नौ शिक्षिकाएं - जिन्होंने नवाचार से विद्यार्थियों को नई दिशा दी

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नौ शिक्षिकाएं - जिन्होंने नवाचार से विद्यार्थियों को नई दिशा दी

कहते हैं गुरु के बिना ज्ञान नहीं मिलता। गुरु ही हैं जो बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारने का काम करते हैं। वे बच्चों को सिर्फ शिक्षित ही नही करते, बल्कि चरित्र निर्माण भी करते हैं। जब वही गुरु जब स्त्री होती है, तो निश्चित ही उसमें गुरु के अलावा ममता का भाव भी छिपा होता है। आज शिक्षक दिवस पर पढ़ते हैं कुछ ऐसी ही शिक्षिकाओं के बारे में जिन्होंने अपने शिष्यों को कला, स्पोर्ट्स और शिक्षा के क्षेत्र में ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।

• पूजा पवार: खुद की तनख्वाह से जर्जर स्कूल की कराई मरम्मत

राजगढ़ जिले के गांव बडवेली के प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका पूजा पवार की की कहानी काफी प्रेरक है। 2007 में यहां पदस्थ होने  के बाद उन्होंने खुद की तनख्वाह से बीस साल पुराने दो कमरों के इस जर्जर स्कूल की मरम्मत कराई। स्कूल में सिर्फ सात बच्चों का दाखिला देखकर वे हैरान रह गई। उन्होंने गांव में घर -घर जाकर लोगों को शिक्षा का महत्व बताया। इतने पर भी बात नही बनी तो अपने दोनों बच्चों का भी इसी सरकारी स्कूल में दाखिला कराया। इतना सब होता देख गांव के लोगों का इस शिक्षिका पर भरोसा बढ़ने लगा। धीरे-धीरे स्कूल में एडमिशन लेने वाले बच्चों की तादाद बढ़ने लगी। इसका असर यह हुआ कि स्कूल में बच्चों की तादाद बढ़कर 7 गुनी हो गई। स्कूल में अकेली शिक्षक होने के कारण कक्षा पहली से लेकर पांचवीं तक की सभी कक्षाओं को एक साथ पढ़ाने में पूजा को  व्यावहारिक दिक्कत हो रही थी। उन्होंने अपने एंड्रॉयड मोबाइल फोन से वीडियो बनाकर दूसरी कक्षाओं में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। इसका असर यह हुआ कि प्राइवेट स्कूलों से 70 फीसदी बच्चों ने इस स्कूल में एडमिशन लिया। पूजा को आज राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

फातिमा बानो: गांव-देहात से खोजीं महिला प्रतिभाएं

घर से लेकर समाज तक के विरोध को नजरअंदाज कर कुश्ती में बड़ी उपलब्धियां हासिल कर देश की पहली महिला कुश्ती कोच बनीं फातिमा ने 1997 में पहली महिला सीनियर नेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था। वर्तमान में वे अंतरराष्ट्रीय कुश्ती कोच हैं और प्रदेश के नए पहलवान तैयार करने में जुटी हैं।  वर्तमान में फातिमा भोपाल में सर्वश्रेष्ठ कुश्ती कोच का दायित्व निभा रही हैं। उन्होंने खुद के खर्च से कई अंतरराष्ट्रीय स्तर की महिला कुश्ती खिलाड़ियों की जमात तैयार की। वे गीता, बबीता फोगाट और साक्षी मलिक जैसी नामी पहलवानों को भी राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में ट्रेनिंग दे चुकी हैं। फातिमा शुरुआत में जूडो की खिलाड़ी रहीं थीं। फातिमा 2001 में मध्य प्रदेश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार विक्रम अवार्ड से सम्मानित हो चुकी हैं और यह मुकाम हासिल करने वाली वह मध्य प्रदेश की पहली कुश्ती खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2002 से कोच के रूप में दूसरी पारी शुरू की और गांव-देहात से ऐसी महिला प्रतिभाएं खोजीं जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक मेडल जीतने मे कामयाब रही।

