नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए महिला की गुजारा भत्ता वाली याचिका को खारिज कर दिया है। महिला अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता मांग रही थी। अदालत ने कहा कि व्यभिचार में लिप्त पत्नी गुजारा भत्ते की हकदार नहीं है। महिला ने अपने पति पर दुर्व्यवहार और प्रताड़ना का आरोप लगाया था। उसकी शादी 1998 में हुई थी।
फैमिली कोर्ट की जज नम्रता अग्रवाल महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थीं। महिला का कहना था कि उसके पति कानूनी और नैतिक रूप से उसे गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य हैं, लेकिन वह जानबूझकर ऐसा नहीं कर रहे हैं।
डीएनए टेस्ट से खुली सच्चाई
20 अगस्त को जारी किए गए एक आदेश में कोर्ट ने कहा कि पहले कोर्ट ने मई के महीने में जोड़ों को तलाक दे दिया था। यह तलाक इस आधार पर दिया गया था कि पत्नी पति के प्रति वफादार नहीं थी। इसके लिए कोर्ट ने डीएनए टेस्ट का हवाला दिया। रिपोर्ट में पता चला कि महिला एक जैविक बच्चे की मां है, लेकिन उसका पति जैविक पिता नहीं है। कोर्ट ने कहा, महिला ने डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट को चुनौती नहीं दी है। इसलिए यह माना जाता है कि वह व्याभिचार में लिप्त थी।
पत्नी पर लगा था सास की हत्या का आरोप
अदालत ने कहा कि पत्नी पर अपनी सास की हत्या का आरोप लगा था, जिसके कारण उसे चार साल जेल में रहना पड़ा। हालांकि उसे बाद में कोर्ट ने बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा पक्षों की गवाही और पहले कोर्ट के फैसले से यह साबित होता है कि पत्नी व्यभिचार कर रही थी। जज ने यह भी कहा कि महिला के पास कई संपत्तियां हैं। जिनसे वह अच्छी खासी कमाई कर रही है। उसे अपने बच्चों का भरण-पोषण करने की भी कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि उसके पूर्व पति ही उनका खर्च उठा रहे हैं।



Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *