छाया: जनसता डॉट कॉम
• राकेश दीक्षित
बतौर कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक (ragini nayak) टीवी न्यूज़ चैनलों पर अक्सर नज़र आती हैं। वे हिंदी और अंग्रेजी में अपनी पार्टी का पक्ष दमदारी से रखने में माहिर हैं। उत्तेजना भड़काने और सत्ता -प्रतिष्ठान का निर्लज्जता से साथ देने के लिए कुख्यात न्यूज़ एंकरों के साथ बहस में भी रागिनी मूल विषय से नहीं भटकतीं। बहस के मुद्दे पर अच्छी तैयारी के साथ चैनलों पर आती हैं। कांग्रेस या उनके नेताओं पर अनावश्यक या आपत्तिजनक टिप्पणियों का करारा जवाब देने से भी नहीं चूकतीं। बहस के दौरान उनकी आवाज़ सामने वाले की आवाज़ के अनुरूप गर्म या नर्म होती है। न वे एंकर से दबती दिखाई देती हैं न प्रतिपक्षी प्रवक्ताओं से। बहसबाज़ी में प्रतिद्वंदियों से लोहा लेने की कला रागिनी ने अपने कॉलेज के दिनों में ही सीख ली थी। घर की समृद्ध सांस्कृतिक ,शैशणिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि का भी उन्हें फायदा मिला। खूब पढ़ने -लिखने के संस्कार परिवार में कई पीढ़ियों से थे। रागिनी ने गौरवशाली विरासत को मुखरित किया है।
इन्हें भी पढ़िये -
करुणा शुक्ल: अपने दम पर राजनीतिक पहचान बनाने वाली पूर्व प्रधानमंत्री की भतीजी
रागिनी के पिता मनोहर नायक पेशे से पत्रकार (Manohar Nayak is a journalist) हैं। वे जनसत्ता समाचारपत्र से 1982 में इसके जन्म से ही जुड़े थे और सेवानिवृत्त होने तक वहीँ जमे रहे। रागिनी के दादा गणेश प्रसाद नायक जबलपुर में अत्यंत प्रतिष्ठित समाजवादी नेता (Dada Ganesh Prasad Nayak, Jabalpur renowned socialist leader) थे। महात्मा गाँधी के परम अनुयायी और जयप्रकाश नारायण के निकट सहयोगी गणेश प्रसाद नायक ने आज़ादी की लड़ाई में अनेक वर्ष कारावास में बिताये। आपातकाल में भी वे पूरे 19 महीने जेल में रहे। स्वर्गीय नायक को सादा जीवन जीने और समाजवादी मूल्यों के प्रति अटूट निष्ठा के लिए आज भी सम्मान से याद किया जाता है। रागिनी की दादी गायत्री नायक (Grandma Gayatri Nayak) संगीत की विलक्षण शिक्षक थीं। महान छायावादी कवयित्री महादेवी वर्मा के इलाहाबाद संस्थान से साहित्य और संगीत में दीक्षित गायत्री नायक वर्षों तक जबलपुर के भातखण्डे संगीत विद्यालय में प्राचार्य रहीं। रागिनी के फूफा और अद्वितीय पर्यावरण विशेषज्ञ स्वर्गीय अनुपम मिश्र (Environmental Expert Late Anupam Mishra) का नाम पूरे देश में विख्यात है।
रागिनी का जन्म 21 सितम्बर ,1982 को जबलपुर में हुआ। जनसत्ता में नौकरी पाकर मनोहर दिल्ली चले गए। यहीं रागिनी की सारी पढाई -लिखाई हुई।उसने अंग्रेजी भाषा साहित्य में स्नातक और स्नातकोत्तर उपाधि दिल्ली विश्वविद्यालय से हासिल की। बाद में लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री ली। इसी दौरान वह राजनीति में सक्रिय हुई। संगठनात्मक क्षमता और निरंतर मंजती वाककला की बदौलत छात्र राजनीति मे रागिनी लोकप्रिय होती गईं। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (Indian National Students Organisation) में उनका कद बढ़ता गया। वर्ष 2005 में वे दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष चुनी गईं। बाद में वह एनएसयूआई की राष्ट्रीय महासचिव बनी।
इन्हें भी पढ़िये -
बहुआयामी व्यक्तित्व की राजनेता जयश्री बनर्जी
वर्ष 2012 में रागिनी लक्ष्मी बाई कॉलेज के अंग्रेजी विभाग में सहायक प्राध्यापक नियुक्त हुई। लेकिन उनका मन पूर्णकालिक राजनीति करने का था। वे अपने अद्भुत संवाद कौशल को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहती थीं। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने उन्हें दिल्ली प्रदेश इकाई के प्रवक्ताओं के समूह में शामिल कर लिया। 2015 में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति ने विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में नई जान फूंकने के लिए एक दस -सदस्यीय समिति गठित की और रागिनी को उसमे जोड़ा। आज रागिनी कांग्रेस की महिला नेत्रियों में सारे देश में जाना माना नाम है। रागिनी उन राजनीतिज्ञों में से नहीं हैं जो सिर्फ राजनीति ही करते है ,उसे ही ओढ़ते -बिछाते हैं, उसी में ही साँस लेते हैं। उनकी विविध रुचियों में खेल, संगीत, पाक कला और साहित्य शामिल हैं। रागिनी को लिखने और यात्रा करने का भी शौक है।
वर्ष 2013 में रागिनी ने भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के हमसफ़र अशोक बसोया (Ashok Basoya) से विवाह किया। अशोक दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ में उपाध्यक्ष रह चुके हैं। वे पेशे से वकील हैं और कांग्रेस की राष्ट्रीय समिति में सदस्य हैं। रागिनी और अशोक का एक पुत्र है जिसका नाम अभ्युदय है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।
© मीडियाटिक
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *