दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि पत्नी द्वारा पति को ‘बास्टर्ड’ (नाजायज) और उसकी मां को ‘वेश्या’ कहकर गाली देना वैवाहिक रिश्ते में मानसिक क्रूरता (Mental Cruelty) की श्रेणी में आता है। अदालत ने फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए तलाक के आदेश को बरकरार रखते हुए पति के पक्ष में फैसला सुनाया।
जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा कि पत्नी द्वारा नियमित रूप से अपमानजनक और निंदनीय शब्दों का प्रयोग करने से पति के आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है, और यह मानसिक रूप से असहनीय व्यवहार है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “दो गलतियां मिलकर सही नहीं बनतीं। लगातार और जानबूझकर की गई मौखिक गालियाँ तथा ऐसा आचरण, जो जीवनसाथी की गरिमा को चोट पहुंचाए, मानसिक क्रूरता के दायरे में आता है।”
मामले के अनुसार, दंपति की शादी जनवरी 2010 में हुई थी, लेकिन कुछ ही महीनों बाद दोनों में मनमुटाव शुरू हो गया। पति ने अदालत में दावा किया था कि पत्नी अक्सर उसे ‘बास्टर्ड’ और ‘सन ऑफ अ बिच’ कहती थी और उसकी मां को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां करती थी। कोर्ट ने पाया कि 2011 में भेजे गए कई संदेशों में असभ्य और निंदनीय भाषा का उपयोग किया गया था, जिसने पति को गहराई से मानसिक रूप से आहत किया।
अदालत ने कहा कि इस तरह के संवाद और अपशब्द किसी भी वैवाहिक रिश्ते की बुनियाद को कमजोर कर देते हैं। इसलिए फैमिली कोर्ट का तलाक का फैसला सही था। कोर्ट ने पत्नी की ₹50 लाख अलिमनी (गुजारा भत्ता) की मांग भी खारिज कर दी, यह कहते हुए कि उसके व्यवहार ने वैवाहिक जीवन को असहनीय बना दिया था।



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