जयश्री सवागुंजी: शिष्यों के लिए छलकता है मातृत्व का भाव

जयश्री सवागुंजी पिछले 20 सालों से संगीत की शिक्षा दे रही हैं। इनकी प्रसिद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में इनकी विजयश्री संगीत विद्यालय की चार शाखाएं भोपाल में संचालित हैं। उनके शिष्यों में 6 साल की उम्र से लेकर 60 साल तक के बुजुर्ग भी हैं। कईयों ने पीएचडी, संगीत विशारद किया है, प्ले बैक सिंगिंग कर रहे हैं, दूरदर्शन में प्रस्तुति दे चुके हैं। उनके अंदर मातृत्व का भाव इस कदर भरा है कि वह पल-पल छलकता है।

नीरजा सक्सेना:  भरतनाट्यम ही नहीं, जीवन जीने की कला भी सिखाती हैं

भोपाल में बीते 13 सालों से नृत्य मंजरी कला पीठ के नाम से भरतनाट्यम नृत्य संस्थान संचालित कर रही नीरजा सक्सेना अभी तक तक सैकड़ों स्टूडेंट्स को भरतनाट्यम सिखा चुकी हैं। यही वजह है कि इन्हें नृत्य गुरु सम्मान, सर्वश्रेष्ठ गुरु सम्मान सहित कई सम्मान मिल चुके हैं। नीरजा के वर्तमान में 60 से अधिक शिष्य हैं। उनकी शिष्या कहती हैं “हमारी गुरु मां हमें केवल नृत्य में ही प्रशिक्षित नहीं कर रहीं, बल्कि जिंदगी के बारे में भी हमें बहुत कुछ सिखाती हैं। वे हमें अपने बच्चों की तरह स्नेह करती हैं।”

• बच्चों में छिपी प्रतिभा पहचानकर उसे निखारती हैं डॉ. फायका

मध्यप्रदेश की विख्यात शिक्षाविद डॉ. फायका सौलत खान को शिक्षा के क्षेत्र में कई अवॉर्ड मिल चुके हैं। वर्तमान में वे एक निजी स्कूल की प्रिंसिपल हैं। वे 30 साल से इस क्षेत्र में हैं और उनके स्टूडेंट डॉक्टर, इंजीनियर, सीए, जर्नलिस्ट, राइटर बन कर आज कई बड़े पदों पर देश-विदेश में नाम कमा रहे हैं। डॉ.फायका खूबी है कि वे बच्चे के अंदर की खूबी पहचानती हैं और उसे बताती हैं कि ये तुम्हारी खूबी है, तुम्हें इस पर काम करना चाहिए। वो उसे प्रोत्साहित करती हैं। उनकी स्टूडेंट डॉ. सामिया हुसैन बताती हैं कि जब मैं क्लास 9 में थी, तो वे मेरी क्लास टीचर थी। उनकी खासियत ये है कि वे हर स्टूडेंट के अंदर की खूबी को पहचान कर उसे बाहर लाने का काम करती हैं। वे हमेशा बच्चों से कहती हैं कि तुम अच्छा कर रहे हो और तुम इससे भी बेहतर कर सकते हो। उन्होंने मेरे अंदर छिपी नेतृत्व क्षमता को पहचाना और उसे विकसित किया। उन्होंने मुझे सिखाया कि कभी भी किसी भी विषय पर, कभी भी बोलने का मौका आए तो घबराना नहीं, पूरे विश्वास के साथ बोलना।  

