छाया : स्व संप्रेषित
• सीमा चौबे
जो चम्बल अंचल एक समय कन्या शिशु हत्या के लिये बदनाम था, अब अपनी बेटियों की काबिलियत से पहचाना जाने लगा है। ऐसी ही बेटियों में एक हैं नंदिनी अग्रवाल, जिन्होंने महज 19 वर्ष की उम्र में दुनिया की सबसे कम उम्र की सीए बनने का कीर्तिमान बना दिया। उनकी कहानी दर्शाती है कि पक्के इरादे और कड़ी मेहनत के साथ चुनौतियों पर काबू पाना और असाधारण लक्ष्य हासिल करना कतई नामुमकिन नहीं है।
बता दें कि साल 2021 में नंदिनी ने सी.ए.फाइनल परीक्षा में 800 में से 614 अंकों के साथ ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल की थी। ख़ास बात यह कि कठिन परीक्षाओं और कड़ी प्रतिस्पर्धा वाली सी.ए. की पढ़ाई के लिए सीधे तौर पर कोई कोचिंग लिए बिना उन्होंने ऑनलाइन पढ़ाई कर यह मुकाम हासिल किया।
नंदिनी की कहानी चम्बल अंचल के एक छोटे शहर मुरैना से शुरू होती है। 18 अक्टूबर, 2001 को जन्मी, नन्दिनी के पिता नरेशचंद्र गुप्ता एक टैक्स प्रैक्टिशनर हैं, जबकि मां डिंपल एक गृहिणी। माता-पिता ने बेटी में छिपी असाधारण क्षमताओं को बचपन में ही पहचान कर दिशा और लक्ष्य निर्धारित कर दिया था।
नींव गढ़ने में मां की अहम भूमिका
नंदिनी बताती हैं कि "मेरी उपलब्धियों के पीछे छिपे मेरी माँ का अथक संघर्ष रहा है। उन्होंने ही मेरे भीतर छिपी हुई असाधारण क्षमताओं को पहचाना। उनकी मेहनत से ही यूकेजी और एलकेजी में हाथ पकड़कर शब्द सीखने वाली उम्र में मैं हिंदी व अंग्रेजी पढ़ने-लिखने लगी थी।"
दरअसल जन्म के समय नंदिनी को प्राइमरी कॉम्प्लेक्स नामक बीमारी थी, यह टीबी का ही एक रूप है। इस वजह से उन्होंने लगभग डेढ़ साल देर से यानी चार साल की उम्र से स्कूल जाना शुरू किया। लेकिन ढाई से चार साल की उम्र का जो फासला था, उस समय उनकी माँ ने घर पर ही प्ले ग्रुप और नर्सरी की पूरी पढ़ाई करवा दी। एलकेजी में दाखिले के बाद छह माह में ही उन्हें यूकेजी में पदोन्नत कर दिया गया। इसके बाद गर्मियों की छुट्टियों में जब बच्चे मौज-मस्ती करते हैं, उस समय मां ने फिर से पहली कक्षा का पूरा कोर्स करवा दिया और एक टेस्ट के बाद नंदिनी को अपने से दो साल बड़े भाई के साथ दूसरी कक्षा में प्रवेश मिल गया।
पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहीं नंदिनी
नंदिनी ने महज 13 साल की छोटी उम्र में 10वीं की बोर्ड परीक्षा पास कर ली थीं। दो साल बाद 15 साल की उम्र में 94.5% अंकों के साथ 12वीं बोर्ड परीक्षा में जिले में टॉप कर एक और उपलब्धि अपने खाते में दर्ज कर ली। कहना न होगा कि यह उपलब्धियां उनकी आगे की असाधारण यात्रा की एक झलक भर थी। स्कूल के दिनों में एक गिनीज रिकॉर्ड धारक से मुलाकात के बाद से ही नंदिनी ने एक ऐसा रिकॉर्ड बनाने का सपना देखा, जिसे तोड़ पाना मुश्किल हो। इसी सपने ने उन्हें सीए फाइनल जैसी कठिन और चुनौतीपूर्ण परीक्षा के लिए प्रेरित किया।
पूरा किया माता-पिता का सपना
नंदिनी बताती हैं - "मुरैना जैसी जगह पर अक्सर लोगों की सोच होती है कि साधारण बच्चे आर्ट्स या कॉमर्स चुनते हैं, जबकि होशियार बच्चे डॉक्टरी या इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं। लोगों ने मुझे बायो साइंस लेने की सलाह दी, लेकिन माँ और पापा का सपना शुरू से ही अपने बच्चों को सीए बनाने का था, इसीलिए कॉमर्स विथ मैथ्स लेकर सीए की बनने की मेरी यात्रा शुरू हुई। जून 2017 में केवल डेढ़ से दो महीने की तैयारी में सीपीटी की परीक्षा पास करने के बाद सबसे बड़ी उलझन थी कि सीए करना कैसे है, क्यूंकि मुरैना में कोचिंग तो थी नहीं। सीए इंटर वाले इस समय में मुझे खुद पता नहीं था कि मै ये सब कैसे करने वाली हूँ। अपना लक्ष्य जरूर मालूम था, लेकिन उसे हासिल करने की कोई तैयारी नहीं थी। यू-ट्यूब पर इस बारे में खोजने के बाद ऑनलाइन क्लासेस ली और नौ महीने की मेहनत के बाद ऑल इंडिया रैंक 31 के साथ नतीजा सबके सामने था।"
