छाया: शुभ्रता मिश्रा के फेसबुक अकाउंट से
प्रमुख लेखिका
पिछले दो दशकों से विज्ञान लेखन कर रहीं डॉ. शुभ्रता मिश्रा का जन्म 7 दिसंबर को नरसिंहपुर में हुआ। लेखन की कला उन्हें आनुवांशिक विरासत के तौर पर पिता श्री श्यामाचरण जी पुरोहित और माता श्रीमती मालती पुरोहित के साथ साथ अपने मामाजी देश के महान समाजशास्त्री प्रोफेसर श्यामाचरण जी दुबे से मिली है। मात्र सात वर्ष की उम्र में उन्होंने दस पंक्तियों की एक छोटी सी कविता-चोटी की रचना कर डाली और अपनी मां को जब सुनाई कि एक लड़की की चोटी क्यों नीचे को जाती है जबकि पर्वत की चोटी ऊपर को जाती है, तो विदुषी मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हिंदी भाषा के प्रति शुभ्रता का अनंत प्रेम और अनुराग भी अद्भुत रहा है। महज छठवीं कक्षा में पढ़ते हुए वे हिंदी के ऐसे ऐसे साहित्यिक और कठिन शब्दों का प्रयोग करते हुए कविताओं और गद्य की व्याख्या करने लगी थीं कि उनके हिंदी शिक्षक और शिक्षिका भी आश्चर्य में पड़ जाते थे।बचपन से ही आकाशवाणी भोपाल से आने वाली बालसभा में वे अपनी कविताएं पत्रों के माध्यम से भेजती थीं और जब उद्घोषक रेडियो पर उनका पाठन करते तो सारा घर मानो अपनी गुड़िया की प्रतिभा से झूम उठता। नवमीं कक्षा से ही उनकी लिखी कविताएं, लेख और कहानियां स्थानीय समाचारपत्रों जैसे दैनिक भास्कर और नवभारत में प्रकाशित होने लगे थे।
हांलाकि माता-पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए विज्ञान को बचपन से ही अपनी शिक्षा का चयनित विषयबनाने वाली शुभ्रता के जीवन के पल-पल में विज्ञान का अध्ययन समाहित होता चला गया। ग्यारहवीं में जब विषय चयन की बारी आई, तो उन्होंने जीवविज्ञान को आगामी शिक्षा हेतु निर्धारित किया। लेकिन हिंदी उनके जीन में जैसे दैवीय रुप में घुली हुई रही है। बारहवीं में उन्हें विशिष्ट हिंदी में पूरे मध्यप्रदेश में सर्वाधिक अंक पाने वाली मेधावी छात्रा का गौरव प्राप्त हुआ था। हिंदी के प्रति अनुरागी शुभ्रता ने बारहवीं में ही वनस्पतिशास्त्र से स्नातकोत्तर और पीएच.डी. करने का निश्चय कर लिया था। फलतः डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के अंतर्गत आने वाले शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नरसिंहपुर से शुभ्रता ने बीएस.सी और वनस्पतिशास्त्र में एमएससी की डिग्रियां विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान के साथ प्राप्त कीं।
एमएससी के तुरंत बाद ही उन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.) में वनस्पतिशास्त्र में शोध हेतु शोधवृत्ति प्राप्त हुई और उन्होंने प्रोफेसर विष्णुप्रताप सिंह के मार्गदर्शन में अपना शोधकार्य किया तथा पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। उनके शोधकार्य के लिए मध्यप्रदेश विज्ञान एवम् प्रौद्योगिकी परिषद्, भोपाल द्वारा उन्हें वर्ष 1999 में मध्यप्रदेश युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। डॉ. शुभ्रता को उनके पोस्ट डॉक्टोरल शोध के लिए भी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा शोधवृत्ति मिली। शोधकार्य की अवधि के दौरान भी उन्होंने हिंदी में अपना साहित्यिक लेखन जारी रखा, लेकिन साथ ही तब तक विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय जर्नलों में उनके लगभग दस शोधपत्र और एक शोध पुस्तक साइंटिफिक पब्लिशर्स, जोधपुर से भी प्रकाशित हो गई थी।
