछ समझ नहीं आया। 

वे बताती हैं दरअसल यह रिश्ता उनकी बड़ी बहन के लिए आया था, लेकिन लड़के की उम्र जब कम निकली तो तय हुआ कि छोटी बेटी यानी मालती की उस लड़के से मंगनी कर दी जाये और विवाह ग्रेजुएशन के बाद किया जाये, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उनके पिता - जिन्हें वे बाऊ जी कहती थीं, बेहद सख्त मिजाज और पुराने ख्यालों वाले थे, घर में उनके ही फ़ैसले सर्वोपरि हुआ करते थे। पढ़ाई के अलावा बच्चों पर तमाम तरह की पाबंदियां थीं, यहाँ तक कि घर में टीवी होते हुए कोई टीवी नहीं देख सकता था। फिल्मों-थियेटर की बात करना तो दूर की बात थी। 

सगाई तय होने के बाद मालती जी मप्र जूनियर हॉकी टीम की तरफ से नेशनल खेलने त्रिवेंद्रम गईं। इस बीच 26 फरवरी 1981 को उनकी माँ का निधन हो गया। बड़ी बहन के विवाह की (6 मई 1981) तारीख तय होते आनन फानन में बाउजी ने अर्जुन सिंह जी और उनकी पत्नी के साथ मिलकर मालती के विवाह की तारीख भी (17 मई) तय कर दी। कहा गया कि बाऊ जी को बाईपास सर्जरी के लिए अमेरिका जाना है, तो तुम्हारी देखभाल कौन करेगा? मालती बताती हैं बाऊ जी के निर्णय पर आपत्ति जताने का सवाल ही नहीं था। मैं अपने जीवन में बहुत कुछ करना चाहती थी, खेल के अलावा मुझे फ़िल्में देखने और अभिनय का भी शौक था, लेकिन पिताजी की सख्ती के आगे सारे ख्वाब अधूरे ही रह गये। 

शादी के समय अनिल जी बी.कॉम. कर रहे थे। शादी के बाद उन्होंने एम.कॉम. और एल.एल. बी. किया। बाद में उन्होंने कई तरह के कारोबार में हाथ आजमाया। ससुराल में जब मालती जी ने आगे पढ़ने की इच्छा जताई तो सासू माँ ने यह कहकर मना कर दिया  कि हमें तुमसे नौकरी नहीं करवानी है, तुम तो अपनी घर-गृहस्थी संभालो। तीन वर्ष के अंतराल में मालती दो बच्चों की मां भी बन गई, लेकिन दिल में खेलने की कसक बनी रहीं। लम्बे अंतराल के बाद 1991 में तीसरी संतान के रूप में बेटी का जन्म हुआ। उनका जीवन चूल्हे-चौके तक सिमटकर रह गया। इन हालात में उन्हें अवसाद होने लगा। यह दौर लंबे समय तक चला। नतीजा, 30 की उम्र में ही उन्हें कई शारीरिक दिक्कतें होने लगीं। सर्वाइकल के कारण शरीर के दाहिने हिस्से (पैर और हाथ) सुन्न पड़ गए। डॉक्टर ने कहा- वे अब चल फिर नहीं सकती। मालती शरीर से ज्यादा मानसिक तौर पर टूट चुकी थी। उन्हें अपनी जिंदगी बोझ लगने लगी। जीवन के प्रति नकारात्मकता इतनी बढ़ गई कि आत्महत्या के ख्याल आने लगे। उन्होंने दो बार आत्महत्या की कोशिश भी की। 

मालती के पिता, बेटी के इस कदम से बहुत नाराज़ हुए लेकिन मुश्किल के इस दौर में उन्होंने ही उनके जीवन में आशा की उम्मीद जगाई और एक नई जिंदगी दी। मालती जी की  एक सहेली भी इस काम में मददगार रहीं। वे स्कूल में एथलीट थी और योग भी करवाती थी। पिता जी और सहेली ने मालती जी को पुराने दिन याद दिलाते हुए उनका हौसला बढाया। धीरे-धीरे मालती जी ने योगासन करना शुरू किया, जिसके नतीजे एक हफ्ते में ही दिखने लगे। एक बार उन्होंने खुद से ही बिस्तर से उठने की कोशिश की। चक्रासन भी किया, तो खुद पर आत्मविश्वास बढ़ा। 

अब वे कुछ अलग करना चाहती थी, इसी बीच उन्हें बच्चों के स्कूल में मदर रेस में शामिल होने का अवसर मिला। उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया फिर तो यह सिलसिला चल निकला। अब वे शहर में होने वाली मैराथन में भी शिरकत करने लगीं। उन्होंने भोपाल मैराथन में भाग लिया। और 11 किमी की दौड़ पूरी की।

एक दिन फेसबुक पर ‘हेल्थ क्वीन इंडिया 2018’ (health queen india 2018) के बारे में पढ़ा और ठान लिया कि लाल कालीन पर चलने का शौक अब पूरा करना है। उन्होंने बड़ी बेटी, बहन, पोती और अपनी एक दोस्त पूजा जोशी की मदद से हेल्थ क्वीन इंडिया में हिस्सा लिया, हालांकि इस निर्णय पर उन्हें परिवार की नाराज़गी भी झेलनी पड़ी। 58 वर्ष की उम्र में उन्होंने गुड़गाँव में ‘ब्यूटी विद ब्रेन’ का टाइटल जीत नया मुकाम हासिल किया। इस टाइटल और मैराथन में मिले मेडल से उनके सपनों को पंख मिले। मैराथन में 11 किमी के बाद 21 और फिर 42 किमी की दौड़ उन्होंने पूरी की। 2011 में आयरन मेन प्रवीण सपकाल जब इंदौर से दौड़ते हुए भोपाल आ रहे थे, तब मालती उनके साथ सीहोर से भोपाल तक शामिल रहीं। 

वे कहती हैं “मैं हमेशा से 'रेड कारपेट' (Red Carpet) पर चलना चाहती थी। मन तो था फिल्मों में अभिनय (Acting) करूं, लेकिन जिस घर में फ़िल्में तक देखने की मनाही हो, वहां मॉडलिंग (Modeling) के बारे में सोचना भी गुनाह था, तो यह शौक कोने में कहीं दबा रह गया। हालांकि फिल्मों में अभिनय करने की उनकी हसरत भी पूरी हो गई जब उन्हें  सोनी इंटरटेनमेंट (sony entertainment) चैनल के सीरियल ‘एक दूजे के वास्ते पार्ट -2’ (Serial 'Ek Duje Ke Vaaste Part 2') तथा फिल्म ‘नमस्ते सर’ (NAMSTE SIR) में काम करने का अवसर मिला। धारावाहिक में वे टीचर और फिल्म में प्रिंसिपल की छोटी सी भूमिका में नजर आई। 

सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था, इसी बीच कमर में दर्द बढ़ा और डॉ. ने एक बार फिर उन्हें आराम करने की सलाह देते हुए दौड़ना बंद करने की हिदायत दी, लेकिन मालती अब रुकने और हार मानने वालों में से नहीं थी। अबकी बार उन्होंने साइकिल चलाने का मन बनाया। 14 फरवरी 2021 को खुद के लिए गियर वाली साइकिल खरीदी और तीसरे ही दिन घर में बिना बताये दोस्त के साथ सीहोर चिंतामन गणेश पहुँच गई। इसके बाद उन्होंने ‘भोपाल बाइसिकल राइडर्स’ (Bhopal Bicycle Riders) ग्रुप ज्वाइन कर लिया। 

मालती जी ‘रन भोपाल रन’ (run bhopal run) संस्था और 'सायरन्स क्लब' अहमदाबाद (Sirens Club, Ahmedabad) की एम्बेसडर (Ambassador) हैं। 'सायरन्स क्लब' द्वारा प्रतिवर्ष 1 जनवरी से लेकर 31 दिसम्बर तक साल की संख्या के हिसाब से रनिंग (RUNNING)  का लक्ष्य दिया जाता है। 2021 में कोरोना लॉकडाउन के दौरान 2021 किलोमीटर रनिंग के लक्ष्य को उन्होंने घर पर ही पूरा किया। इसके लिए वे रात 3 बजे उठ जाती और घर के बगीचे में दौड़ लगातीं। वे रोजाना करीब 10 किलोमीटर तक दौड़ती थीं। 2021 से लेकर अभी तक 12 हजार किमी साइकिलिंग कर चुकी मालती का लक्ष्य अब दिसम्बर तक 2025 किमी रनिंग (वॉकिंग/साइकिलिंग/रनिंगWalking/Cycling/Running) करना है। इसी वर्ष विवाह के 44 पूरे होने पर उन्होंने 44 किमी साइकिलिंग कर उसे पति को समर्पित किया।

उन्होंने बेंगलुरु स्थित अक्षर योग केंद्र (Akshar Yoga Center) से टीचर्स ट्रेनिंग कोर्स भी किया। वर्ष 2022 में अक्षर योग अनुसंधान केंद्र ने धनुरासन में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness World Record) बनाया। यहाँ 62 की उम्र में मालती जी सामूहिक रूप से दो मिनट तक धनुरासन और चक्रासन कर गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने वाली टीम का हिस्सा बनीं। 