चुनौतियां भी कम नहीं रहीं
वे बताती हैं - "देश में कुल चार शीर्ष ऑडिट कंपनियां - पीडब्ल्यूसी, केपीएमजी, ई एंड वाई और डेलॉइट हैं। बाकी बच्चों की तरह मेरा सपना भी इन 4 बड़ी कंपनियों से आर्टिकलशिप करने का था, लेकिन 16 साल की उम्र में, जब उन्होंने इसके लिये तलाश की, तो कई कंपनियों ने असमर्थता जता दी। अगस्त 2018 में प्राइस वॉटर हाउस कूपर्स, फिर केपीएमजी और ई एंड वाई में इंटरव्यू दिया और सभी में पहले चरण में कामयाबी भी मिली, लेकिन कम उम्र के चलते सभी फर्म्स ने आर्टिकलशिप देने से मना कर दिया।"
इस दौरान मैं बहुत तनाव में रही क्यूंकि इस समय आर्टिकलशिप शुरू न हो पाने का मतलब था, दो साल आगे चलने की प्रक्रिया का पीछे हो जाना। लेकिन सितम्बर में पीडब्ल्यूसी ने कहा कि मैं उनके साथ काम कर सकती हूँ। दिल्ली में इस कंपनी में लगातार तीन साल तक रोज़ 10 से 11 घंटे तक काम करने के बाद मैं पढ़ाई भी करती रही।
मॉक टेस्ट ने किया हतोत्साहित, लेकिन हार नहीं मानी
आर्टिकलशिप पूरी होने के बाद दिसंबर 2020 में सीए फाइनल की तैयारी के दौरान मॉक टेस्ट में उनका प्रदर्शन ठीक नहीं रहा। यह परिणाम उन्हें हतोत्साहित करने वाला था। नंदिनी बताती हैं - "उस समय मैं सोच रही थी कि मॉक टेस्ट में इतना खराब प्रदर्शन है तो फाइनल में कैसा होगा? लेकिन भाई की मदद और प्रोत्साहन ने जादू की तरह काम किया और परिणाम की चिंता किये बिना मैंने अपना पूरा ध्यान केवल पढ़ाई पर ही लगाया।"
बीमारी में दिया आखिरी साल का इम्तिहान
बकौल नंदिनी परेशानियां कम होने का नाम ही नहीं ले रहीं थी। 5 जुलाई 2021 को सीए फायनल परीक्षा के ऐन पहले मानसिक तनाव के चलते 27 जून से तबीयत बिगड़ने लगी। उस समय लगा परीक्षा में लिख भी पाऊँगी या नहीं। असहनीय सिरदर्द और ब्लड प्रेशर के साथ जैसे-तैसे मैंने परीक्षा दी। 19 जुलाई को पेपर खत्म हो गए, लेकिन जैसे-जैसे परिणाम का दिन नजदीक आया, मैंने सोचना शुरू किया कि मैंने पेपर में लिखा क्या था। ऐसा नहीं था कि मेरी सोच नकारात्मक थी। मुझे इतना तो भरोसा तो था कि परिणाम अच्छा ही होगा, लेकिन विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले नतीजे की कल्पना भी नहीं थी। रिजल्ट वाले दिन सभी न्यूज चैनल्स पर 800 में से 614 (76.75%) उपलब्धि के साथ खुद का नाम देखकर 2 मिनट के लिए तो विश्वास नहीं हुआ। उस समय मेरे साथ माँ-पिता की आंखों में भी आंसू थे। जब ये नतीजा आया, नंदिनी तब ठीक 19 साल और 330 दिन की थीं, जिससे उन्हें गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला चार्टर्ड अकाउंटेंट का खिताब दिया गया।
नंदिनी अब 180 देशों में मान्य सीए
चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने के बाद नंदिनी ने ए.सी.सी.ए. अंतर्राष्ट्रीय परीक्षा में इंडिया में पहली व विश्व में तीसरी रैंक हासिल कर एक बार फिर सबको चौंका दिया। इस परीक्षा में 180 देशों के सी.ए. शामिल हुए। अब नंदिनी दुनिया के किसी भी देश में काम कर सकती हैं। भविष्य में देश से बाहर काम करने के सवाल पर नंदिनी बताती हैं ऐसी कोई योजना अभी दिमाग में नहीं हैं, लेकिन काम के सिलसिले में एक-दो साल के लिए ज़रूर जाना चाहूंगी।
सपने देखना न छोड़ें युवा
वर्ष 2023 से मुंबई स्थित सिंगापुर की कंपनी जीआईसी में सेवारत नंदिनी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे बच्चों के लिए खासकर लड़कियों के लिए कहना चाहती हैं “ज़िन्दगी जीना है तो सपने ज़िंदा रखिये, परिस्थितियां चाहे जो हों, मन को उड़ता परिंदा रखिये।" उनका कहना है कि अगर जीवन में बड़ी उपलब्धि हासिल करना है तो सपने भी बड़े देखना होगा। अगर आप सपने नहीं देखते तो आपके जीवन का कोई मतलब नहीं है, इसलिए सपने देखिए और उन्हें पूरा करके ही मानिये।
सन्दर्भ स्रोत : नंदिनी अग्रवाल से सीमा चौबे की बातचीत पर आधारित
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