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सामाजिक-विमर्श
अक्षय तृतीया- 2022 गांधी नगर इलाके में रहने वाली एक 15 साल की बच्ची की शादी माता-पिता ने तय कर दी। बच्ची आगे पढ़ना चाहती थी और इस शादी के लिए राजी नहीं थी। उसने चाइल्ड लाइन को फोन करके इस बात की जानकारी दी और उसकी शादी रुकवा दी गयी। परिजनों ने खूब हंगामा किया और बेटी को बालिग़ बताते रहे। उस बच्ची के कहने पर उसे शेल्टर होम भेज दिया गया क्योंकि उसे डर था कहीं घर के लोग जबरन उसकी शादी न करवा दें।
यह घटना महज एक बानगी है। मप्र शासन के लम्बे प्रयासों का ही यह नतीजा है कि आज प्रदेश की कम उम्र बच्चियां खुद अपनी शादी रुकवा रहीं हैं। यही वजह है कि मध्यप्रदेश में बाल विवाह के मामलों में पिछले 2-3 सालों से लगातार कमी आ रही है। हालांकि प्रत्येक प्रकरण में मामले दर्ज नहीं हो पाते।
हर साल विवाह मुहूर्त आते ही महिला एवं बाल विकास सक्रिय हो जाता है। कभी बच्चियां हेल्पलाइन को खबर देती हैं, तो कभी कलेक्टर को पत्र लिखकर जानकारी दी गयी। अब महिला एवं बाल विकास मुखबिर तंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहा है। इसके लिए सभी जिले के कलेक्टरों को पत्र भी लिखा गया है।
• लाडो अभियान
देश में मप्र वह पहला राज्य है, जहां बाल विवाह पर अंकुश लगाने के लिए लाडो अभियान नाम से योजना बनी। इस अभियान की शुरुआत वर्ष 2013 में हुई। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य समाज की रुढ़िग्रस्त धारणा को बदलते हुए सामुदायिक सहभागिता से बाल विवाह जैसी कुरीतियों को समाप्त करना है। इस योजना को सफल बनाने के लिए जिला, खंड, संकुल स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। इसके अलावा दीवार लेखन, जागरूकता रैली, रथ यात्रा, नुक्कड़ नाटक, वृत्त चित्र और दैनिक समाचार पत्रों में विज्ञापन आदि के माध्यम से आम लोगों तक बाल विवाह रोकने के लिए जागरूकता सन्देश प्रसारित किया गया।
कुछ ही समय में इन कोशिशों के नतीजे भी सामने आने लगे। मध्यप्रदेश वर्ष 2014 में इस अभियान के क्रियान्वयन के लिए लोक प्रशासन के उत्कृष्ट कार्य के लिए ‘प्रधानमंत्री पुरस्कार’ से नवाजा गया। भारत सरकार द्वारा लाडो अभियान के क्रियान्वयन के अभूतपूर्व सफलता को देखते हुए लाडो अभियान को अन्तराष्ट्रीय” कॉमनवेल्थ एसोसिएशन फॉर एडमिनिस्ट्रेशन एंड मैनेजमेंट के अंतर्गत सिटिजन फोकस इनोवेशन में CAPAM पुरस्कार से वर्ष 2016 में सम्मानित किया गया।
म.प्र. के लाडो अभियान के अंतर्गत बाल विवाह रोकथाम के क्रियान्वयन को हरियाणा, त्रिपुरा व असम के राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के द्वारा फील्ड विजिट कर सराहा गया।
एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया (ASCI) हैदराबाद के द्वारा भारत सरकार के निर्देशानुसार लाडो अभियान को अन्य राज्यों में क्रियान्वित करने के उद्देश्य से अध्ययन करवाया गया था। (ASCI) हैदराबाद द्वारा किये गए अध्ययन में लाडो अभियान की प्रशंसा की गयी और राष्ट्रीय स्तर की बैठकें में सराहना करते हुए अनुभवों को साझा किया गया।
इन दिनों बाल विवाह रोकथाम में बच्चों को ब्रान्ड एम्बेस्डर बनाकर उनका सहयोग लिया जा रहा है। ब्रांड एम्बेसडर के प्रयासों से बच्चों के द्वारा स्वयं का एवं क्षेत्र के अन्य बच्चों का बाल विवाह रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है ।
लाडो अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन से जहाँ एएचएस 2012-13 में बाल विवाह 42 प्रतिशत होते थे, वहीं एनएफएचएस 4 के अनुसार 2015-2016 में बाल विवाह की दर 12 प्रतिशत कम होकर 30 प्रतिशत हो गयी है ।
सन्दर्भ स्रोत- महिला एवं बाल विकास की अधिकृत वेबसाईट और विभिन्न न्यूज़ वेबसाई
Lavkesh singh uikey – 03 Jan, 2024
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