भारतीय साइकिल टीम के कैंप में चयनित होने वाली

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भारतीय साइकिल टीम के कैंप में चयनित होने वाली
मप्र की पहली साइकिलिस्ट बनी संध्या मौर्य

छाया: द भोपाल ऑफ सोशल साइंसेस के फेसबुक पेज से 

• अब टीम में जगह बनाने करेंगी मशक्कत

• कारपेंटर पिता ने उधारी के पैसों से दिलाई पुरानी साइकल

वर्ष 2022 में 18वें नेशनल गेम्स में चयन

इसी साल पंचकुला में हुए 19वें नेशनल गेम्स की डाउन हिल स्पर्धा में तीसरा स्थान और क्रास कंट्री में छठा स्थान हासिल किया

भोपाल। शहर की जाटखेड़ी बस्ती में अभावों के बीच बड़ी हुई संध्या मौर्य का चयन भारतीय साइकिल टीम के कैंप के लिए हुआ है। वे इस कैम्प में चयनित होने वाली मप्र की पहली साइकिलिस्ट बन गई हैं। परिवार की आय इतनी कम है कि आठ सदस्यों वाले परिवार का ठीक से भरण-पोषण तक नहीं हो पाता, लेकिन घर-घर जाकर फर्नीचर का काम करने वाले पिता राममिलन ने भी अपनी बेटी का सपना पूरा करने के लिए रुपये उधार लेकर पुरानी विदेशी साइकिल खरीदी। अब इसी पुरानी साइकिल के सहारे संध्या तिरुवनंतपुरम में कोच और पिता का सपना पूरा करने में जुटी हुई है। तेज गति से साइकिल चलाने वाली संध्या पर साइकिलिंग कोच डा. विशाल सिंह सेंगर की नजर पड़ी तो उन्होंने उसकी प्रतिभा को निखारना शुरू किया। दो साल में ही उसने दो राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में पहुंचकर शानदार प्रदर्शन कर दिखाया। उसके इस प्रदर्शन की बदौलत संध्या का चयन भारतीय साइकिल टीम के कैंप के लिए हुआ है। इस मुकाम तक पहुंचने वाली वह प्रदेश की पहली साइकिलिस्ट बन गई है।

कोच ने पहचानी प्रतिभा

संध्या ने स्कूली पढ़ाई के बाद वर्ष 2021 में भोपाल स्कूल आफ सोशल साइंसेस (बीएसएसएस) के शारीरिक शिक्षा विभाग में बीपीएड कोर्स में प्रवेश लिया। विभाग में पदस्थ भोपाल जिला साइकिल संघ के सचिव विशाल सिंह सेंगर बताते हैं कि उसकी कद-काठी और साइकिल चलाने के तरीके को देखकर मुझे लगा कि यह इस खेल में आगे जा सकती है। तब तक संध्या को पता भी नहीं था कि साइकिलिंग एक खेल भी है।

खराब साइकिल से पूरा किया 40 किमी का ट्रैक

सिंह बताते हैं कि वर्ष 2022 में संध्या का चयन 18वें नेशनल गेम्स में हुआ। हमने एक पुरानी सामान्य गियर वाली साइकिल लेकर प्रतियोगिता में भाग लिया। उसका प्रदर्शन तो अच्छा नहीं कह सकते, लेकिन उसने 40 किलोमीटर का ट्रैक पूरा किया। मैंने देखा कि उसकी साइकिल के गियर फंस रहे थे, ब्रेक चिपकने के कारण साइकिल भारी चल रही थी। मुझे आश्चर्य हुआ कि जब ऐसी खराब साइकिल में यह इतना कर सकती है, तो सुविधाएं मिल जाएं तो क्या कर दिखाएगी। हमने साइकिल के प्रोफेशनल माडल की तलाश की। संध्या के लिए सेकंड हैंड यूनाइटेड मियामी 0.4 साइकिल खरीदी। इस पुरानी साइकिल की कीमत 25 हजार रुपये हैं। इसके लिए पिता ने 15 हजार दिए और 10 हजार रुपये उधार लिए हैं। जबकि नई साइकिल 48 हजार रुपये की आती है।

बता दें कि साइकिल एसोसिएशन आफ इंडिया द्वारा देश के 33 प्रोफेशनल साइकिलिस्ट को इस कैंप के लिए चुना गया है। कैंप 21 दिन तक केरल के तिरुवनंतपुरम में लगेगा। संध्या टाइम ट्रायल स्पर्धा में हिस्सा लेती हैं, जिसमें 40 किमी की दूरी को सबसे कम समय में पूरा करना होता है। उन्होंने इसी साल पंचकुला में हुए 19वें नेशनल गेम्स की डाउन हिल स्पर्धा में तीसरा स्थान और क्रास कंट्री में छठा स्थान पाया था।

आसान नहीं है सफर

संध्या बताती हैं कि प्रोफेशनल साइकिलिस्ट बनना इतना आसान नहीं रहा। जब नेशनल खेलने जाती हूं, तब भी किराये के पैसे नहीं होते हैं। साइकिल की रिपेयरिंग और एक्सेसरीज भी खरीदना मुश्किल होता है, लेकिन पिताजी जैसे-तैसे रकम जुटा लेते हैं।

मनुआभान टेकरी और कोलार की पहाड़ियों में की तैयारी

संध्या ने कैंप में शामिल होने के लिए शहर की ऊंचे व पहाड़ी इलाकों पर साइकिल चलाकर प्रेक्टिस की है। इसके लिए उन्होंने के कोलार और मनुआभान टेकरी जैसे स्थान चुने। उन्होंने प्रतिदिन दो से तीन घंटे अभ्यास कर 50 से 60 किमी की साइकिलिंग की है। संध्या के कोच ने बताया कि प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी खिलाड़ी का चयन माउंटेन बाइक के लिए भारतीय टीम के कैंप में हुआ है। उसमें बहुत प्रतिभा है, वह साइकिलिंग के क्षेत्र में देश का नाम रोशन करेगी।

सन्दर्भ स्रोत: नई दुनिया

 

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