प्रतिदिन 20 किलोमीटर साइकिलिंग करने वाली मालती भोपाल से उज्जैन तक साइकिल यात्रा कर चुकी हैं। साइकिलिंग संस्कृति की एक मजबूत स्तंभ बन चुकी मालती अब आमजन में स्वास्थ्य, पर्यावरण, नशामुक्ति, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के प्रति संवेदनशीलता जगा रहीं हैं। पिछले 6-7 साल से क्राफ्टिंग का काम करने के साथ ही वे साइकिलिंग के दौरान जन जागरूकता के लिए अपने हाथ से बने बुक मार्क्स भी साथ रखती हैं और जहाँ भी उन्हें कोई बिना हेलमेट दोपहिया वाहन चलाते या सिगरेट पीते हुए दिखता है, उन्हें बुक मार्क्स थमा देती हैं। 

मालती जी कहती हैं जब डॉक्टर ने पूरी तरह आराम करने की सलाह दी, उस समय मेरी तीनों पोतियों दीवा, चित्राक्षी और कुहू ने मुझे फिर से जीने के लिए प्रेरित किया। कोई आसन नहीं बनता, तो चित्राक्षी मुझे सिखाती हैं। इसलिये मैं अब कई कठिन आसन भी करने लगी हूँ । वे बताती हैं घर में हमारी टोली को ‘हम चार’ नाम दिया गया है। 

उनकी दिनचर्या की बात करें तो वो सर्दी हो या गर्मी सुबह 5 बजे उठ जाती हैं। घर के सारे काम भी खुद ही करतीं हैं। 64 की उम्र में भी वे उसी जोश-खरोश के साथ नियमित साइकिल चलाती हैं। उनसे प्रोत्साहित होकर परिवार के कुछ लोगों ने भी साइकिल चलाना शुरू किया है। उनका बेटा चंदन साइकिल से ही काम पर जाता है। 

थैलीसिमिया पीड़ित बच्चों के लिए पहले कई बार रक्तदान कर चुकी मालती जी ने अंगदान का संकल्प लिया है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो अगले वर्ष उनका इरादा साइकिल से ‘नर्मदा यात्रा’ करने का है। उनके जीवनसाथी अनिल जी आभूषणों के कारोबारी हैं। बेटा चंदन आईटी कन्सल्टेंट है और दोनों बेटियां चारुलता और तनुश्री अपनी-अपनी गृहस्थी में व्यस्त हैं। 

उपलब्धियां 

• 1971 : सरदार पटेल विद्यालय दिल्ली से स्कूल, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मलखंभ प्रदर्शन करने वाली अब तक की एकमात्र महिला

• 1975 : जूनियर चैंपियन-पेंटा चैलेंज (पंच स्पर्धा) 100 मीटर, डिस्कस थ्रो, लॉन्ग जंप, हाई जंप और 4x100 मीटर रिले विजेता

• 1975-76 : 50 मीटर रस्सी कूद और 75 मीटर दौड़ में रजत पदक-, बिरला बालिका विद्यापीठ, पिलानी

• 1976 : सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान किए गए अच्छे कार्य के लिए दिल्ली पुलिस की ओर से प्रशंसा पत्र

• 77-78 : विजेता-हॉकी (राष्ट्रीय स्तर) केन्द्रीय विद्यालय संगठन-भुवनेश्वर, उपविजेता-वॉलीबॉल (राष्ट्रीय स्तर) केन्द्रीय विद्यालय संगठन-भुवनेश्वर, रजत पदक 4x100 मीटर रिले रेस, रजत पदक- 100 मीटर दौड़, स्वर्ण पदक – हाई जम्प

• 1980 : XVII जूनियर महिला राष्ट्रीय हॉकी चैम्पियनशिप में मध्य प्रदेश राज्य का प्रतिनिधित्व

• 2018: सौंदर्य प्रतियोगिता ‘हेल्थ क्वीन इंडिया’ में ‘ब्यूटी विद ब्रेन्स’ का टाइटल

• 2019 सागर पब्लिक स्कूल द्वारा आयोजित मॉडिफाइड पुश अप्स फिटनेस में प्रथम पुरस्कार

• 2020/2021: वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, यूनाइटेड किंगडम द्वारा आयोजित 21 किमी हाफ-मैराथन में भागीदारी

• 2021-अंतर-जिला मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप (आयु वर्ग 60+ महिला) 5000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक

• 2022 : आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र, भोपाल द्वारा ‘योग रत्न सम्मान’ 

• 2022 : वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (चक्रासन और धनुरासन के लिए टीम में शामिल), अक्षर योग अनुसंधान एवं विकास केंद्र पादुकोण-द्रविड़ सेंटर फॉर स्पोर्ट्स एक्सीलेंस, बैंगलोर

• 2022 : 12 मार्च से 5 अप्रैल तक 385 किमी दांडी मार्च अल्ट्रा चैलेंज भोपाल से उज्जैन तक 230 किमी साइकिलिंग

• 2023 : उत्कर्षिनी संस्था भोपाल द्वारा उत्कर्षिनी लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड

 सन्दर्भ स्रोत : मालती इन्दौरिया से सीमा चौबे की बातचीत पर आधारित 

 

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