छाया : समीना अली सिद्दीकी के फेसबुक अकाउंट से
• वंदना दवे
तीन दशक से भी ज़्यादा समय से रेडियो, टीवी और मंचों की बेहद लोकप्रिय आवाज़ है समीना अली सिद्दीकी। समीना का जन्म भोपाल में 15 अगस्त 1969 को शहर के संभ्रांत और शिक्षित परिवार में हुआ। उनके पिता शाकिर अली रेडियो की आवाज़ के बादशाह थे उन्हें सुनहरी आवाज़ का शहंशाह कहा जाता था, इस नाते वे आकाशवाणी भोपाल की पहचान थे। समीना की मां तनवीर अली, राजधानी के हमीदिया कॉलेज में राजनीति शास्त्र विभाग की मुखिया थीं। समीना तीन बहनों में सबसे बड़ी हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा केन्द्रीय विद्यालय से हुई और हायर सेकेंडरी उन्होंने कमला नेहरू स्कूल से की। 1989 में उन्होंने क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान (रीजनल कॉलेज) भोपाल से हिन्दी अंग्रेजी साहित्य में बीए बीएड किया। एमएलबी कॉलेज से अंग्रेज़ी में एमए किया। माता-पिता ने तीनों बहनों को उच्च शिक्षा दिलवाई। उनमें से एक बोस्टन और दूसरी भी शारजाह में है और दोनों ही विकलांग बच्चों को पढ़ाती हैं।
चूंकि शाकिर अली साहब आकाशवाणी में वरिष्ठ उद्घोषक थे तो समीना का रुझान भी उसी तरफ हो गया। यूं तो वे बचपन से ही वे बच्चों के कार्यक्रम में शिरकत कर रही थीं और किशोरावस्था में युववाणी कार्यक्रम की प्रस्तोता बन गई थीं, लेकिन पिता जी की इच्छा थी कि वे शिक्षक बनें। लेकिन समीना ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जाना बेहतर समझा। यूं भी मां के प्रोफेसर और पिता के आकाशवाणी से जुड़े होने के कारण घर में राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक चर्चाओं का वातावरण था। इसलिए मीडिया में काम करना समीना के लिए अपेक्षाकृत आसान रहा। 1989 में पिता को बगैर बताए उन्होंने कैज़ुअल अनाउंसर का फार्म भरा और चुन ली गईं। शाकिर अली साहब उस वक़्त तो नाखुश हुए लेकिन कुछ ही सालों बाद बेटी के काम से खुश होकर कहा कि 'मुझे तुम पर फ़ख्र है। जो मैं नहीं कर सका वो आज तुम कर रही हो।'
रीजनल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान भगवत रावत और इकबाल अहमद जैसे नामचीन लेखकों का सानिध्य समीना को मिला इससे उनकी भाषा में लालित्य आ गया। 1992 में जब भोपाल में दूरदर्शन आया तो यहां पर समाचार वाचक बनने का अवसर मिला। 1993 में विवाह के बाद दिल्ली चली गईं और दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल में समाचार वाचक बन गईं जहां 2008 तक उन्होंने सेवाएं दीं। अपनी भाषा के बारे में उन्होंने एक किस्सा साझा करते हुए बताया कि उनका पहला बुलेटिन सुनकर ही मीडिया हैरान रह गया। अगले दिन ही स्टेट्समैन अखबार ने उन्हें दूरदर्शन की अद्भुत खोज बताया। लोगों के लिए यह आश्चर्य का विषय था कि हिन्दी ऐसे भी बोली जाती है। समीना कहती हैं कि मप्र में वैसे भी दूसरे हिन्दी भाषी राज्यों से बेहतर हिन्दी बोली जाती है और फिर मुझे रीजनल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान भी काफी कुछ सीखने को मिला था। इसके अलावा मेरी हिन्दी इसलिए भी सराही गई कि मैं आम हिन्दुस्तानी भाषा बोलती हूं, जो क्लिष्ट नहीं होती।
