लोकसभा की पहली महिला महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव

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लोकसभा की पहली महिला महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव

छाया: इंडिया टाइम्स न्यूज़ पोर्टल

अपने क्षेत्र की पहली महिला

• राकेश दीक्षित 

एक दिसंबर, 2017 को भारत के संसदीय इतिहास में ऐसा अनूठा संयोग बना कि लोकसभा में अध्यक्ष के साथ महासचिव भी महिला हो गईं – और दोनों ही मध्यप्रदेश से थे। यह सिलसिला  मई 2019 में हुए लोकसभा चुनाव तक चला। इसके बाद इंदौर से आठ बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन (sumitra mahajan) की जगह ओम बिड़ला (Om Birla) अध्यक्ष बने। लेकिन महासचिव के पद पर स्नेहलता श्रीवास्तव (snehlata-shrivastava) अपने कार्यकाल में दो सेवावृद्धियों के बाद अभी भी कार्यरत हैं। बेशक श्रीमती महाजन पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष नहीं थीं, उनसे पहले मीरा कुमार (meera kumar) इस पद पर थीं। हालाँकि श्रीमती महाजन लोकसभा अध्यक्ष बनने वाली मध्यप्रदेश की पहली राजनीतिज्ञ और पहली महिला थीं। लेकिन भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service) की 1982 बैच की सेवानिवृत्त अधिकारी स्नेहलता लोकसभा की पहली महिला महासचिव हैं। उनका दर्जा प्रशासनिक सेवा में सर्वोच्च पद  कैबिनेट सेक्रेटरी (cabinet secretary) के बराबर है।

अमूमन लोकसभा की कार्रवाई के लाइव प्रसारण में महासचिव पर ध्यान नहीं जाता। उनका काम अध्यक्ष की कुर्सी के ठीक नीचे की कुर्सी पर बैठकर सदन की प्रशासनिक व्यवस्था संचालित करने का होता है। लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में जीते संसद सदस्यों  के शपथ ग्रहण के दौरान देश के करोड़ों दर्शकों ने स्नेहलता श्रीवास्तव की सक्रिय उपस्थिति गौर से देखी।  वे शपथ लेने वाले सदस्यों का एक एक कर नाम पुकार रही थीं। महासचिव लोकसभा अध्यक्ष के सलाहकार के साथ सदन के प्रशासनिक कार्यकलापों के मुखिया होते हैं। ज़ाहिर है इस पद लिए संसदीय परंपरा और क़ानूनी ज्ञान का गहरा अध्ययन अनिवार्य अहर्ताएं है। इन कसौटियों पर प्रधानमंत्री और तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष ने स्नेहलता को सबसे खरा पाया। तभी केंद्र शासन में कानून और न्याय मंत्रालय के सचिव पद से सेवानिवृत्ति के दो माह में ही उन्हें लोक सभा की पहली महिला महासचिव (first woman secretary general of lok sabha) होने का गौरव प्राप्त हुआ।

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राजनीतिक संपर्कों की बदौलत अपना कैरियर चमकाने का कोई वाक़या स्नेहलता श्रीवास्तव के वर्ष  आईएएस के लम्बे कार्यकाल में कभी सामने नहीं आया – न केंद्र में ,न मध्यप्रदेश में। उन्होंने अपनी हर ज़िम्मेदारी बिना तड़क -भड़क के और ख़ामोशी के साथ निभाई। कभी किसी विवाद में उनका नाम नहीं उछला। उनकी छवि हमेशा सुशील मध्यम वर्ग में जन्मी संस्कारित अधिकारी की बनी रही। अमूमन युवा आईएएस कलेक्टर (IAS Collector) बनने के लिए सबसे ज्यादा तिकड़म लगाते है,लेकिन स्नेहलता जी सिर्फ एक बार ही कलेक्टर रहीं – मंदसौर में, और वह भी जुलाई 1988 से फरवरी 1989 तक, यानि मात्र सात महीनों के लिए। उनकी पहली मैदानी नियुक्ति 1985 में बतौर सहायक कलेक्टर इंदौर में हुई थी। मसूरी में प्रशिक्षण के बाद सभी युवा आईएएस को ऐसी ज़िम्मेदारी पारंपरिक रूप से मिलती है।  इसके बाद स्नेहलता श्रीवास्तव विभिन्न पदों पर भोपाल और दिल्ली में रहीं।

