नई दिल्ली। पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में आरोपित पति को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के निर्णय को दिल्ली हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी व न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने कहा कि पति का गैर महिला से संबंध का होना ही इस तरह के अपराध साबित करने के लिए काफी नहीं है।
अदालत ने कहा कि ऐसा कोई सुबूत नहीं है जिससे यह पता चले कि पति ने महिला को उकसाया था। पीठ ने रिकार्ड पर लिया कि दंपति वैसे तो खुशी-खुशी रह रहा था, इसलिए दहेज की मांग का एंगल न तो मानने लायक था और न ही अभियोजन पक्ष द्वारा किसी भी तरह से साबित किया गया।
अदालत ने उक्त टिप्पणी के साथ अभियोजन पक्ष की अपील याचिका को खारिज कर दिया। प्रतिवादी हामिद को उसकी पत्नी की आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में बरी किए जाने को चुनौती दी गई थी। महिला की नवंबर 2010 में मौत हो गई थी।
अभियोजन पक्ष का तर्क था कि पीड़ित मृतिका नजरीन को 30 अक्टूबर 2010 को उसके रिश्तेदारों द्वारा फांसी लगाने की कोशिश के आरोप के साथ एम्स लाया गया था। उसकी मां ने पुलिस को बताया कि उसकी बेटी की शादी 2004 में हामिद से हुई थी।
दूसरी पत्नी से शादी की इच्छा का लगाया था आरोप
आरोप लगाया था कि हामिद किसी दूसरी महिला से शादी करने का इरादा जताया था और उनकी बेटी को पीटता था। यह भी आरोप लगाया कि उनकी बेटी आत्महत्या नहीं कर सकती थी और उसे उसके पति और ससुराल वालों ने मारा था। वहीं, पति ने दावा किया कि गर्भवती होने के बाद से उसकी पत्नी ने गर्भपात करवा लिया था और इसके बाद उसका व्यवहार बदल गया था। हालांकि, पीठ ने कहा कि आरोपित अगर चाहता तो शरियत के अनुसार तलाक दे सकता था, लेकिन उसने इसके बजाय मौजूदा शादी जारी रखी। पीठ ने कहा कि किसी दूसरी महिला से संबंध के बारे में स्वजन को पता था और यह निश्चित रूप से कोई नई बात नहीं थी।



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