समीना ने 2008 में सामाजिक विषमताओं पर आधारित लोकसभा टीवी के लिए अस्मिता कार्यक्रम की शुरुआत की। इस कार्यक्रम की विषयवस्तु और प्रस्तुति इतनी अच्छी थी कि उसने सहज ही मीडिया जगत का ध्यान आकर्षित कर लिया। महिलाओं और सामाजिक मुद्दों को लेकर बनाया गया यह कार्यक्रम काफी रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया। चूंकि लोकसभा चैनल पर इसका प्रसारण होता था तो इसे सांसद भी देखते थे। जिन विषयों पर इस कार्यक्रम में चर्चा होती थी, उन्हें संसद में भी उठाया जाता था। 2011 में समीना ने राज्य सभा टीवी में सीनियर एंकर के तौर पर काम करना शुरू किया और जल्द ही एसोसिएट एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर के पद पर पहुँच गईं। इस दौरान उन्होंने 'शख़्सियत' कार्यक्रम - जो शास्त्रीय संगीत कला और साहित्य को समर्पित था, प्रस्तुत किया। इसमें देश विदेश के बड़े कलाकारों और साहित्यकारों से बेतकल्लुफी से हर पहलू पर चर्चा की जाती थी। यह कार्यक्रम बहुत अधिक लोकप्रिय हुआ। कला,संस्कृति और साहित्य को जानने, समझने वाले तथा शोधकर्ताओं के लिए दूरदर्शन के खजाने में यह अनमोल रत्न है। कार्यक्रम की प्रामाणिकता ऐसी थी कि पंडित जसराज के अमेरिका निवासी एक शिष्य ने अपने शोध पत्र में इसका ज़िक्र किया। ऐसे ही ग़ज़ल गायक गुलाम अली साहब पर पीएचडी करने वाले एक छात्र ने भी अपनी थीसिस में अनेक संदर्भों में इस कार्यक्रम का उल्लेख किया।
समीना ने 1997 से लेकर अभी तक तकरीबन सभी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के कार्यक्रमों में कंपेयरिंग की। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भोपाल में जब नव सज्जित रानी कमलापति स्टेशन का लोकार्पण किया तो उस समारोह का संचालन समीना ने ही किया था। ऐसा ही कुछ तब भी हुआ था, जब एपीजे अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति भवन में अपने कार्यकाल के दौरान दृष्टिहीन बच्चों को समझाने के लिए एक बगीचा बनवाया था और वहां एक हज़ार से भी ज़्यादा औषधीय पौधे लगाए गए थे। पौधों के सामने एक बॉक्स था जिसमें एक मशीन थी। मशीन पर जब पैर रखा जाता तो पेड़ या पौधा अपने गुणों के साथ परिचय देता कि मैं फलां-फलां पेड़ या पौधा हूँ और ये मेरी विशेषताएं हैं। बच्चे मशीन पर खड़े होकर पेड़ व पौधों को छूकर महसूस भी कर सकते हैं। इस मशीन में आवाज़ समीना व अन्य साथियों की थी। कलाम साहब ने इस काम के लिए मेहनताना अपनी जेब से दिया था न कि राष्ट्रपति भवन के सरकारी खजाने से। समीना और उनके साथियों ने जब सामाजिक सरोकार का हवाला देकर पैसे लेने से इंकार किया तो कलाम साहब ने कहा कि आर्टिस्ट का काम ही ऐसा होता है। यदि वह पैसे नहीं लेगा तो कैसे काम चलेगा।
समीना के जीवन साथी जनाब रईस सिद्दीकी भी आकाशवाणी में अधिकारी थे, लिहाजा उन्होंने अपनी शरीके हयात को हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। सिद्दीकी जी मशहूर शायर और बाल साहित्यकार भी हैं। अभी तक उनकी 15 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। उम्रदराज होते माता- पिता की देखभाल के लिए समीना 2018 के अंत में राज्य सभा टीवी की नौकरी से इस्तीफा देकर भोपाल आ गईं और यहाँ स्वतंत्र रूप से एंकरिंग करने लगीं। हालांकि पिता के जाने के बाद वे अधिकतर समय अपनी मां के साथ गुजारती हैं। सिद्दीकी दंपत्ति की एक ही बेटी है समन, जिसने राजनीति विज्ञान में स्वर्ण पदक के साथ एमए किया है। पिछले साल उनका विवाह सेना अधिकारी मेजर माज़िद सिद्दीकी के साथ हुआ।
