बिलासपुर। तलाक के एक मामले में पति ने अपनी पत्नी पर मानसिक और शारीरिक क्रूरता का आरोप लगाया। जिसे फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया। जिस पर रेलकर्मी पति ने हाईकोर्ट में अपील की है। हाईकोर्ट ने भी आरोप साबित नहीं होने पर फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए पति की अपील को खारिज कर दी है।
दरअसल, इस केस में पति ने कहा था कि उसकी पत्नी उसे घरजमाई बनाकर रखना चाहती है, जो उसे मंजूर नहीं है। वहीं, पत्नी ने जवाब में कहा कि उसका पति शादी के बाद से ही उसके साथ दुर्व्यवहार कर रहा था। पूरा मामला राजनांदगांव जिले का है।
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल, राजनांदगांव निवासी युवक रेलवे में ट्रैकमेन है। उसकी शादी 14 जुलाई 2017 को राजनांदगांव जिले की युवती से हुई थी। रेलकर्मी पति का आरोप है कि, उसकी पत्नी उसे मायके में घरजमाई बनकर रहने को कहती थी। मना करने पर वो झगड़ा करती थी। वह बार-बार आत्महत्या करने की धमकी देती थी। वो मिट्टी तेल डालकर आग लगाने, जहर खाने और फांसी लगाने की कोशिश भी कर चुकी है।
इसके साथ ही झूठे सुसाइड नोट लिखती थी और दहेज मांगने के नाम पर झूठे केस में फंसाने परेशान करती थी। घरेलू हिंसा के झूठा केस दर्ज कराने की धमकी देती थी। जिस पर उसने 17 नवंबर 2020 को हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1)(आई-डी) के तहत तलाक की मांग करते हुए फैमिली कोर्ट में आवेदन दिया था।
वहीं, पत्नी ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया। जवाब में उसने कहा कि, शादी के एक हफ्ते बाद से पति और उसके परिवार वाले ताने मारते थे। गरीब कहकर अपमान करते थे। दहेज की मांग करते थे। मारपीट करते थे। पति शराब पीता था और अप्राकृतिक संबंध बनाने को मजबूर करता था। इसी कारण पहले बच्चे की मौत हुई।
पति ने उसे बच्चा पैदा करने लायक नहीं बताया और मायके भेज दिया। माता-पिता की पहल पर सामाजिक बैठक हुई। पति ने गलती मानी और उसे वापस घर ले गया। लेकिन व्यवहार नहीं बदला। गर्भावस्था में भी अमानवीय व्यवहार किया, जिससे बच्चा 10 दिन में मर गया। फिर उसे घर से निकाल दिया गया।
विवाह के दो साल पहले तलाक मंजूर नहीं
दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैमिली कोर्ट ने माना कि विवाह विच्छेद अधिनियम के तहत तलाक के लिए विवाह के दो साल से अधिक का समय होना चाहिए। इस केस में दो साल की अवधि पूरी नहीं हुई है। लिहाजा, पति के तलाक की अर्जी मंजूर नहीं की जा सकती।
फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील
फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में अपील की। जिसमें बताया कि उसका पहला बच्चा 10 नवंबर 2017 को हुआ, जिसकी 10 दिन बाद ही मौत हो गई। इसके 6 महीने बाद पत्नी ने गर्भपात करा लिया। तीसरी बार में उसने गोलियां खाकर गर्भ गिरा दिया। 21 दिसंबर 2018 को उसकी पत्नी घर छोड़कर मायके चली गई। 1 जनवरी 2019 को पति ने थाने में इसकी सूचना दी। 14 मार्च 2020 को पत्नी ने सारा स्त्रीधन वापस ले लिया और वैवाहिक संबंध खत्म कर दिए।
हाईकोर्ट ने कहा- परित्याग का भी आधार नहीं ले सकता पति
हाईकोर्ट ने भी फैमिली कोर्ट के फैसले को सही माना है। साथ ही कहा कि पति परित्याग का आधार भी नहीं ले सकता, क्योंकि पत्नी ने 21 दिसंबर 2018 को घर छोड़ा और तलाक की अर्जी 17 नवंबर 2020 को दी गई, जो दो साल पूरे होने से पहले थी। जिसके बाद हाईकोर्ट ने उसकी अपील खारिज कर दी है।
सन्दर्भ स्रोत: दैनिक भास्कर
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