क्रिसमस के अवसर पर आमतौर पर बच्चों की इच्छा सूची, सांता क्लॉज और केक की बातें होती हैं लेकिन भोपाल में कुछ ऐसे असली हीरो भी हैं, जो क्रिसमस की रात का इंतजार नहीं करते बल्कि सालभर समाज की मदद के लिए काम करते रहते हैं। इन सच्चे ‘सीक्रेट सांता’ में पूजाश्री चौकसे और मनीषा जेनिस मगनजी भी शामिल हैं, जो दूसरों की जिंदगी बदलने के लिए काम कर रही हैं।
बच्चों को शिक्षित कर जीवन में बदलाव लाने का प्रयास
भोपाल की एजुकेशनिस्ट डॉ. पूजाश्री चौकसे पिछले छह सालों से शहर की 20 से ज्यादा बस्तियों में बच्चों के लिए ‘सीक्रेट सांता’ की भूमिका निभाती हैं। उनका मिशन है कि बच्चों को मैथ्स से डर न हो और वे स्कूल छोड़ने से बचें। डॉ. चौकसे अब तक, 1000 से ज्यादा बच्चों को यह आत्मविश्वास दे चुकी हैं कि वे कठिन विषयों से डरने की बजाय उन्हें समझ सकें। इसके साथ ही वे बच्चों को जीवन कौशल और भाषा की शिक्षा भी देती हैं, ताकि जब ये बच्चे अपने परिवार की मदद करें तो वह ज्यादा प्रभावी हो सके।
पूजाश्री कहती हैं कि हर साल वे बच्चों से उनकी विश लिस्ट लेती हैं, जिसमें कभी अच्छे स्कूल बैग, कभी क्रेयॉन्स, तो कभी परी वाली फ्रॉक जैसी छोटी-छोटी चीजें होती हैं। वे शहरवासियों से भी अपील करती हैं कि वे इन बच्चों के लिए उपहार दें, जो पूरी तरह से उपयोगी और काम आने योग्य हों। इस तरह पूजाश्री और उनके वॉलंटियर्स हजारों बच्चों की क्रिसमस विश पूरी करते हैं, जिससे इन बच्चों के चेहरों पर सच्ची खुशी होती है।
समाज में सफाई कर्मियों की स्थिति सुधारने की कोशिश
भोपाल में पली-बढ़ी डॉ. मनीषा जेनिस मगनजी ने मैनुअल स्कैवेंजर्स यानी गटर सफाई करने वाले श्रमिकों के हालात को उजागर करने के लिए फिल्म ‘द लास्ट मैन’ बनाई। यह फिल्म आठ अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स में प्रदर्शित हुई और सराही गई। मनीषा के मुताबिक, उनका बचपन इन सफाई कर्मियों से जुड़ी कड़वी यादों से भरा है। उन्होंने कहा, "जब मैं छोटी थी, तो हमारे घर के पास एक सफाईकर्मी पानी पीने आता था और मेरी मां डरती थी कि कहीं उसे कोई बीमारी न हो जाए।" यही दृश्य मनीषा के मन में गहरे बैठ गया और जब वे फिल्म इंडस्ट्री में आईं, तो उन्होंने सफाई कर्मियों की स्थिति को समझाने के लिए यह फिल्म बनाई। फिल्म में सवाल उठाया गया है कि एक ऐसा देश, जो हर साल 101 सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में भेज सकता है, वह गटर सफाई में तकनीकी सुधार क्यों नहीं कर सकता? साथ ही, मनीषा ने छत्तीसगढ़ के विस्थापित परिवारों के लिए हैंडपंप लगवाए, ताकि वे स्वच्छ पानी पी सकें।
सन्दर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर
सम्पादन : मीडियाटिक डेस्क



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