छाया :गोपा पांडे के फेसबुक अकाउंट से
अपने क्षेत्र की पहली महिला
• अपने काम से दुनिया को किया चौंकने पर मजबूर
• हवाई जहाज उड़ाने का भी लिया था प्रशिक्षण
• इको पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आज भी क्या जाता है याद
मुख्य वन संरक्षक प्लानिंग डा. गोपा पाण्डे प्रदेश की पहली महिला भारतीय वन सेवा अधिकारी हैं। वाणिकी और पर्यावरण विकास की गहरी समझ के कारण उन्हें विश्व के अनेक देशों की नीतिगत बैठक में भाग लेने का अवसर मिला। तीन वर्षों तक इको पर्यटन में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के रूप में उन्होंने अल्प संसाधनों से स्थानीय लोगों के आर्थिक विकास के लिए कल्याणकारी योजनाएं तैयार की, जिससे इको पर्यटन को बढ़ावा मिला। जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन में अनुसंधान और समन्वय के जरिए काम करने का उनका अपना तरीका था । महिला होते हुए भी कभी भी उन्होंने स्वयं को कमतर नहीं समझा बल्कि अपने काम से दुनिया को चौंकने पर मजबूर कर दिया। श्रम के क्षेत्र में स्त्री-पुरुष का भेद न करने वाली गोपा पाण्डे ने इको पर्यटन व्यवसाय से ग्रामीण महिलाओं को जोड़ा और अपने पैरों पर खड़े होने में उनकी मदद की।
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गोपा पाण्डे का जन्म 18 अक्टूबर, 1955 को सागर में हुआ। उनके पिता प्रो. रामदेव मिश्र हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में कार्यरत थे और विश्वविद्यालय परिसर में ही निवास करते थे। उनके पिता को ‘फादर ऑफ इण्डियन एकोलॉजी’ के नाम से जाना जाता है। इंग्लैण्ड से पढ़ाई पूरी करने के बाद वे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वनस्पिति विज्ञान विभाग से जुड़ गए थे। सागर विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग की स्थापना के समय उन्हें विशेष रूप से बुलाया गया, जहाँ 1946 से 18 अक्टूबर, 1955 तक वनस्पति विज्ञान विभाग का दायित्व संभालने के बाद पुन: वे अपने मूल विश्वविद्यालय में वापस चले गए।
गोपा की परवरिश वाराणसी में हुई। वाराणसी में कमच्छा स्थित बसंत कन्या महाविद्यालय से उन्होंने 1971 में 10वीं पास की। यहीं सेंट्रल हिन्दू गर्ल्स स्कूल से गोपा ने प्री यूनिवर्सिटी कोर्स विशेष योग्यता के साथ उतीर्ण की और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महिला महाविद्यालय से वनस्पति विज्ञान, रसायन, भू-तत्व विषय के साथ बीएससी की उपाधि प्राप्त की। वनस्पति विज्ञान से एमएससी किया। पढ़ाई के दौरान अपने सहपाठी डा. वी.एन. पाण्डे से उनका परिचय हुआ और दोनों ने 1985 में विवाह कर लिया। डा. वी.एन. पाण्डे मध्यप्रदेश वन विभाग के सचिव थे। स्वप्निल और तन्मय उनके दो बेटे हैं।
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भारतीय वन अधिकारी के रूप में चयन के बाद गोपा पाण्डेने 1 मई, 1982 से 31 मार्च, 1984 तक इण्डियन फ़ॉरेस्ट कॉलेज देहरादून से प्रशिक्षण प्राप्त किया। दो माह मंसूरी में फाउण्डेशन कोर्स पूरा करने के बाद बैतूल जिले में उनकी नियुक्ति हुई। 14 अप्रैल, 1984 से 18 मार्च,1985 तक बैतूल में रहने के बाद उन्हें एस डी ओ के पद पर रायपुर भेज दिया गया। करीब एक साल यहाँ रहने के बाद क्रमश: उन्हें 1 मार्च,1986 को डीएफओ मुरैना, 8 अगस्त, 1986 को डीएफओ बैतूल, 20 जून,1990 को डीएफओ छिंदवाडा, 25 अप्रैल, 1992 को डीसीएफ (सतपुड़ा) प्लानिंग की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद 25 जून, 1994 को उन्हें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून में प्रोफेसर के पद पर प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया। 15 जूलाई,2001 को पुन: वे वन अधिकारी प्लानिंग सतपुड़ा के पद पर वापस आ गईं। इसके बाद क्रमश: 25 अप्रैल,2004 वन अधिकारी सिवनी और 1 जुलाई,2005 को वन अधिकारी बैतूल के बाद 29 जनवरी,2007 को उन्हें इको पर्यटन में मुख्य कार्यपालक अधिकारी नियुक्त किया गया। 22 अप्रैल, 2010 को उनकी नियुक्ति बेहतर प्लानिंग के लिए मुख्य वन अधिकारी प्लानिंग (सतपुड़ा) में की गई।
पांच फीट साढ़े सात इंच ऊंची कद वाली गोपा पाण्डे ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के फ्लाइंग क्लब से 40 घण्टे सोलो हवाई जहाज उड़ाने की प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है। विद्यार्थी जीवन में उन्हें श्रीमती इंदिरा गांधी, देवकांत बरुआ जैसे नेताओं का हवाई जहाज से फूलों की वर्षा कर स्वागत करने का सुअवसर प्राप्त हुआ था।
संदर्भ स्रोत – मध्यप्रदेश महिला संदर्भ
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