छाया : ईस्ट मोजो
· मौलाना अबुलकलाम आज़ाद की है नवासी
· 1962 में पक्षियों की ह्रदय संरचना पर मिली पीचडी
· 1969 में सक्रिय राजनीति में शामिल हुईं
· 1972 में बन गई कांग्रेस कमेटी की संयुक्त सचिव
डॉ. नजमा हेपतुल्ला (dr-najma-heptulla) उन राजनीतिज्ञों में से हैं, जिनका व्यक्तित्व बहुत समय तक राजनैतिक मंचों पर हलचल पैदा करता रहा। कहना न होगा, कि इसके पीछे उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि, अध्ययन की व्यापकता और वक्तृत्व क्षमता का मुख्य योगदान रहा है। राज्यसभा उपाध्यक्ष (Deputy Speaker of Rajya Sabha) के नाते उनका विधि सम्मत और निष्पक्ष सभा संचालन सदस्यों को बहुत प्रभावित करता रहा। इसीलिए उनकी लोकप्रियता दलीय सीमाओं को लांघते हुए सर्वव्यापी हो गई।
नजमा जी स्वाधीनता संग्राम सेनानी, शिक्षाविद् एवं आजाद भारत के प्रथम शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम (maulana abul kalam) की नवासी हैं। उनकी दादी श्रीमती फातमा बेगम (Fatma Begum) मौलाना अबुल कलाम आजाद की सगी बहन थीं । वह इंस्पेक्टर ऑफ़ स्कूल (inspector of school) के पद पर तैनात थीं। नजमा जी का जन्म 13 अप्रैल,1940 को भोपाल में हुआ। उनके पिता सैयद युसूफ अली और मां श्रीमती फातिमा युसूफ अली ने उन्हें बचपन से ही उच्च लक्ष्य निर्धारित करने की सीख दी। 1960 में उन्होंने मोतीलाल नेहरू विज्ञान महाविद्यालय से एमएससी ज़ूलॉजी प्रथम श्रेणी से उतीर्ण हुईं। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन (Vikram University Ujjain) से ही मात्र 22 वर्ष की आयु में उन्होंने 1962 में पक्षियों की हृदय संरचना पर पर पीएचडी उपाधि प्राप्त की। उन्हें आगरा विश्वविद्यालय ने भी डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की। श्रीमती हेपतुल्ला ने पांच वर्षों तक काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एण्ड इंडस्ट्रियल रिसर्च (council of scientific and industrial research) के जूनियर और सीनियर फैलोशिप पर शोध कार्य किया तथा दो वर्षों तक मेातीलाल विज्ञान महाविद्यालय भोपाल (Motilal Science College Bhopal) में अध्यापन का कार्य भी किया।
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7 दिसम्बर,1966 को नजमा जी का निकाह गुजरात के बड़े व्यापारिक घराने के सदस्य अकबर अली हेपतुल्ला (Akbar Ali Heptulla) से मुंबई में हुआ। संयोग से उनके ससुराल वालों का भी रूझान राजनीति की ओर था। डॉ हेपतुल्ला का राजनीति में प्रवेश 1969 में हुआ, जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) का बंबई में अधिवेशन हुआ था। इसी अधिवेशन के दौरान नजमाजी ने औपचारिक रूप से सक्रिय राजनीति में सम्मिलित हुईं। 1972 में वे कांग्रेस कमेटी की संयुक्त सचिव (Joint Secretary, Congress Committee) बना दी गईं। सौम्य और मिलनसार होने के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनका प्रभाव फैलता गया। कुशल नेतृत्व और कार्य क्षमता के बल पर वे पहली बार 1980 में महाराष्ट्र राज्य से राज्यसभा के लिए चुनी गईं । 1985 में पहली बार राज्यसभा की उपसभापति (Deputy Chairman of Rajya Sabha) बनीं। 1985 से 1986 तथा 1988 से जुलाई 2007 तक इस सदन की उपसभापति रही हैं। इस पद पर आसीन होने वाली मध्यप्रदेश की वे पहली महिला थीं। उन्होंने पार्टी में युवा गतिविधियों में कई नए आयाम जोड़े। उनकी नेतृत्व क्षमता को देखते हुए राजीव गांधी (rajiv gandhi) ने उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव (All India Congress Committee General Secretary) के साथ-साथ पार्टी प्रवक्ता (Party spokesperson) का भी कार्यभार सौंपा।
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सन् 1988 में पुन. चार वर्षीय राज्यसभा कार्यकाल की उपसभापति चुन ली गईं। 1992 में तीसरी बार राज्यसभा में चुनकर आ गईं और सभा की उपसभापति चुनी गईं। 10 जुलाई 1998 में चौथी बार राज्यसभा की उपसभापति निर्वाचित हुईं। राज्यसभा में उपसभापति पद पर रहते हुए 1993 में वे अंतर संसदीय संघ के महिला संसदीय समूह की संस्थापक अध्यक्ष बनीं और 16 अक्टूबर 1999 से 27 सितम्बर, 2002 तक लगातार इस समूह की अध्यक्ष रहीं। डॉ. हेपतुल्ला को इस बीच भारतीय सांस्कृतिक परिषद का प्रमुख भी मनोनीत किया गया । संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की मानद राजदूत रहीं और उन्होंने 1997 तक संयुक्त राष्ट्र आयोग के महिला समूह के प्रतिनिधि मण्डल का नेतृत्व किया।
