भारत की दृष्टिबाधित महिला क्रिकेट टीम ने पहली बार आयोजित टी-20 विश्व कप का खिताब जीत लिया है। इस ऐतिहासिक जीत में मध्य प्रदेश की तीन खिलाड़ियों दमोह की सुषमा पटेल, पिपरिया (नर्मदापुरम) की सुनीता और बैतूल की दुर्गा येवले का अहम योगदान रहा। सुनीता सराठे ने नेपाल का पहला विकेट थ्रो से गिराकर टीम की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दुर्गा की भूमिका अहम
दृष्टि बाधित महिला टी 20 विश्वकप में भारत को मिली जीत में बैतूल जिले की क्रिकेट खिलाड़ी दुर्गा देवले का भी आहम योगदान रहा है। बैतूल जिले के ग्राम रावसी के गौलीदाना में जन्म लेने वाली दुर्गा को 50% दृष्टि दोष है। पावर बलाईड स्कूल से श्वीं और 10वीं कक्षा की पढ़ाई करने के बाद इंदौर के महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ छात्रावास में प्रवेश मिलने के बाद से दुर्गा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जिला स्तर से प्रदेश स्तर की टीम में शामिल होकर प्रतिभा का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। लगातार प्रयास करने के बाद आखिर वर्ष 2025 में केरल में राष्ट्रीय स्तर पर दुर्गा के शानदार प्रदर्शन ने उसे भारतीय टीम का हिस्सा बनाया और टी-20 ब्लाइंड बल्र्ल्ड कप के लिए उसका चयन हुआ था।
सुषमा : माता-पिता ने बढ़ाया हौसला
23 वर्षीय सुषमा पटेल का जन्म दमोह जिले के ग्राम घानामैली में एक साधारण किसान परिवार में हुआ। सुषमा बताती है, पिता बाबूलाल पटेल और मा लक्ष्मी रानी पटेल ने कठिन परिस्थितियों में खेती-किसानी करते हुए हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। बचपन में एक दुर्घटना के कारण मेरी दृष्टि प्रभावित हुई, लेकिन मेरे माता-पिता ने कभी मुझे कमजोर नहीं होने दिया। उनकी लगातार प्रेरणा की वजह से मैंने जीवन में कभी हार नहीं मानी और सपनों का पीछा किया।फिजिकल एजुकेशन और स्पोर्ट्स में स्नातक सुषमा का क्रिकेट का सफर 2022 में भोपाल से शुरू हुआ, जब उन्होंने मुख्यधारा के डिवीजन मैचों के ट्रायल दिए। हालाकि बॉल को जज करने में उन्हें कठिनाई महसूस हुई, लेकिन कोच ने उन्हें ब्लाइंड क्रिकेट और सीएबीएमपी के बारे में जानकारी दी तो कुछ समय में वह सहज हो गई। इसके बाद फरवरी 2022 में राष्ट्रीय चयन शिविर में शानदार प्रदर्शन किया और मप्र की महिला ब्लाइड क्रिकेट टीम में जगह बनाई।



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