राजस्थान हाईकोर्ट ने एक नाबालिग बच्चे की कस्टडी से जुड़े केस में मां को गलत माना है। कोर्ट ने बच्चे को दादा को सौंपते हुए, मां पर कई तरह की बंदिशें भी लगाई हैं। जोधपुर हाईकोर्ट ने केस की सुनवाई में तथ्यों को छिपाने को लेकर भी नाराजगी व्यक्त की है। मामला 30 जून 2025 को दायर हुई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (हैबियस कॉर्पस) का है।
दरअसल, याचिकाकर्ता रहीम खान ने अपनी बहू सुमैरा खान (बदला हुआ नाम) पर बिना तलाक के दूसरी शादी और पोते के अपहरण का आरोप लगाया था।उन्होंने पोते की कस्टडी उन्हें फिर से सौंपने की मांग की थी। करीब 2 महीने की सुनवाई के बाद जस्टिस मनोज कुमार गर्ग और जस्टिस रवि चिरानिया ने फैसला सुनाया। इस केस में कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा - जो व्यक्ति अदालत के समक्ष गलत इरादे से आता है, वह किसी सहानुभूति या नरमी का हकदार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसलों में स्पष्ट किया है कि जो लोग तथ्यों को छुपाते हैं या कोर्ट को गुमराह करते हैं, वे न्याय पाने के हकदार नहीं हैं।
क्या है पूरा मामला
याचिकाकर्ता के अनुसार उनकी बहू ने बेटे से बिना तलाक लिए साल 2018 में दूसरी शादी कर ली थी। उसने अपने 6 साल के बेटे को भी छोड़ दिया था। इसके बाद से पोते की अच्छी परवरिश उन्होंने की है। आरोप है कि मई 2025 में बहू ने पोते का अपहरण कर लिया। उसके बाद से बच्चा उसके पास है।
बच्चा दादा के साथ खुश
कोर्ट ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए दादा, मां, बच्चे और पिता से अपने कमरों में अलग-अलग इन-कैमरा बातचीत की। इसमें सामने आया कि बच्चा अपने दादा के साथ खुश है। वो जोधपुर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ रहा है। यह भी पता चला कि बच्चे को बोलने में कुछ समस्या थी। दादा ने एक विशेषज्ञ डॉक्टर से उसका इलाज भी करवाया था। बच्चे ने कोर्ट को बताया कि वह अपने पिता की दूसरी पत्नी के साथ खुश है।
मां के खिलाफ फैसला
हाईकोर्ट ने फैसले में मुस्लिम पर्सनल लॉ की धारा 354 (4) का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि- सुमैरा खान ने अपने बच्चे की उपेक्षा की है। मां ने बिना किसी उचित कारण के 2018 में 6 साल के बच्चे को छोड़ दिया। मां ने 2025 तक उसकी देखभाल में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसलिए मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत बच्चे की कस्टडी के लिए मां को अयोग्य घोषित कर दिया। बच्चे की कस्टडी दादा को सौंप दी।
दूसरी शादी पर उठे सवाल
कोर्ट ने अपने फैसले में पाया कि सुमैरा खान ने 2018 में बिना तलाक लिए मुंबई में मोहम्मद उजैर अंसारी से दूसरी शादी की थी। यह शादी 21 मई 2018 को मुंबई में हुई थी, जिसका पंजीयन 5 जून 2018 को हुआ था। इस अवैध शादी का विरोध खुद सुमैरा खान के भाई साबिर खान ने किया था। साबिर खान ने 22 मई 2018 को मुंबई के मैरिज रजिस्ट्रार को शिकायत की थी कि उसकी बहन पहले से विवाहित है। उसका 6 साल का बेटा भी है। उन्होंने बताया कि बिना तलाक लिए यह दूसरी शादी गैरकानूनी है। सुमैरा खान ने 25 मई 2018 को जोगेश्वरी वेस्ट, मुंबई के पुलिस अधिकारियों को एक हस्तलिखित पत्र में अपनी गलती स्वीकार की थी। उसने लिखा था कि उसकी पहली शादी 12 साल पहले सलमान खान से जोधपुर में हुई थी।
उसने आगे लिखा कि सलमान खान को बिना बताए उजैर अंसारी से शादी करना मुस्लिम कानून के तहत गैरकानूनी है और उसे अपनी गलती का पछतावा है। उसने मोहम्मद उजैर अंसारी से भी सारे रिश्ते खत्म करने की बात कही थी। हालांकि, इसके बाद भी वह उसके साथ रही और 2020 में उसने एक बच्चे को जन्म दिया।
आर्थिक स्थिति पर भी हाईकोर्ट ने जताई चिंता
कोर्ट ने सुमैरा खान की आर्थिक स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने पाया कि वह अपने भाइयों पर निर्भर है। उसके पास दो बच्चों (दोनों शादियों से एक-एक) की परवरिश के लिए पर्याप्त आर्थिक संसाधन नहीं हैं।
सन्दर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर



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