छाया : इंडल्ज एक्सप्रेस डॉट कॉम
प्रतिभा- टेलीविजन, सिनेमा और रंगमंच
30 मार्च 1992 को इंदौर के एक वैश्य परिवार में जन्मी पलक मुछाल का नाम कभी किसी परिचय को मोहताज नहीं रहा। वे सिर्फ एक सफल और स्थापित पार्श्व गायिका ही नहीं हैं, बल्कि अप्रतिम समाजसेवी भी हैं। ख़ास बात यह है कि वह अपनी गायिकी के जरिये ही जरुरतमंदों की मदद करती हैं। पलक के पिता राजकुमार जी निजी कंपनी में काम करते हैं और माँ अमृता मुछाल गृहिणी हैं। पलक ने आठवीं तक की शिक्षा श्री अग्रसेन विद्यालय, स्नेह नगर, इंदौर से पूरी की और आगे की पढ़ाई क्वींस कॉलेज, इंदौर से पूरी की। सेलिब्रेटी का दर्जा उन्हें छुटपन में ही हासिल हो गया था, जब उन्होंने हृदय रोग से पीड़ित बच्चों की मदद को अपने गायन का मकसद बना लिया। उनकी लोकप्रियता देखते हुए स्कूल ने उन्हें अपना ब्रांड एम्बेसडर घोषित कर दिया। इंदौर के अन्य स्कूलों से उन्हें अपने यहाँ पढ़ने के लिए बुलावा आने लगा था लेकिन उन्होंने क्वींस कॉलेज नहीं छोड़ा। स्टेज शो के लिए वे प्रायः कक्षा से अनुपस्थित रहती थीं जिसकी वजह से उनके साथ पढ़ने वाली अन्य छात्राएं नाराज भी रहती थीं। दैनिक भास्कर को दिए गए साक्षात्कार में क्वींस कॉलेज की सेवानिवृत्त शिक्षिका लता भवरासकर विप्रदास ने बताया कि उस समय उन्होंने छात्राओं को समझाया था कि जिस तरह खेल-कूद में हिस्सा लेने वाली छात्राओं को उपस्थिति में छूट मिलती है, उसी तरह ब्रांड एम्बेसेडर को भी छूट दी जाती है। उल्लेखनीय है कि पलक के छोटे भाई पलाश मुछाल भी गायन में रूचि रखते हैं। पलक की संगीत यात्रा से लेकर समाजसेवा तक में उनका साथ देने वाले पलाश अब एक संगीतकार हैं।

अद्वितीय प्रतिभा की धनी पलक 4 वर्ष की आयु में कल्याणजी-आनंदजी लिटिल स्टार की सदस्य बन चुकी थीं। इस ग्रुप की वह सबसे छोटी सदस्य थीं। उन्हें छः वर्ष की आयु में लगभग 3 सौ गाने याद थे। वे बचपन से ही पार्श्व गायिका बनना चाहती थीं। उनका पहला एल्बम ‘चाइल्ड फॉर चिल्ड्रन’ वर्ष 2001 में टिप्स म्यूजिक कंपनी से आया । उस समय उनकी आयु मात्र 9 वर्ष थी। वर्ष 2003 में उनका दूसरा एल्बम ‘पलकें’ रिलीज हुआ इसके बाद से ‘आओ तुम्हें चाँद पर ले जाएं’ ‘बेटी हूँ महाकाल की’, दिल के लिये और जय जय देव गणेश जैसे एल्बमों का ताँता लग गया और उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2006 में अपनी किस्मत आजमाने पलक इंदौर से मुंबई चली गयीं। वर्ष 2011 में उन्हें फिल्म ‘दमादम’ में पार्श्व गायन का पहला अवसर मिला। वर्ष 2014 में हिमेश रेशमिया के संगीत निर्देशन में मीका सिंह के साथ ‘जुम्मे की रात’ गया जो साल का सुपरहिट गाना रहा। इसके बाद के सालों में उन्होंने कई सुपर हिट गाने गाए। जिस फिल्म का संगीत निर्देशन हिमेश रेशमिया करते थे, उसमें एक गाना पलक का ज़रूर होता था। उन्हीं दिनों अभिनेता सलमान खान से उनकी मुलाक़ात हुई जिन्होंने उनके करियर को आगे बढ़ाने में मदद की। बॉलीवुड को पलक ने कई सुपरहिट गीत दिए। अब तक 17 से अधिक भाषाओं में वे 100 से अधिक गीत गा चुकी हैं ।
समाज सेवा के क्षेत्र में पलक का योगदान