वर्ष 2001 में उनका विवाह सतना निवासी डॉ. रवि मिश्रा से हुआ और फिर डॉ. शुभ्रता मिश्रा ने भोपाल में मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में शोधअध्येता के तौर पर एक साल कार्य किया। साथ ही सरल और सहज अंग्रेजी में विषाणु, जीवाणु, साइनोफेज, पादपरोग जैसे विषयों परपुस्तकें लिख डालीं, जिनका प्रकाशन एक श्रृंखला के तौर पर शीघ्र ही डिस्कव्हरी पब्लिशिंग हाउसप्रकाशक, नई दिल्लीनेशुरु किया। लेकिन तभी वर्ष 2004 में उनके पति की नियुक्ति राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र, गोवा में वैज्ञानिक के पद पर होने से वे भी गोवा आ गईं। गोवा में उन्हें मानो हिंदी का वियोग सा सहना पड़ा क्योंकि आसपास सभी परिचित अंग्रेजी में ही वार्तालाप करते थे और हिंदी सिर्फ घर की दीवारों में ही सुनाई देती थी, हिंदी की ऐसी उपेक्षा की कल्पना शायद ही कभी शुभ्रता ने की हो, उन्होंने हिंदी में स्वतंत्र रुप से विज्ञान लेखन करने का दृढ़ संकल्प लिया। हांलाकि इस बीचउन्होंने भोपाल में शुरु की अपनी सरल अंग्रेजी में विज्ञान पुस्तकों को लिखने की श्रृंखला को भी पूर्ण किया और विभिन्न जीवविज्ञान विधाओं में कुल बीस किताबों के लेखन को पूरा करने के पश्चात् हिंदी में विज्ञान लेखन के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया, जो आज तक जारी है।
गोवा में आने पर डॉ. शुभ्रता मिश्रा को अंटार्कटिक विज्ञान और समुद्रविज्ञान जैसे विषयों के सम्पर्क में आने का अवसर मिला और धीरे धीरे ये विषय भी उनके प्रिय विज्ञान विषयों की सूची में जुड़ गए। उन्होंने भारतीय अंटार्कटिक संभार तंत्र नामक अपनी पहली हिंदी विज्ञान पुस्तक लिखी, जो इस विषय पर लिखी प्रथम पुस्तक है, इसे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार ने प्रकाशित किया। इसके बाद तो हिंदी में विज्ञान पुस्तकों को लिखने का उनका क्रम चल पड़ा और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, नई दिल्लीद्वारा 2017 में प्रकाशित उनकी दूसरी हिंदी पुस्तक ”अन्तरराष्ट्रीय हिन्द महासागर अभियान : स्वर्णिम पचास वर्ष” आई। विज्ञान के साथ साथ सामयिक विषयों पर भी डॉ. शुभ्रता मिश्रा की कलम समानांतर चलती रहती है। वर्ष 2015 में वाणीप्रकाशन, नईदिल्ली से प्रकाशित उनकी पुस्तक “धारा 370 मुक्त कश्मीर यथार्थ से स्वप्न की ओर” काफी चर्चित रही। मौलिक लेखन के साथ साथ हिंदी में उत्कृष्ट अनुवाद भी उनकी खूबी है। डॉ. एस. ज़ेड कासिम की अंग्रेजी पुस्तक का उन्होंने ”अंटार्कटिका : भारत की हिमानी महाद्वीप के लिए यात्रा” नाम से हिंदी अनुवाद किया और नियोगी पब्लिकेशन, नई दिल्ली ने 2019 में उनकी यह पहली अनूदित पुस्तक प्रकाशित की।
