बॉम्बे हाईकोर्ट : खाना न बनाने

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बॉम्बे हाईकोर्ट : खाना न बनाने
को लेकर ताने देना क्रूरता नहीं

बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में 27 साल पुराने केस में पति को बड़ी राहत दी है। अदालत ने शख्स को बरी करते हुए कहा कि किसी महिला के रंग रूप और खाना न बनाने को लेकर तंज कसना इस हद तक क्रूरता नहीं मानी जा सकती कि उस पर प्रताड़ना और आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा लगाई जाए। 

जस्टिस श्रीराम मोडक की पीठ ने कहा कि पति की ओर से अपनी पत्नी को उसके गहरे रंग को लेकर और ससुर की ओर से उसके खाना पकाने के तरीके को लेकर ताने देना भले ही प्रताड़ना हो सकता है लेकिन यह इतना गंभीर नहीं कि उसे आपराधिक दायरे में लाया जा सके। 

जानें क्या है मामला? 

महाराष्ट्र के सतारा के रहने वाले सदाशिव को पत्नी प्रेमा को आत्महत्या के लिए उकसाने और क्रूरता के मामले में सजा मिली थी। सेशन कोर्ट ने 1998 में पत्नी की मौत के बाद उसे दोषी माना था। इसके बाद पति सदाशिव ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। इसी पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया है। अदालत ने रिकॉर्ड में पाया कि मृतका प्रेमा ने जनवरी, 1998 में कुएं में कूदकर आत्महत्या कर ली थी। ये घटना सदाशिव और प्रेमा की शादी के पांच साल बाद घटी थी। प्रेमा ने मरने से पहले अपने रिश्तेदारों को बताया था कि उसका पति अक्सर उसके रंग को लेकर ताने मारता है और दूसरी शादी की धमकी देता है।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

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