इंदौर: परिणाम से कहीं अधिक प्रयास महत्वपूर्ण है, इस कथन को चरितार्थ किया है इंदौर की बेटी सलोनी शुक्ला ने जिनका चयन वायु सेना में बतौर फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर हुआ है। सलोनी ने यह सिद्ध किया कि असफलताओं से डरकर पीछे हटना समझदारी नहीं है। वह सात बार परीक्षा में असफल रहीं लेकिन उनके भीतर जुनून था सेना में जाने का इसलिए हर बार असफल होने के बाद उन्होंने खुद को अगली बार के लिए तैयार किया। अब सलोनी वायु सेना की तकनीकी शाखा में नियुक्त हुईं हैं जहाँ वह लड़ाकू विमान, मालवाहक विमान, हेलिकॉप्टर एवं मिसाइलों की खामियां दूर करेंगी। इसके लिए वह जल्दी ही छह महीने ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद जाने वाली हैं। वहाँ के एअरफ़ोर्स ट्रेनिंग सेंटर में कंबेट और जनरल ट्रेनिंग के बाद डेढ़ साल तक वह एअरफ़ोर्स के टेक्निकल कॉलेज बेंगलोर में तकनीकी का गहन प्रशिक्षण लेंगी।
उनकी माँ रश्मि शुक्ल और पिता संजय शुक्ल कहते हैं कि उनके परिवार में कोई भी व्यक्ति सेना में नहीं है, ऐसे में बेटी के सपने और उसकी जिद को लेकर वे असमंजस में थे। उन्हें इंदौर में संचालित एक अकादमी के बारे में पता चला तो वहां बच्ची का नामांकन करवा दिया। वह हर साल परीक्षा देती और असफल हो जाती। आठवीं बार आखिर यह सिलसिला तब थमा जब सलोनी ने लक्ष्य हासिल कर लिया। इस बारे में सलोनी का कहना है कि सफलता के लिए कोई शार्ट कट नहीं होता, सपने देखो और लगातार उस पर काम करो, यही एकमात्र तरीका है । उल्लेखनीय है कि सरकारी सेवा में कार्यरत सलोनी के माता पिता का तबादला जब भुज हुआ था, उसी समय वहां रहने वाले सैन्य अधिकारियों को देखकर उनके मन में सेना में जाने की इच्छा उत्पन्न हुई, वही इच्छा लक्ष्य बनकर सात साल के प्रयासों के बाद हासिल हुआ।
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