पुस्तकों के अलावा शुभ्रता मिश्रा के अब तक विज्ञान तथा सामयिक विषयों पर लगभग 400 लेख विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। साथ ही उन्होंने विज्ञान प्रसार के लिए विभिन्न पोर्टलों जैसे इंडिया साइंस वायर (विज्ञान प्रसार), इंडिया वाटर पोर्टल आदि के माध्यम से नवीनतम वैज्ञानिक शोधों परलिखीं अनेक साइंस लघु-रिपोर्ट, दूरदर्शन के डीडी साइंस पर विज्ञान के विविध विषयों पर अपनी प्रस्तुतियों, आकाशवाणी पणजी एवं आकाशवाणी दिल्ली से विभिन्न वैज्ञानिकों के साक्षात्कारों, वार्ताओं एवं रुपकों के प्रसारण तथा देश के विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों में अब तक लगभग 100 आमंत्रित व्याख्यानों द्वारा लोगों में विज्ञान के प्रति जागरुकता और रुचि बढ़ाने के साथ साथ अद्यतन जानकारियां पहुंचाने के सार्थक प्रयास किए हैं।विविध मंचों जैसे भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव, विश्वरंग महोत्सव आदि से अपनी विज्ञान कविताओं द्वारा भी विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में उनका उल्लेखनीय योगदान है।
प्रमुख पुरस्कार
• वर्ष 1999 मध्यप्रदेश युवा वैज्ञानिक पुरस्कार मध्यप्रदेश विज्ञान एवम् प्रौद्योगिकी परिषद्, भोपाल द्वारा प्रदत्त
• वर्ष 2012 राजीव गाँधी ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा “भारतीय अंटार्कटिक संभारतंत्र”
पुस्तक के लिए 2014 में राष्ट्रपति द्वारा प्रदत्त।
• वर्ष 2016 वीरांगना सावित्रीबाई फुले राष्ट्रीय फेलोशिप सम्मान, भारतीय दलित साहित्य अकादमी, दिल्ली द्वारा प्रदत्त।
• वर्ष 2016 नारी गौरव सम्मान, मध्यप्रदेश हिन्दी प्रचार प्रसार परिषद् और जे एम डी पब्लिकेशन दिल्ली द्वारा प्रदत्त।
• वर्ष 2017 काव्य विभूति सम्मान, अखिल भारतीय काव्य, कथा एवं कला परिषद्, महू, इंदौर, म.प्र. द्वारा प्रदत्त।
• वर्ष 2018 विज्ञान साहित्य रत्न सम्मान, अखिल भारतीयकाव्य, कथा एवं कला परिषद्, महू, इंदौर, म.प्र. द्वारा प्रदत्त।
• वर्ष 2019 आचार्य चाणक्य पुरस्कार, चाणक्य वार्ता समूह, नई दिल्ली द्वारा प्रदत्त।
• वर्ष 2019 अखिल भारतीय अम्बिका प्रसाद दिव्य स्मृति पुरस्कार,दिव्य पुरस्कार समिति, भोपाल, मध्यप्रदेश द्वारा प्रदत्त।
प्रकाशन एवं अन्य उपलब्धियां
• हिंदी में प्रकाशित विज्ञान पुस्तकें – 03
• अंग्रेजी में प्रकाशित विज्ञान पुस्तकें – 18
• प्रकाशित शोध पत्र, विज्ञान एवं सामयिक लेख – 500 से अधिक
• प्रकाशित व प्रसारित विज्ञान व सामयिक कविताएं – 250 से अधिक
• विभिन्न संस्थानों में प्रदत्त व्याख्यान – 100 से अधिक
• डीडी साइंस चैनल पर प्रसारित कार्यक्रम -10 से अधिक
• आकाशवाणी पर प्रसारित कार्यक्रम – 20 से अधिक
स्व संप्रेषित
© मीडियाटिक
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