छाया: डॉ. हेमलता तिवारी के फेसबुक अकाउंट से
शिक्षा के लिए समर्पित महिला
• सीमा चौबे
बहुमुखी व्यक्तित्व की स्वामी डॉ. हेमलता तिवारी का जन्म 14 नवम्बर 1965 को सागर में हुआ। उनके पिता स्व. बाला प्रसाद तिवारी मप्र विद्युत मंडल में संभागीय लेखापाल थे और मां श्रीमती उर्मिला तिवारी सुघढ़ गृहिणी। माता-पिता पढ़ने-लिखने के बेहद शौक़ीन थे, जिसके चलते घर में साहित्यिक-धार्मिक पुस्तकों का अम्बार लगा रहता था। पढ़ने का यह शौक हेमलता जी को भी विरासत में मिला। खेलने-कूदने की उम्र में ही उन्होंने रवीन्द्रनाथ टैगोर, कृष्णा सोबती, शरतचंद्र चटोपाध्याय, शिवानी, आचार्य चतुरसेन, बंकिमचंद चटर्जी सहित अनेक साहित्यिक और धामिर्क ग्रंथ पढ़ लिए थे। अनेक विषयों में डिप्लोमा प्राप्त हेमलता जी पारिवारिक परामर्श, साहित्यिक लेखन और के समाज सेवा में भी संलग्न हैं।
हेमलता जी के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने जिस दिन से स्कूल में दाखिला लिया, तब से लेकर आज तक उनकी पढ़ाई जारी है। यही कारण है कि उनके पास डिग्रियों की भरमार है। उनके पास 15 डिग्रियां, 2 पीएचडी और 39 डिप्लोमा हैं। इनमें से 38 डिप्लोमा तो सिर्फ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (ग्लोबल हेल्थ नेटवर्क) के हैं। ख़ास बात यह है कि उनकी एक-एक डिग्री लोगों का जीवन संवारने के काम आ रही है।
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हेमलता जी ने बीएससी (जीव विज्ञान), बी.ए.(संगीत), एम.ए (संगीत), इतिहास, दर्शन, लोक प्रशासन, एजुकेशनल साइकोलॉजी, क्लीनिकल साइकोलॉजी, आर्गेनाइजेशन साइकोलॉजी), एल.एल.बी., पी.जी.डी.(लेबर लॉ एंड इंडस्ट्रियल रिलेशन), एम.बी.ए. (वित्त और मानव संसाधन) की शिक्षा प्राप्त की है। एक साल का एक डिप्लोमा उन्होंने बरकतउल्ला विवि से किया, जिसमें वे अव्वल रहीं। इसके अलावा उन्होंने दो पीएचडी वर्ष 2012 में इलाहाबाद विवि से चिकित्सा ज्योतिष पर तथा वर्ष 2014 में क्लिनिकल साइकोलॉजी पर पं. रविशंकर शुक्ल विवि से पीएचडी की। वर्तमान में इग्नू से मास्टर ऑफ़ सोशल वर्क में मास्टर डिग्री कर रही हैं।
अपनी लगन और मेहनत से आज हेमलता जी ने जो भी हासिल किया है, उसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष छिपा है। 7 बहन-भाइयों में सबसे बड़ी हेमलता जी पर घर-बाहर के छोटे-मोटे कार्य करने के अलावा छोटे भाई-बहनों को पढ़ाने की जिम्मेदारी भी थी। जब वे अठारह वर्ष की थीं, तभी उनके पिता का निधन हो गया और पूरे परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उनके कन्धों पर आ गई। एक समय ऐसा भी था जब घर में राशन तक नहीं था, लेकिन तमाम दुश्वारियों के बावजूद वे घबराईं नहीं, बल्कि मजबूती के साथ डटी रहीं। एक तरफ उन्हें खुद का भविष्य संवारना था, तो दूसरी तरफ पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन भी उन्हें करना था।
