भूमिका दुबे : रंगमंच से रुपहले पर्दे तक

blog-img

भूमिका दुबे : रंगमंच से रुपहले पर्दे तक
मिसाल कायम करने वाली अदाकारा

छाया : भूमिका दुबे के फेसबुक अकाउंट से

सीमा चौबे 

भूमिका दुबे एक ऐसी अभिनेत्री हैं, जिनकी अभिनय के प्रति बचपन से ही लगन थी। वरिष्ठ रंगकर्मी श्री गोपाल दुबे की बेटी होने के कारण कम उम्र में ही रंगमंच से उनका परिचय हो गया था। नाट्य कलाकारों के बीच पली-बढ़ी भूमिका ने कुछ फिल्मों में भी काम किया है, जिनमें प्रमुख हैं -  'तुम्हारी सुलु', 'मोतीचूर चकनाचूर' और 'बारह बाय बारह'। उनका जन्म 17 फरवरी 1990 को नागदा में हुआ। उनकी माँ भी एक शिक्षक होने के साथ-साथ रंगमंच कलाकार भी हैं। सांवली सलोनी सी भूमिका बड़े पर्दे पर अपनी अदाकारी के बूते एक अलग पहचान बना चुकी हैं।

स्कूली पढ़ाई के दौरान ही पिता के साथ नाटकों में हिस्सा लेने वाली भूमिका ने विभा मिश्रा, बंसी कौल, सत्यव्रत राउत, मानव कौल, गोपाल दत्त तिवारी, वी.एन. शाह जैसे नामचीन कलाकारों और निर्देशकों के साथ काम किया। लेकिन बचपन से ही अभिनय के प्रति रुझान होने के बावजूद वे इसे लेकर कभी गंभीर नहीं थी। भोपाल के होली फ़ैमिली कॉन्वेंट स्कूल से गणित और वाणिज्य विषयों के साथ बारहवीं करने के बाद उन्होंने मुंबई का रुख किया और मुंबई विश्वविद्यालय से मास मीडिया (एडवरटाइजिंग स्ट्रीम) में स्नातक किया। वर्ष 2011 में उन्हें संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा रंगमंच के क्षेत्र में जूनियर फेलोशिप प्राप्त हुई।

स्नातक करने के दौरान वे मानव कौल के थियेटर ग्रुप ‘अरन्या’ से जुड़कर लगातार रंगमंच के माध्यम से अपने अभिनय में निखार लाती रहीं। यही समय था, जब उन्हें समझ आया कि अभिनय में करियर बनाया जा सकता है। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2012 में दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा (एनएसडी) के लिए आवेदन किया और पहले प्रयास में ही उनका चयन हो गया। 2015 में एनएसडी से निकलकर वे मुंबई जाने के बजाय भोपाल आकर अपने पिता के साथ नाटकों में मशगूल हो गईं।

वर्ष 2016 में निर्माता-निर्देशक सुभाष घई के ‘व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल फाउंडेशन’ में बतौर विजिटिंग फैकल्टी पढ़ाना शुरू किया। इसी बीच अभिनव देव के ब्लू सून ज्वेलरी का पहला विज्ञापन उनके हाथ लगा। इसके बाद वे कई विज्ञापनों में नजर आईं। लगातार विज्ञापन और थियेटर करते हुए फिल्मों में भी छोटी-मोटी भूमिकाएं मिलने लगीं। भूमिका बताती हैं “एक वर्कशॉप में पंकज त्रिपाठी जी ने सीख दी कि किसी भी छोटे रोल के लिए मना मत कीजिये, क्यूंकि इन्ही भूमिकाओं से आपके अभिनय को परखा जायेगा और यही छोटे-छोटे रोल आपको बड़ी भूमिका दिलाने में मददगार साबित होंगे।”

