केरल हाईकोर्ट : महिलाओं के तबादले में सहानुभूति

blog-img

केरल हाईकोर्ट : महिलाओं के तबादले में सहानुभूति
रखें, वे परिवार भी संभालती हैं

छाया:  बार एंड बेंच डॉट कॉम 

एर्नाकुलम। केरल हाईकोर्ट ने कामकाजी महिलाओं का तबादला करते समय संस्थानों को सहानुभूति दिखाने को कहा है। जस्टिस एएम मुश्ताक और जस्टिस शोबा अन्नम्मा ईपेन की पीठ ने कहा- कामकाजी  महिलाएं घर-परिवार संभालती हैं। वे अपने बच्चों, बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करती हैं। नई जगह पर तबादला होने से उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कोर्ट ने कहा- नई जगह पर तबादला होने से महिलाओं को परिवार और काम की बीच सामंजस्य बैठाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। तबादले से उन्हें अवसर और करियर की प्रगति में भी व्यवधान आ सकते हैं। ऐसे में संस्थानों को महिलाओं के प्रति संवेदना रखनी चाहिए।

ये है पूरा मामला...

दरअसल, दो महिला डॉक्टरों ने अपने तबादले के खिलाफ केरल हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इनका एर्नाकुलम के एंप्लॉय स्टेट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन हॉस्पिटल से कोल्लम के एंप्लॉय स्टेट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन हॉस्पिटल में तबादला किया गया था। दोनों महिलाओं ने इससे पहले ट्रिब्यूनल में अपने स्थानांतरण आदेश को चुनौती दी थी। हालांकि, ट्रिब्यूनल ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। दोनों महिलाओं ने कहा था कि उन्हें अपने बच्चों और बुजुर्ग मां-बाप की देखभाल करनी होती है।

इनमें एक चिकित्सक महिला विशेषग्य हैं। उनके 17 और 6 साल के दो बच्चे हैं, जिन्हें अस्थमा है। बड़ा बेटा 11वीं का छात्र है। महिला डॉक्टर पर उनकी 89 साल की मां की देखभाल की जिम्मेदारी भी है। दूसरी महिला डॉक्टर जनरल सर्जन हैं। उनका 7 साल का बच्चा है और उनके पति बेंगलुरु में काम करते हैं। उनकी मां वर्टिगो से पीड़ित है और उन्हें हर समय देखभाल की जरूरत पड़ती है।

कोर्ट ने कहा- तबादले से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी

कोर्ट ने कहा कि दोनों महिलाओं पर अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल की जिम्मेदारी है, जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। दोनों के पति भी दूसरे जगहों पर काम कर रहे हैं और उनका अपनी पत्नियों के साथ रहना संभव नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि महिलाओं के स्थानान्तरण से उनके बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी। साथ ही बच्चों को दूसरे स्कूल में दाखिला मिलना मुश्किल होगा। कोर्ट ने कहा कि कामकाजी महिलाएं अपने घरों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसलिए उनका स्थानांतरण आदेश जारी करते समय नियोक्ताओं को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

संदर्भ स्रोत: दैनिक भास्कर

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



इलाहाबाद हाईकोर्ट : हिंदू विवाह केवल
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : हिंदू विवाह केवल , रजिस्टर्ड न होने से अमान्य नहीं हो जाता

जस्टिस मनीष निगम ने अपने फैसले में कहा, 'हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत जब शादी विधिवत तरीके से होती है, तो उसका रजिस्ट्रे...

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट :  अपने पसंदीदा शादीशुदा
अदालती फैसले

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट :  अपने पसंदीदा शादीशुदा , मर्द के साथ रह सकती है महिला

कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो उसे ऐसा करने से रोके।

दिल्ली हाईकोर्ट : पति की सैलरी बढ़ी
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : पति की सैलरी बढ़ी , तो पत्नी का गुजारा भत्ता भी बढ़ेगा  

महिला ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें गुजारा भत्ता बढ़ाने की उसकी अपील को खारिज कर दिया गया था।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : पत्नी के जीवित रहने
अदालती फैसले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : पत्नी के जीवित रहने , तक भरण-पोषण करने के लिए बाध्य है पति

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि आर्थिक रूप से सक्षम पति को अपनी पत्नी का भरण-पोषण करना होगा जब तक वह जीवित है भले...

दिल्ली हाईकोर्ट : ग्रामीणों के सामने तलाक लेकर
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : ग्रामीणों के सामने तलाक लेकर , नहीं किया जा सकता हिंदू विवाह को भंग

कोर्ट ने CISF के एक बर्खास्त कांस्टेबल को राहत देने से इनकार कर दिया जिसने पहली शादी से तलाक लिए बिना दूसरी शादी की थी।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : बिना वजह पति से दूरी बनाना मानसिक क्रूरता
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : बिना वजह पति से दूरी बनाना मानसिक क्रूरता

10 साल से मायके में पत्नी, हाईकोर्ट में तलाक मंजूर