कोर्ट ने साफ कहा कि कुछ मामले संसद के लिए होते हैं और अदालतें महिलाओं के शादी की उम्र पर कानून नहीं बना सकती हैं।
केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि गृहिणी की भूमिका किसी राष्ट्रनिर्माता से कम नहीं है।
मुख्य उद्देश्य -जनसमुदाय की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव के साथ बाल विवाह जैसी कुरीति को सामुदायिक सहभागिता से समाप्त करना है ।
उदिता योजना अंतर्गत किशोरी के मासिक धर्म संबंधी स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जााता हैं।
बेटी का विवाह उसकी स्थिति को बदल नहीं सकता है और न ही बदलेगा
जब गैर-आदिवासी की बेटी पिता की संपत्ति में बराबर की हकदार, तो आदिवासी समुदायों की बेटी को इस तरह के अधिकार से वंचित करने का कोई...