10 साल पहले महिलाओं को जोड़ने और उन्हें समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया अमी मराठी ग्रुप आज न केवल महिलाओं को सशक्त बना रहा है, बल्कि जरूरतमंद परिवारों के जीवन में उम्मीद की नई रोशनी जगा रहा है। शहर की सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा नेमावरकर बताती हैं कि हाल ही में ग्रुप ने एक नई पहल शुरू की है, जिसके तहत ऐसे गरीब परिवारों की मदद की जा रही है जो रोजमर्रा का राशन खरीदने में सक्षम नहीं हैं। फिलहाल ग्रुप ने 5 परिवारों को गोद लिया है और उनके राशन का पूरा खर्च उठा रहा है। मनीषा ने बताया हमारी कोशिश है कि कोई भी परिवार भूखा न सोए। हर महीने इन परिवारों तक राशन पहुंचाया जाता है, ताकि उन्हें चिंता न हो।
अमी मराठी ग्रुप सिर्फ राशन तक सीमित नहीं है। यह ग्रुप बच्चियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी काम कर रहा है। मनीषा बताती हैं कि कई परिवार अपनी बेटियों को स्कूल तो भेजते हैं, लेकिन घर पर पढ़ाई में मदद नहीं मिलती। ऐसे में ग्रुप की महिलाएं मिलकर इन बच्चों को मुफ्त ट्यूशन देती हैं। जो लड़कियां पहली बार स्कूल जाने लगी हैं, उनकी स्कूल फीस का भी खर्च ग्रुप उठाता है। इस अभियान के लिए ग्रुप से जुड़ी 350 महिलाएं लगातार योगदान दे रहीं हैं। कुछ महिलाएं आर्थिक मदद करती हैं तो कुछ समय निकालकर बच्चों को पढ़ाती हैं।
महिलाओं के लिए मेले का आयोजन कर दे रही स्वरोजगार का मौका
हर साल 'अमी मराठी ग्रुप' महिलाओं के लिए एक मेला आयोजित करता है। यह मेला उन महिलाओं के लिए अवसर बनता है जो घरों में रहकर सामान तैयार करती हैं जैसे घरेलू उत्पाद, सजावटी वस्तुएं, कपड़े, बेकरी आइटम या हैंडमेड चीजें। मनीषा ने बताया कि हम चाहते हैं कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनें। मेला सिर्फ प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह उन्हें रोजगार और आत्मविश्वास देने का जरिया है। ग्रुप इस मेले को स्वसहायता समूहों के रूप में भी आगे बढ़ा रहा है और आर्थिक मजबूती भी मिलती है। इस ग्रुप का उद्देश्य किसी को दया से नहीं, बल्कि समान अवसर देकर सशक्त बनाना है। ग्रुप में शिल्पा लाम्बोर, माया डगांवकर, प्रगति शेंडे, चित्रा देशपांडे, प्रेरणा केकरे, अंजली कवठेकर, विनिता गायकवाड़ एवं चंद्रिका शामिल हैं।
सन्दर्भ स्रोत और छाया : मनीषा नेमावरकर के फेसबुक अकाउंट से



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