विजयाराजे सिंधिया

blog-img

विजयाराजे सिंधिया

• सुधीर जैन, सतना

• डाक टिकटों में मप्र की महिलाएं

देश के सम्मानित राजनीतिक नेताओं में थीं शुमार।

पति के निधन के बाद शेष जीवन सामाजिक और राजनीतिक कार्यो के लिए किया समर्पित।

शिक्षा के प्रसार, गरीबों और दलितों की सहायता करने रहीं प्रतिबद्ध।

महिलाओं के उत्थान तथा कमजोर वर्गो की भलाई के कार्य में रहीं संलग्न। 

• कई बार भारतीय संसद के दोनों सदनों में चुनी ग

मध्यप्रदेश की अग्रणी राजनीतिज्ञ, समाज सेविका, पूर्व ग्वालियर रियासत की राजमाता श्रीमती विजयाराजे सिंधिया का जन्म एक अभिजात परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सागर में तथा उच्च शिक्षा बनारस एवं लखनऊ से प्राप्त की। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जेैन ने उन्हें डाक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की। 1941 में उनका विवाह ग्वालियर राजघराने के वंशज जीवाजीराव सिंधिया के साथ हुआ। राजनीति में राजमाता का प्रवेश 1957 में हुआ, जब उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीता, बाद में उन्होंने कई बार जनसंघ से लोक सभा, राज्य सभा, राज्य विधान सभा के चुनावों में जीत हासिल की। वे देश के अत्यंत सम्मानित राजनीतिक नेताओं में से एक थीं । 1961 में पति का निधन होने पर उन्होंने अपना शेष जीवन विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक कार्यो के लिए समर्पित कर दिया। राजनीति में पूर्णत: सक्रिय रहने के बावजूद राजमाता विजयाराजे सिंधिया शिक्षा के प्रसार तथा गरीबों और दलितों की सहायता करने के लिये समान रूप से प्रतिबद्ध रहीं। वे अनेक ख्याति प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण और विकास में संलग्न रहीं। महिलाओं के उत्थान तथा कमजोर वर्गो की भलाई के लिए उन्होंने अनेक परियोजनाएं शुरू कीं । भारतीय डाक विभाग द्वारा राजमाता विजयाराजे सिंधिया पर चार रूपये मूल्य का एक बहुरंगी टिकट 20 दिसम्बर 2001 को जारी किया गया।

लेखक डाक टिकट संग्राहक हैं।

© मीडियाटिक

इन्हें भी पढ़िये -

क्रांति त्रिवेदी

सुभद्राकुमारी चौहान

महारानी अहिल्याबाई

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



शाहजहां  बेगम -जिन्होंने भोपाल को पहला जनाना अस्पताल और को एड स्कूल दिया
भोपाल की नवाब बेगमें

शाहजहां बेगम -जिन्होंने भोपाल को पहला जनाना अस्पताल और को एड स्कूल दिया

शाहजहां बेगम के शासन काल की एक उल्लेखनीय उपलब्धि है- पहले इटारसी से भोपाल तक रेल मार्ग का निर्माण। इसके लिए उन्होंने राज...

अहिल्याबाई : एक गाँव को समृद्ध नगर में बदल देने वाली रानी
मध्यप्रदेश के इतिहास में महिलाएं

अहिल्याबाई : एक गाँव को समृद्ध नगर में बदल देने वाली रानी

मालवा साम्राज्य की रानी अहिल्याबाई होल्कर जीवनपर्यंत अपने और अपनी रियासत के अस्तित्व के लिए संघर्षरत रहीं। उनका राज्य सं...

महारानी अहिल्याबाई
डाक टिकटों पर मध्यप्रदेश की महिला विभूतियाँ

महारानी अहिल्याबाई

अहिल्याबाई का जन्म सन् 1725 में महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में हुआ था।

दास्ताँ भोपाल की अंतिम गोंड शासक रानी कमलापति की
मध्यप्रदेश के इतिहास में महिलाएं

दास्ताँ भोपाल की अंतिम गोंड शासक रानी कमलापति की

सन 1705 में गोंड राजा निज़ाम शाह ने विवाह के बाद भोपाल रानी कमलापति को दिया। वह बचपन से ही बुद्धिमान और साहसी थीं। शिक्ष...

भीमाबाई जिनके युद्ध कौशल से अंग्रेज भी थे हैरान
स्वतंत्रता संग्राम में मप्र की महिलाएं

भीमाबाई जिनके युद्ध कौशल से अंग्रेज भी थे हैरान

भीमा बाई की संघर्ष गाथा समझने के लिए होलकर वंश की पृष्ठभूमि समझना आवश्यक है। इस वंश की स्थापना मल्हारराव होलकर (प्रथम) न...

भोपाल रियासत का पहली बार सीमांकन करवाया था सिकंदर बेगम ने
भोपाल की नवाब बेगमें

भोपाल रियासत का पहली बार सीमांकन करवाया था सिकंदर बेगम ने

सिकन्दर बेगम ने बड़ी बहादुरी और योग्यता के साथ भोपाल रियासत का प्रशासन सम्हाला। राजस्व की वसूली ठेके की पद्धति से करने क...