उनके अध्ययन और राजनीतिक उपलब्धियों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। नजमा जी 1982-96 तक हार्वड विश्वविद्यालय के मिडिल ईस्टर्न स्टडीज़ में सलाहकार रहीं। वह लंदन ज़ूलॉजिकल सोसाइटी से जुड़ी हैं। उन्होंने ‘एड्स’ शीर्षक से एक पुस्तक लिखी, जिसमें मनुष्य के सामाजिक सुरक्षा,स्थायित्व, विकास, पर्यावरण, पश्चिम एशिया और भारतीय महिलाओं के सुधार पर तुलनात्मक अध्ययन जैसे विषय शामिल हैं। मध्य एशिया से उनका विशेष संबंध रहा। वह इण्डो- अरब सोसाइटी की अध्यक्ष रही। एक कुशल कूटनीतिज्ञ की तरह उन्होंने भारतीय संस्कृति और व्यापार को मध्य एशिया में नये आयाम दिए।
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श्रीमती हेपतुल्ला ने 2004 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। पार्टी छोड़ते समय उन्होंने सोनिया गांधी पर कई आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति पद के लिए वह कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनाव लड़ना चाहती थीं, लेकिन सोनिया जी का कहना था कि राष्ट्रपति पद पर अभी डॉ. एपीजे अबुल कलाम आसीन हैं। सोनिया गांधी के इस निर्णय से वह आहत हुई और उन्होंने संयुक्त जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से हामिद अंसारी के खिलाफ उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें मात्र 222 मत ही मिले, जबकि हामिद अंसारी को 455 मत प्राप्त हुए। उन्होंने 26 मई 2014 को बीजेपी की सरकार में केंद्रीय मंत्रीमंडल में शामिल हुईं। उन्हें अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री बनाया गया। 21 अगस्त 20१६ को वह मणिपुर में राज्यपाल पद पर आसीन हुईं।
इसमें कोई शक नहीं है, कि नजमा जी वैश्विक सांसदों के बीच बहुत प्रभावशाली और लोकप्रिय रहीं उनके बहुत सारे लेख और शोध पत्र भारतीय और विदेशी जर्नल्स में प्रकाशित हुए। उन्होंने भारतीय और विदेशी पत्र-पत्रिकाओं में महिलाएं और सामाजिक विकास से जुड़ी समसामयिक लेखन कार्य किया है। वे द इण्डियन जनरल ऑफ ज्युलॉजी एटोनॉमी एनाटॉमी विषयों पर प्रकाशित शोध-पत्रों की सलाहकार समिति व संपादकीय मण्डल में भी रहीं। उन्होंने त्रैमासिक पत्रिका डायलॉग टुडे 1986 में प्रारंभ की, जिसकी वह संपादक और प्रकाशक दोनों रहीं। इसके अलावा इण्डिया प्रोग्रेस साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी, कन्टीन्यूटी एण्ड चेंज 1985, इण्डो-वेस्ट एशियन रिलेशन- द नेहरू एरा 1992, रिफार्म फॉर वुमन फ्यूचर ऑप्शन 1992, इनवॉयरमेंट प्रोडक्शन ऑफ डेवलपमेंट कंट्रीज 1993, ह्युमन सोशल सिक्युरिटी एण्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट1995, और एड्स एप्रोच टू प्रिवेन्सशंस 1996 और डेमोक्रेसी द ग्लोबल प्रोस्पेक्टिव 2004 जैसी अनेक पुस्तक लिखीं।
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समाज सेवा और विज्ञान शोध में अग्रणी भूमिका निभाने वाली नजमा जी साक्षरता, कला और विज्ञान सहित कई विषयों में विशेष रुचि लेती हैं। उन्होंने हमेशा विज्ञान संबंधी जानकारी, अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक समन्वय, अन्तर्राष्ट्रीय समझ, महिलाओं के उत्थान और उनसे संबंधित अन्य विषयों जैसे सद्भाव, मूल्यों, मानव विकास तथा पर्यावरण आदि क्षेत्रों में काम किया है, जिसे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा भी गया है। उन्हें मोरक्को का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्राण्ड कार्डोन आफ अलवई-अल-वासम’ से मोरक्को के राजा अलालुम वा फ्यूम्स ने नवाजा है। इजिप्ट के राष्ट्रपति होस्नी मुबारक ने भी नजमा जी को अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया। सेन मेरिनो के कैप्टन रीजेंट ने लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा।
श्रीमती हेपतुल्लाह की दिलचस्पी खेलों में भी है। बेडमिंटन और स्क्वाश जैसे खेल उन्हें प्रिय है। नजमा जी जिमखाना क्लब दिल्ली, मुंबई प्रेसिडेंसी रेडियो क्लब, मुंबई, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, दिल्ली, सी रॉक होटल क्लब मुंबई, इंडिया हेबिटाट सेंटर और इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर, नई दिल्ली की सदस्य रही हैँ। लिखने-पढऩे के अलावा पत्रकारिता, विभिन्न भाषाओं और विभिन्न देशों के संगीत सुनने में भी वे रुचि रखती हैं। उन्होंने पूरे विश्व की यात्रा की हैं। 4 सितम्बर, 2007 को उनके पति का देहांत हो गया। नजमा जी तीन बेटियों की मां हैं
संदर्भ स्रोत – मध्यप्रदेश महिला संदर्भ
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