एक परिवार के सात सदस्यों के खिलाफ दर्ज FIR खारिज करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महिलाओं द्वारा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498ए के दुरुपयोग पर दुख जताया, जिसमें वे अपने निजी स्वार्थ के लिए पति के परिवार के सभी सदस्यों को आपराधिक मामलों में फंसा रही हैं।
जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस प्रवीण पाटिल की खंडपीठ ने महिलाओं द्वारा पति के परिवार के सभी सदस्यों को आपराधिक मामलों (Criminal cases) में फंसाने की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की। जजों ने 9 जून को पारित आदेश में कहा, "यह देखा गया है कि आजकल वैवाहिक कलह (Marital discord) से उत्पन्न कार्यवाही में पत्नी द्वारा पति और उसके परिवार के सदस्यों को अपराध के जाल में फंसाने की प्रवृत्ति देखी जा रही है। ऐसे मामलों में पुलिस शिकायत को पति के परिवार के सदस्यों को सबक सिखाने का एकमात्र रामबाण उपाय माना जाता है। ऐसे में केवल व्यक्तिगत दुश्मनी निपटाने के लिए पत्नी ठोस सबूतों के बिना सामान्यीकृत और व्यापक आरोप लगाती है। परिणामस्वरूप, पति के परिवार के सदस्यों को आपराधिक मुकदमे की पीड़ा का सामना करना पड़ता है, जबकि उनके खिलाफ कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है।"
खंडपीठ एक पति और उसके सात परिवार के सदस्यों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी - सभी ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 498ए (क्रूरताSections 498A), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 504 (जानबूझकर अपमान करना), 506 (आपराधिक धमकी) और दहेज निषेध अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत उनके खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने की मांग की। 30 अगस्त 2023 को दर्ज कराई गई FIR में पत्नी ने आरोप लगाया कि 2 जून 2014 को पति से शादी के बाद पति और उसके परिवार के सदस्यों के कहने पर उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उसने आरोप लगाया कि उसे यह कहकर अपमानित किया गया कि वह भिखारी की बेटी है और कोई उसे पसंद नहीं करता और शादी में कम दहेज देने के लिए उसके साथ बुरा व्यवहार किया
ससुराल वालों ने तर्क दिया कि यह विवाद पति और पत्नी के बीच वैवाहिक कलह के अलावा और कुछ नहीं है और उसने केवल हिसाब बराबर करने के लिए झूठे आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि 2022 में शिकायतकर्ता पत्नी बिना किसी को बताए ससुराल से चली गई और पति और ससुराल वालों की शिकायत पर पुलिस ने उसकी तलाशी ली। आगे बताया गया कि पति ने बुलढाणा जिले के फैमिली कोर्ट में पहले ही तलाक की याचिका दायर की। उस पर फैसला आना बाकी है।
जजों ने कहा, "इसलिए यह स्पष्ट है कि पति और पत्नी के बीच 29 जून, 2022 से विवाद चल रहा है। इसके अलावा पूरी FIR और उसके बयान में उसकी मुख्य शिकायत पति के खिलाफ है। उसने विशेष रूप से कहा है कि उसका पति उसके चरित्र पर संदेह करता था और इसी वजह से उसे बेरहमी से पीटा गया। रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि वैवाहिक कलह के कारण तलाक की कार्यवाही लंबित है। यह तथ्य बताता है कि पति और पत्नी के बीच गंभीर विवाद था। इसलिए पति के खिलाफ पत्नी के आरोपों पर विश्वास करने का एक कारण है। इस स्तर पर इसे नकारा नहीं जा सकता।" इसलिए खंडपीठ ने पति के खिलाफ FIR रद्द करने से इनकार कर दिया।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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