छाया : सुनंदा पहाड़े के फेसबुक अकाउंट से
भोपाल की समाजसेवी सुनंदा पहाड़े ने महिलाओं की शिक्षा और बच्चों के पोषण को जीवन का मिशन बना लिया है। कभी भूख और बेबसी से जूझती बस्तियों में आज उनकी वजह से शिक्षा, स्वास्थ्य और उम्मीद की नई किरण चमक रही है।
सुनंदा हमेशा से जरूरतमंद लोगों की मदद करना चाहती थीं। परिवार की जिम्मेदारियां निभाते हुए उन्होंने कई सालों तक एक सामाजिक संगठन के साथ वॉलेंटियर के रूप में काम किया। लेकिन जब बच्चे बड़े हुए, तो उन्होंने अपने प्रयासों को एक बड़ा रूप देने का फैसला किया। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा से शुरुआत की और अब वे भोपाल की करीब 15 बस्तियों में कुपोषण मिटाने का अभियान चला रही हैं।
महिलाओं की शिक्षा बनी बदलाव की पहली सीढ़ी
सुनंदा बताती हैं कि जब वे बस्तियों में गईं, तो वहां की स्थिति देखकर दिल दहल गया। “महिलाओं पर ही परिवार के पोषण, बच्चों की शिक्षा और घर चलाने की जिम्मेदारी होती है, लेकिन वे ही शिक्षित नहीं हैं। मुझे महसूस हुआ कि अशिक्षा और कुपोषण एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं,” इसी सोच के साथ उन्होंने बस्तियों में महिलाओं की शिक्षा पर काम शुरू किया। ओपन स्कूलिंग के जरिए कई महिलाओं की मैट्रिक तक की पढ़ाई पूरी कराने में मदद की।
कम बजट में पोषक आहार का प्रशिक्षण
मई 2025 की एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के 55 में से 45 जिले कुपोषण के ‘रेड जोन’ में हैं। इस स्थिति को बदलने के लिए सुनंदा ने महिलाओं को सिखाया कि कम बजट में भी पोषक आहार कैसे तैयार किया जा सकता है। वे बताती हैं, “हमने उन्हें दाल, सब्जियों और स्थानीय अनाजों का उपयोग कर बच्चों के लिए संतुलित आहार बनाना सिखाया। यह सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि जागरूकता का अभियान था।”
गणेश नगर और आदर्श नगर बनी मिसाल
सुनंदा और उनकी संस्था ‘मदद फाउंडेशन’ ने भोपाल की दो बस्तियों गणेश नगर और आदर्श नगर को गोद लिया है। पिछले पांच सालों से उनकी टीम इन बस्तियों में शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर रही है।

 
 






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