भोपाल की अक्षिता ने वाइल्ड क्लिक

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भोपाल की अक्षिता ने वाइल्ड क्लिक
फोटोग्राफी में जीता दूसरी बार खिताब

छाया : भास्कर

वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाली भोपाल की 24 वर्षीय युवा फोटोग्राफर अक्षिता जैन ने भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में आयोजित वाइल्ड क्लिक की दसवीं फोटोग्राफी प्रतियोगिता में पहला पुरस्कार (1 लाख रुपए) अपने नाम किया। यह प्रतियोगिता नेचर वंडर्स संस्था की द्वारा (दसवां सीजन) 25 से 29 जनवरी तक आयोजित की गई थी। अक्षिता इस प्रतियोगिता में 7वें सीजन से भाग ले रही हैं। 9वें सीजन में भी वे पहले नंबर आई थी।

बता दें कि यह देश की एकमात्र लाइव फोटो प्रतियोगिता है, जिसमें फोटोग्राफर्स को एक विषय दिया जाता है और उन्हें दस तस्वीरों के माध्यम से एक पूरी कहानी बयां करनी होती है।

पेशे से साफ्टवेयर इंजीनियर अक्षिता को बचपन से ही फोटोग्राफी का शौक था। उनकी खींची गई तस्वीरें नेशनल ज्योग्राफिक, डिस्कवरी और वाइल्ड एशिया जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने पिछले साल पन्ना टाइगर रिजर्व में खिताब जीता था। इस बार भरतपुर में दूसरी बार विजेता बनने वाली पहली महिला फोटोग्राफर बनकर उन्होंने प्रतिभा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर दिया है।

फोटोग्राफी में दर्शाई केवलादेव की कहानी

फोटोग्राफर को दस तस्वीरों में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के इतिहास, जैव विविधता, संकट और संभावनाओं को प्रस्तुत करना था। अक्षिता ने सबसे पहले उद्यान के इतिहास का अध्ययन किया और फोटोग्राफी के माध्यम से इसकी पूरी कहानी दर्शाई। उनकी पहली तस्वीर में यह दिखाया गया कि कैसे केवलादेव शिकारगाह से पक्षी प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए स्वर्ग में बदल चुका है। एक तस्वीर में जल प्रबंधन के बदलाव से विलुप्त होती जाल लिली को दिखाया गया, जो उद्यान की नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र की कहानी कहती है। एक अन्य तस्वीर में नीलगाय झील में तैरती और प्रवासी पक्षी आसमान में जाते नजर आते हैं, जो उद्यान की समृद्ध जैव विविधता को दर्शाती है। उन्होंने केवलादेव के सबसे पुराने कर्मचारी भोलूखान की तस्वीर भी ली, जिन्होंने प्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक डॉ. सालिम अली के साथ काम किया था। इस प्रतियोगिता में अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफरों से बहुत कुछ सीखने को मिला।

शौक बन गया पैशन

अक्षिता सफलता का श्रेय अपने पिता पुष्पेन्द्र जैन और बड़ा तालाब पर किए गए अभ्यास को देती है। उन्होंने बताया कि उनके पिता के पास एक कैमरा था, जिससे वे फोटो क्लिक करती थी। जब उनके पिता ने देखा कि उन्हें फोटोग्राफी का शौक है तो उन्होंने एक DSLR कैमरा उन्हें उपहार में दिया। इसके बाद अक्षिता का यह शौक पैशन बन गया। वे बताती हैं बचपन से ही बड़ा तालाब उनका प्रशिक्षण स्थल रहा है और जब भी वह भोपाल में होती हैं, तो फोटोग्राफी के लिए जरूर जाती हैं।

सन्दर्भ स्रोत : नवदुनिया

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