इंदौर। हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में एक पत्नी ने तलाक को लेकर एक याचिका लगाई थी जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पत्नी की तलाक की याचिका को मंजूरी दे दी है। बताया जा रहा है की पत्नी को पति ने पढ़ाई करने से रोका था जिसको लेकर उसने तलाक के लिए हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष याचिका लगाई थी। कोर्ट ने इस पूरे मामले में याचिका को एक्सेप्ट करते हुए तलाक की मंजूरी दे दी।
पति ने पत्नी को पढ़ाई करने से रोका
बता दें कि शाजापुर में रहने वाली पीड़िता का 01 मई 2015 को एक युवक से विवाह हुआ था। इस दौरान पीड़िता 12वीं पास थी और आगे की पढ़ाई करना चाहती थी। शादी के दौरान ससुराल वालों ने भी उसे पढ़ाई करने की मंजूरी दे दी थी। इसके बाद 16 जुलाई को पीड़िता का गोना करवाते हुए उसे सुसराल लाया गया और कहा गया की 2 दिन में वापस मायके भेज देंगे।
ससुराल पहुंचने पर पीड़िता को पढ़ाई से रोकने की कोशिश की गई। साथ ही दहेज के रूप में एक लाख रुपये और मोटरसाइकिल देने को लेकर उसे प्रताड़ित किया जाने लगा। इन तमाम तरह की प्रताड़नाओं से तंग आकर पीड़िता अपने पिता के घर आ गई और उसने तलाक को लेकर शाजापुर कोर्ट में एक याचिका दायर कर दी। लेकिन शाजापुर के जिला कोर्ट ने पीड़िता की तलाक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह कहकर खारिज कर दिया कि पति ने पत्नी के साथ किसी तरह की क्रूरता नहीं की है और पीड़िता इसे साबित नहीं कर पाई है और झूठे आधार पर केस लगाया गया है।
जिला कोर्ट ने खारिज की याचिका
शाजापुर कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद पीड़िता ने इंदौर हाईकोर्ट का रुख किया जिसमें यह बात निकलकर सामने आई कि मायके आने के बाद पीड़िता ने स्नातक तक की पढ़ाई की। हाईकोर्ट ने सभी तथ्यों को देखने और पत्नी को शिक्षा से रोकने के लिए पति के निचली अदालत में दिए गए बयान को ही आधार बनाकर तलाक की मंजूरी दे दी।
दी तलाक की मंजूरी
वहीं, हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस गजेन्द्र सिंह की कोर्ट ने इस पूरे मामले में सुनवाई की और सुनवाई के बाद इस पूरे मामले में कोर्ट ने तलाक को लेकर आदेश दे दिया। कोर्ट ने कहा की "पत्नी को पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर करने को मानसिक क्रूरता की श्रेणी में रखा है और इसे ही तलाक का आधार बनाते हुए तलाक की मंजूरी दी है।"
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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