इलाहाबाद हाईकोर्ट : साथ न रहने वालों पर घरेलू हिंसा का केस अनुचित

blog-img

इलाहाबाद हाईकोर्ट : साथ न रहने वालों पर घरेलू हिंसा का केस अनुचित

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जो रिश्तेदार साझा घर में नहीं रह रहे हैं उन पर घरेलू हिंसा कानून के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। कोर्ट ने मामले में पति के पारिवारिक सदस्यों के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही को रद्द कर दिया लेकिन पति और सास के खिलाफ मामले को बरकरार रखा।

कोर्ट ने कहा कि घर साझा करने के ठोस सबूत के बिना दूर के रिश्तेदारों को फंसाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने सोनभद्र की कृष्णादेवी और 6 अन्य की अर्जी पर दिया।

'घरेलू हिंसा में रिश्तेदारों को फंसाया जाता है'

वैवाहिक कलह के चलते पीड़ित पक्ष ने पति और उसकी मां व विवाहित बहनों के खिलाफ घरेलू हिंसा की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। सास और पांच अन्य रिश्तेदारों सहित याचियों ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सोनभद्र के समक्ष लंबित मामले में कार्यवाही को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में अर्जी दा​खिल की। कोर्ट ने पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि घरेलू हिंसा का मुकदमा उन्हीं लोगों पर दर्ज किया जा सकता है, जो पीड़ित के साथ साझा घर में रहे हों। कोर्ट ने टिप्पणी की कि इस अदालत को ऐसे कई मामले मिले, जहां पति या घरेलू संबंध में रहने वाले व्यक्ति के परिवार को परेशान करने के लिए, पीड़ित पक्ष दूसरे पक्ष के उन रिश्तेदारों को फंसाता है, जो पीड़ित व्यक्ति के साथ साझा घर में नहीं रहते या रह चुके हैं।

60 दिन के भीतर केस खत्म करने का आदेश

कोर्ट ने माना कि याची, विवाहित बहनें और उनके पति अलग-अलग रहने के कारण अधिनियम के तहत प्रतिवादी नहीं माने जा सकते। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ मामला रद्द कर दिया। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि सास और पति के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी, क्योंकि दहेज से संबंधित उत्पीड़न सहित घरेलू हिंसा के विशिष्ट आरोप थे। ट्रायल कोर्ट को मामले में तेजी लाने और 60 दिनों के भीतर इसे समाप्त करने का निर्देश दिया गया।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



कलकत्ता हाइकोर्ट :भले ही मां साथ ना रहती हों, पर बेटे को भरण-पोषण की जिम्मेदारी लेनी होगी
अदालती फैसले

कलकत्ता हाइकोर्ट :भले ही मां साथ ना रहती हों, पर बेटे को भरण-पोषण की जिम्मेदारी लेनी होगी

न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अदालत मां और बेटे के बीच के व्यक्तिगत विवाद पर कोई टि...

 छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट  पत्नी पर अवैध संबंध के झूठे आरोप मानसिक क्रूरता
अदालती फैसले

 छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट  पत्नी पर अवैध संबंध के झूठे आरोप मानसिक क्रूरता

पति की अपील पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, पति ने पत्नी पर व्यभिचार का आरोप लगाया है।...

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : बचपन से खिलवाड़ में माफी
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : बचपन से खिलवाड़ में माफी , नहीं, नाबालिग से रेप में हाईकोर्ट की सख्ती

कोर्ट ने कहा, कि, जबरदस्ती का मतलब हर बार चोट नहीं होती, पीड़िता की मानसिक स्थिति और बयान ही काफी हैं।

तेलंगाना हाईकोर्ट  : शादी का वादा कर मुकरना अपराध नहीं
अदालती फैसले

तेलंगाना हाईकोर्ट : शादी का वादा कर मुकरना अपराध नहीं

तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा कि शादी का वादा तोड़ना धोखा है, लेकिन अपराध नहीं। लेकिन अगर शुरुआत से धोखा देने की मंशा हो और स...

इलाहाबाद हाईकोर्ट :  लिवइन रिलेशनशिप
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : लिवइन रिलेशनशिप , भारतीय मध्यवर्गीय मूल्यों के खिलाफ

हाईकोर्ट ने कहा-सर्वोच्च न्यायालय की ओर से वैधानिक बनाए जाने के बाद न्यायालय ऐसे मामलों से तंग आ चुका