गीतिका पंत:  हर मुसीबत में खिलाड़ियों के साथ खड़ी रहने वाली प्रशिक्षक

जूडो प्रशिक्षक गीतिका पंत मध्यप्रदेश राज्य जूडो अकादमी में 2014 से बतौर प्रशिक्षक कार्यरत हैं। वे डबल ब्लैक बेल्ट हैं। इनके नाम कई गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल हैं। इसके साथ ही वे रेसलिंग भी करती हैं। उन्हें मध्यप्रदेश सरकार की ओर से 2001 में एकलव्य अवॉर्ड और टीटी नगर स्टेडियम में बेस्ट कोच का अवॉर्ड भी मिल चुका है। अपने इतने सालों के अनुभवों को अब खिलाड़ियों से साझा कर रही हैं। उनसे प्रशिक्षण ले रहे मृत्युंजय पांडे बताते हैं कि मैं गीतिका मैम से 2015 से जूडो सीख रहा हूं। आज तक मैंने जो भी हासिल किया  है, उसका श्रेय उन्हें ही जाता है, क्योंकि उनका मार्गदर्शन मुझे हमेशा मिला, फिर बात चाहे जूड़ो से संबंधित हो या पर्सनल लाइफ की समस्या हो। ऐसे कई मौके आए हैं जब मुझे नेशनल और स्टेट कॉम्पीटिशन में भाग लेना था और मेरे पास रुपए नहीं थे। तब उन्होंने मेरे रुपए भरे। खाने तक के रुपए दिए। उनके योगदान को मैं कभी भूल नहीं सकता। वहीं राहुल गौड़ ने बताया कि वे अपने जीवन के अनुभवों को हमसे समय-समय पर साझा करती रहती हैं ताकि हम कोई गलती न करें। घर, स्कूल, कॉलेज, कॉम्पीटिशन हर जगह मुसीबत आने पर वह साथ खड़ी होती है। पिछले साल मेरे घुटने में चोट लग गई थी। दो महीने के आराम के बाद उन्होंने मुझे जूड़ो खेलने के लिए दोबारा तैयार किया।

 डॉ. सुनीता गुप्ता: पहेलियों से तैयार की विधियां

छात्रों के बीच विज्ञान विषय को आसान बनाने के लिए जबलपुर केन्द्रीय विद्यालय जीसीएफ की  शिक्षिका डॉ. सुनीता गुप्ता ने कई इनोवेटिव विधियां तैयार की हैं। उन्होंने विज्ञान पहेलियां, जीआइएफ इमेज क्रिएशन, थ्रीडी डाइमेंशन स्ट्रक्चर, ह्यूमन ब्रेन के लिए थ्रीडी प्रोसेस बनाया है। इसके साथ ही आउटलाइन मैप, मॉडल्स, पीपीटी, वीडियोज टेक्निक से डिफिकल्ट कॉन्सेप्ट क्लीयर करती हैं।

 विनीता पैगवार:  कविताओं में पिरोए उत्तर

शासकीय स्कूल गढ़ा आनंद कुंज (जबलपुर) की हिन्दी शिक्षिका विनीता पैगवार अपना साहित्य प्रेम बच्चों को लुटाती हैं। उन्होंने हिन्दी के बड़े सवाल और विशेष दिनांक को याद करवाने के लिए बच्चों के लिए कविताएं तैयार की हैं। सिर्फ हिन्दी ही नहीं, बल्कि अन्य विषयों को भी वे कविताओं के जरिए पढ़ाकर आसान बना रहीं हैं। वे कहती हैं बच्चों को कविताएं जल्दी याद होती हैं। जो बच्चे पढ़ाई में पीछे थे वे भी अब आगे बढ़ रहे हैं।

 हुनर  पहचानकर  ​व्यक्तित्व निखारती हैं डॉ. सुलेखा मिश्रा

शासकीय मानकुंवर कॉलेज जबलपुर की डॉ. सुलेखा मिश्रा उन शिक्षिकाओं में से हैं जो छात्राओं ​के समग्र कौशल और ​व्यक्तित्व निखारने पर जोर देती हैं। वे कहती हैं कि कॉलेज में शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों से छात्राएं आती हैं। उनके पास बेहिसाब हुनर होता है। उनके हुनर को पहचानकर रोजगार दिलवाना और शासकीय योजनाओं का लाभ दि​लवाने का काम प्रमुखता में होता है।

संदर्भ स्रोत: विभिन्न समाचार पत्र 

संपादन: मीडियाटिक डेस्क

 

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