पटना। पटना हाईकोर्ट में हाल ही में तलाक को लेकर एक अहम टिपण्णी की है। उन्होंने साफ तौर से कहा है की पति या पत्नी दोनों की तरफ से तलाक के लिए अगर अपील की जा रही है तो सिर्फ आरोप लगा देने से उन दोनों को तलाक नहीं मिलने वाला है। इसके लिए दोनों को आरोप साबित करना होगा। उसके पुख्ता दस्तावेज सामने पेश करना पड़ेगा।
क्या है पूरा मामला
हाजीपुर के परिवार न्यायालय मे एक पति ने अपनी पत्नी के खिलाफ तलाक का केस किया है। केस करते समय पत्नी ने अपनी पत्नी पर मानसिक तौर पर बीमार होने की बात कही है। पति का कहना है की शादी के वक़्त मुझे ये सारी बातें नहीं बताई गई थी। इस आरोप पत्र के जवाब में पत्नी ने कहा कि हमारी शादी 2007 में हुई थी। लड़के वालों की तरफ से शादी के समय मे दहेज मांगी गई थी। जिसमें इन लोगों ने एक बड़ी गाड़ी की मांग की थी। मांग नहीं पूरी होने के कारण आरोप लगा कर तलाक मांग रहे हैं।
बताया जान का खतरा
लड़के का कहना है की उनकी पत्नी आम लोगों से असामान्य व्यवहार करती है। जिसके कारण कई बार मुझे जान का खतरा लगता है। एक बार मेरी पत्नी की हालत इतनी खराब हो गई थी की अपने ससुर जी को बुलाना पड़ा। उन्होंने आकार इसे दवा दी जिसके बाद ये बिल्कुल नॉर्मल हो गई। उसके बाद जब मैंने उस दवा के बारे मेडिकल में जांच करवाई तो पता चला ये दवा मानसिक रोगी को दी जाती है।
4 साल बाद दायर किया केस
दोनों पक्षों की तरफ से गवाह पेश किए गए लेकिन लड़की के मानसिक रोगी होने के जो भी कागज पेश किए गए। उसे कोर्ट के द्वारा दिए गए डॉक्टर्स को जांच के लिए नहीं दिए गए। हालांकि शादी 2007 में हुई थी और पति के द्वारा तलाक का केस 2011 में यानि की 4 साल बाद दर्ज की गया जबकि उसे पत्नी की बीमारी के बारे में शादी के तुरंत बाद ही पता चल गया था। उसके बाद भी उन्होंने केस करने में काफी समय लगा दिया। कोर्ट ने आगे कहा की लड़के के तरफ से अब तक यह नहीं बताया गया है कि ये बीमारी का कोई इलाज है या नहीं। कोर्ट ने आगे इस अपील को खारिज कर दिया।
सन्दर्भ स्रोत : द न्यूज़ पोस्ट
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