त्रिपाठी जी की समझाइश काम कर गयी। वर्ष 2017 में लघु फिल्म ‘अगला स्टेशन, तुम’, ‘इन द मंथ ऑफ लव’ और वर्ष 2018 में पहली फिल्म 'तुम्हारी सुलु' में विद्या बालन के साथ जिम रिसेप्शनिस्ट फिर ‘मोतीचूर चकनाचूर’ में नवाजुद्दीन सिद्दीकी की बहन हेमा का किरदार निभाकर भूमिका शोहरत की बुलंदियों पर पहुंच गयीं। फिर उन्होंने मानव कौल जैसे मंजे हुए डायरेक्टर के साथ देश-दुनिया में थिएटर करने के साथ ही बेव सीरीज की ओर रुख़ किया। वर्ष 2019 में जॉय घोष के निर्देशन में उनकी पहली वेब सीरीज थी ‘टाईप राइटर’, जिसमें प्रभावी अभिनय की छाप छोड़ने के बाद माया नगरी में भूमिका के कदम जमते चले गए।

भूमिका ने गौरव मदान द्वारा निर्देशित फिल्म ‘बारह बाय बारह' में अपनी शानदार अदाकारी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी यह फिल्म मेलबर्न से लेकर बीजिंग तक अनेक फिल्मोत्सवों में सराही गयी। हॉट स्टार पर उनकी वेब सीरीज ‘दहन’ में भी उनकी भूमिका लाजवाब रही है। इसी तरह नेटफ्लिक्स की ओरिजिनल सीरीज़ ‘द रेलवेमेन’ में उनके अभिनय को काफी सराहा गया। वे कहती हैं उन्होंने बचपन से ही अपने शहर में हुई गैस त्रासदी की कहानियां सुनी थीं, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि इस त्रासदी पर बनने वाली फिल्म में उन्हें भी एक पीड़ित का किरदार निभाने का मौका मिलेगा।

विलक्षण प्रतिभा की धनी भूमिका यहीं नहीं रुकीं, इसके बाद उन्होंने ‘भूमिका थिएटर ग्रुप’ के बैनर तले कॉस्टिंग डायरेक्टर से लेकर निर्देशन, लेखन, प्रोडक्शन में भी हाथ आजमाया।  2020 में उन्होंने शॉर्ट फिल्में 'ची पटाका दुम्पा' और 'साइकिल' की। इनमें वे सह लेखक और सह निर्माता भी थीं। महज एक दशक से भी कम समय में काम के साथ नाम कमाने वाली भूमिका की पहली पसंद अब भी थियेटर ही है। उनका मानना है निरंतर अभ्यास के लिए थियेटर से बड़ा कोई मंच नहीं है, जहाँ सीखने के साथ-साथ अभिनय में भी निखार आता है। भविष्य में किरण राव जैसे निर्देशकों के साथ काम करने का सपना संजोने वाली भूमिका को छोटे बजट की आर्ट फिल्मों में काम करना अधिक लुभाता है, हालांकि उन्हें कमर्शियल फ़िल्में करने से भी गुरेज़ नहीं है, बस उन्हें चुनौतीपूर्ण और लीक से हटकर मिलने वाले अवसर की तलाश है।

रंगमंच पर व्यस्त भूमिका ने रुपहले परदे पर अपनी उपस्थिति बढ़ाने शॉर्ट फिल्मों से लेकर प्रभावशाली सिनेमा तक अथक परिश्रम किया है। इन दिनों वे उनके द्वारा तैयार किये गये एकल नाटक ‘केला' को लेकर व्यस्त हैं। मुम्बई में इसके तीन शो कर चुकीं भूमिका इस नाटक का अंग्रेजी में अनुवाद कर इसे विदेशों में भी मंचित करना चाहती हैं। भूमिका को फिलहाल अमेज़न प्राइम वीडियो की ओरिजिनल सीरीज ‘जनता बैंडवाले’ और नेटफ्लिक्स की फिल्म ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ जिसमें उन्हें बेहतरीन रोल मिला है, का बेसब्री से इन्तजार है। भूमिका इस फिल्म में विक्रांत मैसी और तापसी पन्नू के साथ नज़र आयेंगी।

वे मानती हैं कि बेशक सोशल मीडिया दर्शकों से जुड़ने का बेहतरीन ज़रिया है, लेकिन यह मेरा कमज़ोर पक्ष है कि मैं  सोशल मीडिया पर अधिक समय तक सक्रिय नहीं रह पाती। इसके बजाय मै खाली समय में लिखना-पढ़ना पसंद करती हूँ। भूमिका के माता-पिता भोपाल में रहकर अपने-अपने काम में व्यस्त हैं, वहीं भाई निश्चय दुबे भोपाल में आर्किटेक्ट हैं।

उपलब्धियां/पुरस्कार

• संस्कृति मंत्रालय-भारत सरकार द्वारा जूनियर छात्रवृत्ति पुरस्कार 2010

• 48 कमर्शियल विज्ञापनों में अभिनय

• हसीन दिलरुबा में विक्रांत मैसी के साथ महत्वपूर्ण किरदार

• नाटक 'दोहरी जिंदगी' का पूरे देश 45 से अधिक मंचन

• नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म मोतीचूर चकनाचूर छह सप्ताह तक देखी गई शीर्ष 10 फिल्मों में शामिल

अभिनय

लघु फ़िल्में

• अगला स्टेशन तुम (2017)

• इन द मन्थ ऑफ़ लव (2019)

• ब्रिज (2020)

• साइकिल - सह निर्माता, लेखन, कास्टिंग डायरेक्टर (2021)

• ची पटाका दुम्पा - सह निर्माता लेखन कास्टिंग डायरेक्टर (2021)

• फ्लो (2022)

• रोज़मर्रा (2023)

• Places I've Called My Own (2023)

फ़िल्में 

• तुम्हारी सुलु (2017)

• मित्रों (2018)

• मोतीचूर चकनाचूर (2019)

• बारह बाय बारह (2024 निर्माण के पांच साल बाद प्रदर्शित)

वेब सीरीज 

• टाइप राइटर (2021)

• दहन (2022)

• रेलवे मेन (2023)

पुरस्कार 

• फिल्म साइकिल के लिए सर्वश्रेष्ठ सिनेमैटोग्राफी

• माझी मेट्रो लघु फिल्म महोत्सव में फिल्म 'अगला स्टेशन, तुम' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार 2016

सन्दर्भ स्रोत : भूमिका दुबे से सीमा चौबे की बातचीत पर आधारित

© मीडियाटिक

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



इशिका चौधरी : चुनौतियों से बढ़ता है जिनका हौसला
ज़िन्दगीनामा

इशिका चौधरी : चुनौतियों से बढ़ता है जिनका हौसला

खेल के प्रति उसकी प्रतिबद्धता इतनी मजबूत थी कि जब वह अवकाश पर ग्वालियर आती, तो अपने घर पर परिवार के साथ रहने के बजाय अका...

प्राचीन गणित के इतिहास की अन्वेषक डॉ. प्रगति जैन
ज़िन्दगीनामा

प्राचीन गणित के इतिहास की अन्वेषक डॉ. प्रगति जैन

एक प्राध्यापक के रूप में डॉ. प्रगति अपने छात्रों को मात्र गणित के सूत्र सुलझाने में मदद नहीं करतीं बल्कि उनके भीतर छिपी...

खुद को आजमाने की ज़िद का नाम है कनीज़ ज़ेहरा रज़ावी
ज़िन्दगीनामा

खुद को आजमाने की ज़िद का नाम है कनीज़ ज़ेहरा रज़ावी

गणित और विज्ञान उनका पसंदीदा विषय रहा लेकिन भाषा पर भी ज़बर्दस्त पकड़ रखती हैं, हिन्दी, अंग्रेज़ी और उर्दू-इन तीन भाषाओँ मे...

अंकिता जैन : इंजीनियरिंग के बाद थामी
ज़िन्दगीनामा

अंकिता जैन : इंजीनियरिंग के बाद थामी , कलम, करती हैं खेती किसानी भी

एक लेखिका का  किसान और सफल उद्यमी बनने का तक सफ़र  

निर्गुण की खुशबू बिखेर रही हैं गीता पराग
ज़िन्दगीनामा

निर्गुण की खुशबू बिखेर रही हैं गीता पराग

पुरुष प्रधान समाज की रुढ़िवादी सोच ने उन्हें  मंच पर गायन करने से कई बार रोका, लेकिन उन्होंने हर बार अपने लिए परिवार और...