'पलक मुछाल हार्ट फाउंडेशन' के माध्यम से पलक अब तक अनगिनत बच्चों के दिल का ऑपरेशन करवा चुकी हैं। यह फाउंडेशन भारत के अलावा पाकिस्तान और थाईलैंड के बच्चों की सर्जरी भी करवा चुका है। वर्ष 1999 में पलक जब महज 7 साल कि थीं और कारगिल में युद्ध छिड़ा हुआ था, तब उन्होंने शहीद सैनिकों के परिवार की मदद के लिए इंदौर शहर के बाजारों में स्थित दुकानों के सामने गाने गाकर 25 हज़ार रूपये जमा किये जिसकी मीडिया में काफ़ी चर्चा हुई थी। उसी साल उड़ीसा चक्रवात की चपेट में आ गया था, तब भी अपने गायन के माध्यम से राशि इकठ्ठा कर पलक ने तूफ़ान पीड़ितों की मदद की थी। इसी क्रम में इंदौर के निधि विनय शाला के शिक्षकों ने अपने छात्र लोकेश की मदद के लिए पलक से संपर्क किया, क्योंकि लोकेश बहुत ही गरीब परिवार से था और उसे अपनी सर्जरी के लिए 80 हज़ार रूपयों की ज़रुरत थी। पलक ने लोकेश की मदद के लिए सड़क पर खड़े ठेले को ही मंच बनाकर गाना शुरू कर दिया और पर्याप्त धनराशि जुटा ली। पलक के इस प्रयास की चारों ओर चर्चा हुई, इसका नतीजा बेंगलुरु के जाने माने चिकित्सक डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी द्वारा लोकेश की निःशुल्क सर्जरी करने की पेशकश के रूप में सामने आया। इसके बाद से पलक से जुड़ी ऐसी कई कहानियां सामने आईं। अपने फाउंडेशन के माध्यम से वे हृदय रोग से जुड़े बच्चों की जान बचा रही हैं। पैसे की कमी की वजह से किसी बच्चे की सर्जरी न रुके, इसलिए इंदौर के भंडारी हॉस्पिटल ने पलक मुछाल हार्ट फाउंडेशन को 10 लाख रूपये तक का ओवरड्राफ्ट की सुविधा दी है। उनके जीवन को प्रेरणादायी मानते हुए उनकी जीवनी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल और महाराष्ट्र बोर्ड द्वारा सातवीं कक्षा की नैतिक शिक्षा पाठ्यक्रम में दर्ज है। उल्लेखनीय है कि समाज सेवा में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए पलक का नाम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड और लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड में भी दर्ज है। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय संस्था रोटरी क्लब द्वारा इन्हें पॉल हैरिस फेलोशिप भी प्रदान की गई है। उन्हें पद्मश्री देने का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजा गया, परन्तु कम उम्र होने के कारण उस पर कार्रवाई नहीं हो सकी।
बेहद खूबसूरत और घुंघराले बालों वाली पलक ने 6 नवम्बर 2022 को मिथुन शर्मा से विवाह कर लिया। मिथुन जाने माने संगीतकार परिवार से हैं, उनके चाचा प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा, लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल जोड़ी में एक थे। वो लम्हे और आदत मिथुन द्वारा संगीतबद्ध किये गए सुपरहिट गाने हैं।

उपलब्धियाँ
वर्ष 2000: नेशनल चाइल्ड अवार्ड: रजत पदक
वर्ष 2001 ; राष्ट्रीय समन्वय पुरस्कार
वर्ष 2005: राजीव गांधी अवार्ड
वर्ष 2005: ‘कैंडीमैन कुछ भी करेगा” पोगो चैनल द्वारा
वर्ष 2006: सोनी टीवी कैडबरी बॉर्नविटा कॉन्फिडन्स चैम्पियनशिप
वर्ष 2006: युवा ओजस्विनी अलंकरण
वर्ष 2011: वीरांगना अवार्ड
वर्ष 2011: 10वां वार्षिक केल्विनेटर ग्रेट वीमेन अचीवर पुरस्कार
वर्ष 2012: 19वां सुर आराधना पुरस्कार
वर्ष 2012: गीत लापता (एक था टायगर) गाने के लिए 19वां लायंस गोल्ड पुरस्कार
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