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पिता की मौत के बाद वर्ष 1984 में उनकी जगह हेमलता जी को अनुकंपा नियुक्ति मिल गई, जिसे करते हुए उन्होंने ग्रेजुएशन किया और विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण करने पर वे वर्ष 87 में नियमित हो गईं। उस समय उन्हें मात्र 630 रुपये तनख्वाह मिलती थी, उसी में परिवार का गुजारा करने के साथ ही उन्होंने न केवल सभी भाई-बहनों को शिक्षित कर उन्हें उनके पैरों पर खड़ा किया, बल्कि उनके शादी-ब्याह भी निपटाए। इस तरह परिवार की जिम्मेदारी उठाते हुए वे अपनी पढ़ाई भी करती रहीं।
हेमलता जी डॉक्टर बनना चाहती थीं, लेकिन पिता के असमय निधन और पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण ऐसा हो न सका। हालांकि मनोविज्ञान में पीएचडी करने के बाद नाम के साथ डॉक्टर लगाने की ख्वाहिश पूरी हो गई। उनके शोध कार्य को देखते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स) रायपुर ने उन्हें एथिकल कमेटी का सदस्य नियुक्त किया। इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ऑनलाइन एग्जाम देकर विभिन्न विषयों में 38 डिप्लोमा प्राप्त किए।
23 दिसम्बर 1996 को भोपाल निवासी श्री राकेश पाठक (इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और प्रकाशक) के साथ इनका विवाह हुआ। वर्ष 2000 तक वे मप्र विद्युत मंडल में कार्यरत रहीं। छत्तीसगढ़ विभाजन के बाद इनका स्थानान्तरण रायपुर हो गया। डॉ. हेमलता अब तक विभिन्न विद्यालयों में करीब 18 हजार बच्चों को करियर परामर्श, गरीब बस्ती की करीब 38 हज़ार महिलाओं को स्वास्थ्य और स्वच्छता पर तथा पर्सनालिटी डेवलपमेंट ट्रेनर के रूप में विभिन्न कॉर्पोरेट क्षेत्र में विभिन्न विषयों पर 25 हज़ार से अधिक लोगों को प्रशिक्षण दे चुकी हैं।
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हेमलता जी ने हिमालय, मनाली, देहरादून, असम, नेपाल आदि स्थानों में पर्वतारोहण कर कई पुरस्कार अर्जित किये हैं। पर्वतारोही के रूप में उन्होंने विभिन्न ट्रेकिंग अभियानों में हिस्सा लिया है। राष्ट्रीय हिमालयन ट्रेकिंग अभियान- (कसोल, नागारु, सारपास वाया शिला मार्ग) मई-जून 2005, हेरिटेज ट्रैक अभियान जम्मू और कश्मीर मई-2012, कुल्लू-मनाली अप्रैल-जून, 2014, राष्ट्रीय यूनेस्को विश्व विरासत सुंदरबन चलो कार्यक्रम, पश्चिम अक्टूबर-दिसंबर, 2015, अप्रैल-मई, 2018 में बेदिनी बुग्याल (उत्तराखंड), राष्ट्रीय हिमालयन ट्रेकिंग सह प्रशिक्षण अभियान (अप्रैल-मई, 2018) को सफलतापूर्वक पूरा किया है। वर्ष 2022 में यूथ हॉस्टल की तरफ से अमरनाथ होकर भी आई हैं।
समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा लिए हेमलता जी अपने जीवन में ऐसा कुछ करना चाहती हैं, जिससे महिलाओं और बच्चों का जीवन संवर सके। सेवानिवृत्ति के बाद केवल और केवल समाज सेवा ही करना चाहती हैं। उनका सपना एक ऐसी संस्था स्थापित करने का है, जहाँ वे लोगों को ये बता सकें कि खुशियाँ केवल पैसों से ही नहीं मिलती। वे एक बड़ी सी जमीन पर जंगल विकसित कर पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य के साथ लोगों खासकर महिलाओं को ऐसा वातावरण देना चाहती हैं, जहां वे अपनी रुचि के अनुसार जो कार्य करना चाहे करें। इसके अलावा वे बेसहारा (गाय, बैल, भैंस) घरेलू पशुओं को संरक्षण देना चाहती हैं।