कानपुर में 18 सितम्बर ,1957 को जन्मी स्नेहलता जी ने भोपाल विश्वविद्यालय से भूगोल (जियोग्राफी) में स्नातकोत्तर उपाधि प्रथम श्रेणी में हासिल की। बाद में यहीं से क्षेत्रीय आयोजना और आर्थिक वृद्धि (Regional Planning & Economic Growth) विषय पर एम फिल किया। आईएएस में चयन के समय 1982 में उनकी उम्र 25 वर्ष थी। तीन वर्ष बाद भोपाल में ही उनका विवाह गाँधी मेडिकल कॉलेज में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ संजय श्रीवास्तव से हुआ। दोनों की एक ही संतान है।

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अपने कैरियर के शुरूआती 18 वर्ष स्नेहलता जी ने भोपाल में ही विभिन्न विभागों में बिताये। संभवतः कहीं कलेक्टर बनकर जाने के बजाय डॉक्टर पति  के साथ रहना उन्हें ज्यादा सुखदायी लगता होगा। उप सचिव की हैसियत से वे गृह, वित्त और उद्योग एवं वाणिज्य विभागों में पदस्थ रहीं। मार्च 2000 में उन्हें अमेरिका, कनाडा एंड एक्सचेंज कंट्रोल, आर्थिक मामलों के विभाग में निदेशक बनने का मौका मिला। एक साल बाद वे फण्ड बैंक डिवीज़न की निदेशक (Director, Fund Bank Division) नियुक्त हुईं। बाद के दो वर्षों में उन्होंने केंद्र के आर्थिक मामलों के विभाग में निदेशक (एडीबी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर) का काम सम्हाला। आर्थिक मामलों के उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए मार्च 2003 में स्नेहलता जी को वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व विभाग में संयुक्त सचिव (प्रशासन ) नियुक्त किया। दो वर्ष बाद  वित्तीय मामलों से संबंधित और बड़ी ज़िम्मेदारी मिली जब उनकी नियुक्ति मुख्य सतर्कता अधिकारी के रूप में रेल मंत्रालय के अधीन रेल रोड टेक्निकल  एंड इकोनॉमिक सर्विसेज (Rail Road Technical & Economic Services) में हुई।

मार्च 2007 में वे प्रतिनियुक्ति से मध्यप्रदेश लौटीं जहाँ उन्हें प्रमुख सचिव के रूप में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग की कमान सौंपी। अगले चार वर्षों में उन्हें शालेय शिक्षा, संस्कृति, महिला एवं बाल विकास भाग और संसदीय मामलों के विभागों में तथा भारत भवन के ट्रस्टी सचिव (Trustee Secretary of Bharat Bhavan) का काम करने का अनुभव मिला। जनवरी 2011 में उन्हें दोबारा भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति मिली। वे न्याय मंत्रालय में संयुक्त सचिव (Joint Secretary, Ministry of Justice) बनी। एक वर्ष बाद अतिरिक्त सचिव के रूप में पदोन्नत होकर स्नेहलता बैंकिंग वित्त मंत्रालय (Ministry of Banking and Finance) पहुंची। 30 अप्रैल को एक और पदोन्नति के साथ वे कानून मंत्रालय के अधीन न्याय विभाग में सचिव (Secretary, Department of Justice, Ministry of Law) नियुक्त हुई। यहाँ से वे 30 सितम्बर 2017 में सेवानिवृत्त हुई और लोकसभा की महासचिव नियुक्त हुई ।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

© मीडियाटिक

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