समीना के मीडिया में तैंतीस बरस के सफर को बहुत अधिक सराहा गया। इनके काम को लेकर अखबारों ने आलेख और साक्षात्कार प्रकाशित किए और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने उन्हें पुरस्कृत किया। 1989 से 2019 तक के उनके रेडियो और टीवी के काम कुछ इस तरह हैं :
• दूरदर्शन भोपाल और दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल से समाचार वाचन,
• डीडी नेशनल, डीडी इंडिया, डीडी उर्दू, डीडी भोपाल में एंकरिंग, सूत्रधार (नरेटिंग) और वाॅयस कास्टिंग,
• ऑल इंडिया रेडियो के एफ एम चैनल रैंबो के कार्यक्रम क्रमशः - आदाब अर्ज, नमस्कार दिल्ली, पोस्ट बाॅक्स 503, मनोरंजन,एफ एम स्टाइल, सारेगामा, गाने पुराने, गीत आपके नाम • से,नून शो, वुमन स्पेशल, मैटनी माज़ा, एक और एक ग्यारह, मूवी मैजिक,
• यूटीवी, जी न्यूज,एएनआई, यूएनआई, इग्नू, एनसीईआरटी,डिस्कवरी, नेशनल ज्योग्राफिक चैनल,संचार भारती के लिए हिन्दी उर्दू और अंग्रेजी में वाॅयस कास्टिंग,
• एएनआई के कार्यक्रम पाकिस्तान रिपोर्टर और दरीचा में एंकरिंग,
• लोकसभा चैनल के अस्मिता कार्यक्रम की प्रोड्यूसर और संचालन,
• राज्यसभा टीवी के लिए साप्ताहिक कार्यक्रम
• शख्सियत के 230 एपिसोड,
• सिलसिला के 51 एपिसोड
• पाक्षिक कार्यक्रम
• विमर्श के 12 एपिसोड,
• स्पेशल रिपोर्ट के 50 एपिसोड किए हैं।
सम्मान और पुरस्कार :
भारतीय संसद द्वारा हिन्दी में उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार (2015-16) : यह पुरस्कार जनसंचार क्षेत्र का महत्वपूर्ण पुरस्कार माना जाता है। यह संसद के सेंट्रल हॉल में दोनों सदनों के वरिष्ठ सदस्यों की उपस्थिति में प्रदान किया गया
• संकल्प अवार्ड 2001 ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन एच के दुआ द्वारा
• एक्सीलेंस अवार्ड -2010 गांधी सेवा रत्न दिल्ली
• परम श्री 2014 ऑल इंडिया एक्सीलेंस नई दिल्ली
• पुनर्वास प्रतिभा पुरस्कार दिल्ली 2008
• इंडिया एक्सीलेंट भारत निर्माण
• भारत सरकार द्वारा- 2015
• इंडियन इंटरनेशनल काउंसिल फॉर यूनाइटेड नेशन एक्सीलेंस -2015
• इंडियन कल्चरल सोसायटी द्वारा
• नेशनल इंटीग्रेशन अवार्ड -2016
• ग्लोबल सेल्यूटिंग Endeavour -2008
• ग्लोबल डेवलपमेंट फाऊंडेशन द्वारा फर्स्ट वर्ल्ड वुमन अवार्ड 2012
• हसन शाद अवार्ड भोपाल 2018
संस्कृति मंत्रालय नई दिल्ली की पैनल की सदस्य होने से ये देश के तमाम हिस्सों में होने वाले कार्यक्रमों में संचालन कर चुकी हैं तथा यह सिलसिला जारी है। अनेक विदेश यात्राएं भी कर चुकी हैं।
संदर्भ स्रोत : समीना अली सिद्दीकी से वन्दना दवे की बातचीत पर आधारित
लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं
© मीडियाटिक
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