वर्तमान में वे छग विद्युत मंडल रायपुर में सेक्शन ऑफिसर के रूप में सेवाएं दे रही हैं, जबकि उनके दोनों जुड़वा बच्चे वेदांत और विभोर उनके पति के साथ भोपाल में रहते हैं और मेडिकल की कोचिंग कर रहे हैं। डॉ. हेमलता कविता पाठ के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गायन के लिए भी जानी जाती हैं। उनकी आठ बड़ी-बड़ी अलमारियां केवल किताबों से भरी पड़ी हैं। रात में जब तक वे 2 घंटे तक पढ़ न लें, उन्हें नींद नहीं आती। उन्होंने करीब 12 पुस्तकें लिखी हैं, जिनका प्रकाशन होना बाकी है।
उपलब्धियां/पुरस्कार
• एंटी करप्शन फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा राष्ट्र के लिए उत्कृष्ट व्यक्तिगत उपलब्धियों और विशिष्ट सेवाओं के लिए नेशनल ग्रेट आइकॉन अवार्ड (2019)
• साहित्यिक विकास में योगदान के लिए हिंदी भाषा डॉट कॉम के राजभाषा और राष्ट्रभाषा के बौद्धिक अभियान द्वारा आयोजित कविता प्रतियोगिता में महिला दिवस पर सम्मानित (2019)
• गणतंत्र दिवस 2002 के अवसर पर मुख्यमंत्री अजीत जोगी द्वारा सम्मानित
• स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार (प्रयागराज 2020)
• अभ्युदय वात्सल्यम समिति, देहरादून द्वारा राष्ट्रीय अभिनव उत्कृष्टता पुरस्कार (2020)
• सद्भावना साहित्य संस्थान-रायपुर द्वारा सद्भावना नारी शक्ति सम्मान (2020)
• राष्ट्रीय लघु कथा सम्मेलन में विश्व मैत्री द्वारा सम्मानित (2020)
• विश्व हिंदी लेखिका मंच रायपुर द्वारा छत्तीसगढ़ नारी गौरव सम्मान (2021)
• भव्य फाउंडेशन जयपुर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मैत्री और राष्ट्र गौरव पुरस्कार (2022)
• हिन्दी भाषा.कॉम इंदौर द्वारा दैनिक श्रेष्ठ सृजन सम्मान (2021/2022)
• सी.टी.आई. जबलपुर में तनाव प्रबंधन पर दो बार सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षक पुरस्कार
• शास्त्रीय सुगम संगीत में स्वरचित कविता पाठ में प्रथम पुरस्कार
• अभ्युदय वात्सल्यम संस्था देहरादून द्वारा साहित्य श्री सम्मान (2022)
• हिन्दी भाषा डॉट कॉम, इंदौर द्वारा मीरा श्री सम्मान
• अनेक कार्यशालाओं और शिविरों में योगदान के लिए विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित
• राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में अनेक शोध प्रकाशित
ट्रेकिंग में उपलब्धियां
• यूथ होस्टल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की देश अनेक शाखाओं द्वारा विभिन्न ट्रेकिंग सफलतापूर्वक सम्पन्न करने पर अनेक बार सम्मानित
• नेशनल ट्रेक हर की दून एक्सपीडिशन (उत्तराखंड-2002)
• नेशनल डिज़र्ट ट्रेकिंग एक्सपीडिशन अवार्ड (जैसलमेर 2002)
• नेशनल हिमालयन ट्रेकिंग (हिप्र) एक्सपीडिशन कुल्लू-मनाली पार्वती वैली (2005)
• हेरिटेज ट्रेक एक्सपीडिशन अवार्ड (जम्मू-कश्मीर 2012)
• तारकेश्वर महादेव ट्रेकिंग (भोजपुर यूनिट मंडीदीप 2021) आदि के अलावा विभिन्न ट्रेकिंग अभियानों में हिस्सा लिया एवं पुरस्कार प्राप्त किए
सन्दर्भ स्रोत : डॉ. हेमलता तिवारी से सीमा चौबे की बातचीत पर आधारित
© मीडियाटिक
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