इंदौर। कहते हैं बुलंद हौसले और जिंदादिली से किसी भी मुश्किल से जीता जा सकता है, कुछ ऐसा ही इंदौर की कयाकिंग कैनोइंग खिलाड़ी (प्लेयर) पूजा गर्ग (pooja garg) ने कर दिखाया है। उन्होंने घातक कैंसर बीमारी के साथ शारीरिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद हिमालय (himalay) की 14000 फीट ऊंचाई पर स्थित नाथुला दर्रे की चढ़ाई सफलता पूर्वक सम्पन्न की।
अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं, कयाकिंग और केनो में देश के लिए पदक हांसिल करने वाली पूजा ने अंतरराष्ट्रीय कैंसर अवेयरनेस डे पर अपनी 4500 कि.मी. की साहसिक यात्रा पूरी करते हुए भारत-चीन बार्डर स्थित नाथुला दर्रा पर भारत का तिरंगा फहराया। सामाजिक जागरूकता के उद्देश्य से इंदौर से नाथूला दर्रा (14,400 फ़ीट ऊँचाई) तक बाइक से साहसिक सफर तय कर पूजा ने कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
नाथुला दर्रा तक पहुंचने के लिए पूजा को दार्जीलिंग से गंगटोक तक हिमालय क्षेत्र के ऊबड़-खाबड़ और 5500 फीट की ऊंचाई तक खड़ी ढलानों, तीखे मोड़ों और अप्रत्याशित मौसम से होकर गुजरना पड़ा। पहाड़ी सड़कों पर बाइकर्स की सहनशक्ति और तकनीकी क्षमता का भी पूजा ने बुलंद हौंसलों के साथ सामना किया, लेकिन उसके जोश एवं जज्बे का ही कमाल था कि यात्रा के 14वें दिन इंटरनेशनल कैंसर अवेयरनेस डे पर नाथुला दर्रा पहुंच कर देश का तिरंगा हाथ में लेकर आम लोगों को उसकी तरह असाध्य रोगों से पूरे जोश एवं जज्बे के साथ मुकाबला करने का सन्देश दिया। पूजा ने प्रतिदिन औसतन 320 किलोमीटर की यात्रा की। उनकी टीम में पांच लोग शामिल थे, जिन्होंने केवल दिन की रोशनी में यह सफर तय किया है। नाथुला दर्रा पर सेना के जवानों ने उनकी इस साहसिक यात्रा की खुले मन से प्रशंसा करते हुए उन्हें इस यात्रा का प्रशस्ति पत्र भी भेंट किया।
अग्रवाल समाज केन्द्रीय समिति के पूर्व अध्यक्ष अरविंद बागड़ी ने बताया कि पूजा ने अपनी यह यात्रा गत 25 अक्टूबर को इंदौर से प्रारंभ की थी। उन्होंने भोपाल, जबलपुर, रीवा, मैहर, वाराणसी, पटना, सिलीगुड़ी, दार्जिलिंग, गंगटोक और अंततः नाथुला दर्रा की यात्रा एक विशेष बाइक की मदद से पूरी की। उन्होंने बताया कि पूजा के इंदौर आगमन पर उनकी पूरी टीम का शहर के नागरिकों एवं अग्रवाल समाज की ओर से सार्वजनिक अभिनंदन किया जाएगा।
दिव्यागंता के साथ बीमारी से लड़ने का किया फैसला
पेशे से इंजीनियर पूजा ने 2010 के पहले इंटरनेशनल कयाकिंग कैनोइंग प्लेयर रहते कई नेशनल और इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन एक दुर्घटना में उनकी रीड की हड्डी टूटने के कारण वे चलने में असमर्थ होकर हो गईं और व्हीलचेयर पर आ गईं। 3 साल तक बिस्तर पर रहने के दौरान पूजा को स्पाइन फैक्चर के कारण ही बोन कैंसर हो गया। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने फिजियोथेरेपी सहित तमाम प्रयासों के बाद बिस्तर से उठकर व्हीलचेयर के सहारे मूवमेंट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि, अभी भी वे व्हीलचेयर से ही तमाम कार्य करती हैं, लेकिन बीमारियों से घबराकर इलाज के दौरान घर बैठने के बजाय वे अपनी दिव्यांगता के साथ कैंसर का डटकर मुकाबला कर रही हैं।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट छाया : पूजा गर्ग के फेसबुक अकाउंट से
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