छाया : स्व संप्रेषित
खिलाड़ी -बैडमिन्टन
बैडमिन्टन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश का नाम रौशन करने वाली खिलाड़ी पूनम तत्ववादी का जन्म जबलपुर में 8 अगस्त 1968 को हुआ। उनके पिता महेश चंद्र तिवारी बी.एच.ई.एल.(भेल) भोपाल में कार्यरत थे,जबकि माँ चंदा तिवारी कुशल गृहिणी हैं। प्रगतिशील विचारधारा वाले अभिवावक ने कभी पूनम एवं उनके बड़े भाई में कभी कोई फ़र्क नहीं किया। उनकी हायर सेकेण्डरी तक की शिक्षा कार्मेल कॉन्वेंट में हुई, जिसके बाद उन्होंने नूतन कॉलेज भोपाल से 1988 में बी.कॉम. किया। उनके पिता को बैडमिन्टन खेलने का शौक था,जिसे वे भेल के सीनियर क्लब(वर्तमान में ऑफिसर्स क्लब) में पूरा करते थे। पूनम बहुत ही छोटी उम्र से उन्हें खेलते हुए देखती रही थीं। स्कूल में वह खेल-कूद गतिविधियों में हिस्सा लेने लगीं, स्वाभाविक रूप से उनका पसंदीदा खेल बैडमिन्टन ही रहा थी।
इन्हें भी पढ़िये -
वर्ष 1981 में जब वह आठवीं की छात्रा थीं, तब अखिल भारतीय स्तर पर स्कूलों के बीच बैडमिन्टन मैच आयोजित हुआ। तब तक स्कूल स्तर के बैडमिन्टन में वे अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी थीं, तथापि भविष्य में उसे लेकर कोई योजना नहीं थी। उस मैच को जीतकर आने के बाद उन्हें लगा आगे भी खेला जा सकता है। इसके बाद एक के बाद एक मैचों में अर्थात ज़िला स्तर, फिर राज्य स्तर पर खेलने का सिलसिला शुरू हो गया और आगे का रास्ता उनके हाथ के रैकेट ने खुद तय किया। अपने खेल कैरियर के दौरान पूनम ने एन.आई.एस. कोच श्री अनिल गुप्ता, भेल के जयसिंह एवं शाहनवाज़ ख़ान से प्रशिक्षण प्राप्त किया, अभ्यास के लिए वे भेल के स्पोर्ट्स क्लब में आयोजित ग्रीष्म कालीन शिविर एवं अरेरा क्लब जाती थीं। बाद में भोपाल में टी.टी. नगर स्टेडियम बनने पर वे वहां भी अभ्यास के लिए जाने लगीं। परिवार और स्कूल से मिले प्रोत्साहन के फलस्वरूप निर्बाध रूप से वे खेलती रहीं और भिन्न प्रकार के पदकों से उनकी आलमारी सजती चली गई।
इन्हें भी पढ़िये -
1983 तक वे देश की प्रमुख 3 सब जूनियर खिलाड़ियों में शामिल हो चुकी थीं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहला मैच उन्होंने सन 1986 में इण्डिया-यूएसएसआर चैम्पियनशिप में खेला। बैडमिन्टन कोर्ट में ही पूनम जी की मुलाक़ात खिलाड़ी विवेक तत्ववादी से हुई। बैडमिन्टन दोनों को एक साथ जोड़ने का आधार बना, कुछ समय एक दूसरे को जानने-समझने के बाद दोनों वर्ष 1989 में परिणय सूत्र में बंध गए। विवेक स्वयं मध्यप्रदेश के जाने-माने विक्रम पुरस्कार प्राप्त बैडमिन्टन खिलाड़ी हैं।
वर्ष 1989 में ही खेल कोटे से पूनम जी को बैंक ऑफ़ इण्डिया में नौकरी भी मिल गयी। विवाह के बाद उनके खेल में और भी निखार आया और वे स्टेट चैम्पियन बनी, उस समय उनकी बिटिया महज तीन वर्ष की थी। वर्ष 1983-1999 तक राष्ट्रीय स्तर तक मैचों में वे मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करती रहीं। इस बीच (1993 में) उन्हें प्रतिष्ठित विक्रम अवार्ड से भी नवाजा गया।
इन्हें भी पढ़िये -
पूनम सिंगल एवं डबल दोनों तरह के खेलों में सहज हैं एवं दोनों ही श्रेणियों में वे कई बार विजेता रही हैं। जैसे – ऑल इण्डिया इंटर बैंक मैचों में वे छः बार खेलीं और हर बार विजयी रहीं। हर आयु वर्ग के खेल में वे स्टेट चैम्पियन रहीं। इसके अलावा कई अंतर्राष्ट्रीय मैचों में भी पदक जीतकर उन्होंने देश का मान बढ़ाया। वर्तमान में पूनम बैंक ऑफ़ इंडिया की एम.पी. नगर शाखा में एडमिन मैनेजर पद पर कार्यरत हैं एवं आज भी 50 + श्रेणी में खेल रही हैं।
राष्ट्रीय(वेटरन लेवल)
1. 40 + लेडीज़ सिंगल्स एंड डबल्स: 1 बार खेली और विजयी रहीं।
2. 45 + लेडीज़ सिंगल्स एण्ड डबल्स: 5 बार खेलीं और विजयी रहीं।
3. 50 + लेडीज़ सिंगल्स एण्ड डबल्स: 2 बार खेलीं और विजयी रहीं।
विश्व चैम्पियनशिप
1. 2006 : 35+श्रेणी(डबल्स): मलेशिया में आयोजित विश्व चैम्पियनशिप: कांस्य पदक
2. 2006: 35+श्रेणी(डबल्स): ताईवान में आयोजित विश्व चैम्पियनशिप: कांस्य पदक
3. 2017: 45+श्रेणी(डबल्स): भारत में आयोजित विश्व चैम्पियनशिप : कांस्य पदक
4. 2019: 50+श्रेणी(सिंगल्स) : पोलैंड में आयोजित विश्व चैम्पियनशिप: भागीदारी
संदर्भ स्रोत – स्व संप्रेषित एवं पूनम जी से बातचीत पर आधारित
© मीडियाटिक
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *