अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के एक मामले में सुनवाई करते हुए कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा देखा गया है कि महिलाएं अक्सर अपने पति और ससुराल वालों पर दबाव बनाने के लिए दहेज के झूठे आरोप लगाती हैं। घरेलू हिंसा और क्रूरता के मामलों को और गंभीर बनाने के लिए ऐसा करती हैं। सुप्रीम कोर्ट ही नहीं बल्कि हाईकोर्ट ने भी कई मामलों में देखा है कि बढ़ा-चढ़ाकर आरोप लगाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। पति के हर रिश्तेदार को इसमें फंसाया जाता है। अदालत ने कहा कि अगर उनमें से कोई ऊंचे दर्जे या कमजोर स्थिति का होता है, तो वह सौदेबाजी और ब्लैकमेलिंग का आसान शिकार बन जाता है। गुजरात हाईकोर्ट ने दहेज उत्पीडन के आरोप लगाने वाली एक महिला की एफआईआर रद्द करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि बहुत सी महिलाएं दहेज के झूठे आरोप लगाती हैं।
जस्टिस डीए जोशी ने 2019 में एक महिला द्वारा अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। महिला ने उन पर आईपीसी की धारा 498ए के तहत क्रूरता का आरोप लगाया था। मारपीट, गाली-गलौज और आपराधिक धमकी के भी आरोप थे। उसने दहेज निषेध अधिनियम के प्रावधानों का भी हवाला दिया था। बाद में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत एक अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी।
महिला ने लगाए थे ये आरोप
आरोपियों ने हाईकोर्ट का रुख किया और प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया। उनका दावा था कि आरोप झूठे हैं। अदालत ने नोट किया कि शादी जनवरी 2018 में हुई थी। पत्नी ने जून 2019 में अपना वैवाहिक घर छोड़ दिया था। इसके बाद उसने प्राथमिकी और घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया। बाद में वह प्राथमिकी रद्द करने के लिए तैयार हो गई। अपने पति के साथ रहने के लिए वापस चली गई। लेकिन बाद में फिर से अपने माता-पिता के घर चली गई। उसने स्वेच्छा से अपना वैवाहिक घर छोड़ दिया था।
बढ़ा-चढ़ाकर आरोप लगाने की प्रवृत्ति बढ़ रही
कोर्ट ने कहा कि यह मामला दिखाता है कि कैसे दहेज और घरेलू हिंसा के कानूनों का दुरुपयोग हो सकता है। यह एक गंभीर मुद्दा है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। जस्टिस डीए जोशी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने कई मामलों में देखा है कि बढ़ा-चढ़ाकर आरोप लगाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
संदर्भ स्रोत: नवभारत टाइम्स
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