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अपने क्षेत्र की पहली महिला
अक्तूबर 2018 का एक दिन, सभी अख़बारों की सुर्ख़ियों में मध्यप्रदेश की एक बेटी छाई हुई थी, जिसका नाम है अवनि चतुर्वेदी। वायुसेना की फ़्लाइंग ऑफिसर अवनि चतुर्वेदी लड़ाकू विमान उड़ाने वाली प्रदेश की ही नहीं देश की पहली महिला के रूप में दर्ज हुईं। हालाँकि वर्ष 1993 में वायुसेना में शामिल होने वाली प्रदेश की पहली पायलट प्रिया नलगुंडवार हैं। प्रिया का सम्बन्ध भोपाल से है और वे भारतीय वायुसेना में शामिल होने वाली 13 महिलाओं की पहली बैच की सदस्य हैं। इसी तरह मई 2022 में हरियाणा की अभिलाषा बराक थलसेना के लड़ाकू विमान उड़ाने वाली प्रथम महिला के रूप में दर्ज हुईं।
प्रदेश को गौरवान्वित करने वाली अवनि चतुर्वेदी का जन्म 27 अक्टूबर 1993 को रीवा में हुआ। उनके पिता श्री दिनकर चतुर्वेदी जल संसाधन विभाग में सुपरिटेंडेंट इंजीनियर हैं जबकि अवनि की माँ श्रीमती सविता चतुर्वेदी गृहणी हैं। अवनि की प्रारंभिक शिक्षा शहडोल जिले में स्थित एक छोटे शहर देवलोंद के आदर्श हायर सेकेंडरी स्कूल से हुई। उच्च शिक्षा के लिए उन्हें वनस्थली विश्वविद्यालय, राजस्थान भेज दिया गया। 10वीं और 12वीं में अपने स्कूल की टॉपर रहीं अवनि बचपन से ही विभिन्न खेलों में भी खुद को आजमाती रही हैं, उन्हें शतरंज, बैडमिंटन खेलने और चित्रकारी का शौक रहा है। वर्ष 2014 में उन्होंने कंप्यूटर साइंस में 88 प्रतिशत अंकों के साथ बीटेक की उपाधि प्राप्त की। इसके तुरंत बाद उन्हें एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम मिल गया। लेकिन छः माह बाद ही एयरफ़ोर्स अकादमी में चयन हो जाने के बाद वह नौकरी उन्होंने छोड़ दी।
अवनि को कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही महाविद्यालय के फ़्लाइंग क्लब से जुड़ने का अवसर और कुछ घंटों के उड़ान का अनुभव प्राप्त हुआ था। यह अनुभव भविष्य की ओर पहला कदम था। अवनि के बड़े भाई भी फौजी हैं और बहन को भी फ़ौज में शामिल होने के लिए वे उत्प्रेरित करते रहते थे। उन्हीं की उत्प्रेरणा से अवनि ने भारतीय वायुसेना की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली, लेकिन इस उत्प्रेरणा की जमीन बहुत ही गहरी है।
फरवरी 2003, वह दुनिया के लिए एक मनहूस सा दिन था जब अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की मौत धरती पर वापस लौटते समय हो गयी थी। उस समय अवनि की उम्र महज 10 साल की थी। टीवी पर लगातार समाचार आ रहे थे और अवनि की माँ टीवी देखकर रो रही थीं। अवनि ने उस समय अपनी माँ के आंसू पोंछे और यह भी वादा किया कि वे अगली कल्पना चावला बनेंगी। बचपन की यह बात बचपने में ख़त्म नहीं हुई बल्कि भविष्य के लिए एक ज़मीन तैयार कर गई।
एबीपी न्यूज़ के मुताबिक एक साक्षात्कार में अवनि ने बताया था कि हमेशा से वे अन्तरिक्ष यात्री ही बनना चाहती थीं और कल्पना चावला उनकी आदर्श थीं। बचपन में वे अक्सर आसमान की तरफ देखा करती थीं और अंतरिक्ष विज्ञान और एयरोस्पेस से संबंधित लेखों की कतरनें सहेज कर रखने लगीं। ऐसी ही एक कतरन से उन्हें पता चला कि अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय विंग कमांडर राकेश शर्मा, वायुसेना के पायलट हैं, तो यह समझ बनी कि वायुसेना में जाने से अंतरिक्ष में जाने का भी मौका मिलता है। इसलिए जब महिला फाइटर पायलटों के लिए अवसरों की बात आई और अपने भाई से उनकी इस विषय पर चर्चा हुई तो विश्वास हो गया कि यही वह रास्ता है जो उन्हें उनकी मंजिल तक लेकर जाएगा।
वायुसेना में लगभग एक वर्ष के प्रशिक्षण - जो कर्नाटक के बीदर स्थित वायुसेना स्टेशन में हुआ, के बाद वे जून 2016 में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू स्क्वाड्रन में शामिल हो गईं। हैदराबाद के हकीमपेट में स्थित एयरफ़ोर्स अकादमी में पासिंग आउट परेड की शुरुआत होते ही देश भर की नज़र इस बैच की तीन लड़कियों पर टिक गई थी जिसमें बिहार की भावना कंठ, राजस्थान की मोहना सिंह और मप्र की अवनि चतुर्वेदी शामिल थीं। दिलचस्प बात यह है कि अलग-अलग राज्यों से आने वाली अवनि, भावना और मोहना तीनों ही वायुसेना की लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली महिला के रूप में ही दर्ज होती हैं क्योंकि इनमें पहली, दूसरी और तीसरी का क्रम नहीं है, बल्कि तीनों ने ही एक साथ यह उपलब्धि हासिल की है। मालूम हो कि 2016 से पूर्व भारतीय वायुसेना में महिलाओं को युद्धक विमान उड़ाने की अनुमति नहीं थी।
22 फरवरी 2018 अवनि के जीवन एवं करियर दोनों के लिए अविस्मरणीय दिन सिद्ध हुआ जब उन्होंने गुजरात के जामनगर एयरबेस से मिग-21 बाइसन से अकेले उड़ान भरी। ऐसी उड़ान भरने वाली वे देश की पहली महिला हैं। इस उड़ान से उन्होंने ये साबित कर दिया कि युद्ध जैसी स्थिति में वे सुखोई और तेजस जैसे विमान भी आसानी से उड़ा सकती हैं। मिग-21 बाइसन में एकल उड़ान भरने पर उस वक्त अवनि ने कहा था कि लड़ाकू विमान उड़ाने और अपने देश की सेवा करने जैसा दूसरा कोई एहसास नहीं है। इसे लफ्जों में बयां नहीं किया जा सकता है। एक साक्षात्कार में अवनि कहती हैं “मेरी पहली उड़ान 22 मिनट की थी और मुझे इसका हर एक मिनट याद है। ट्रेनर एयरक्राफ्ट, फाइटर एयरक्राफ्ट से बिलकुल अलग होता है।
अवनि एक ऐसी योद्धा बनना चाहती हैं जिस पर शत प्रतिशत भरोसा किया जा सके। नवम्बर 2019 में अवनि का विवाह हरियाणा के पानीपत जिले में स्थित समालखा के विनीत छिकारा के साथ संपन्न हुआ। विनीत, भारतीय वायुसेन में फ़्लाइंग लेफ्टिनेंट हैं।
पुरस्कार /सम्मान
• वर्ष 2018 में अवनि चतुर्वेदी को वनस्थली विद्यापीठ ने डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया।
• 9 मार्च 2020 को अवनि को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से सम्मानित किया।
सन्दर्भ स्रोत - स्वयंसिद्धा मध्यप्रदेश महिला सन्दर्भ 2014, विकिपीडिया तथा अन्य पत्र-पत्रिकाएँ
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