उड़ीसा हाईकोर्ट : पति को 'कैम्पा' या 'निखट्टू' कहना मानसिक क्रूरता, मिलेगा तलाक

blog-img

उड़ीसा हाईकोर्ट : पति को 'कैम्पा' या 'निखट्टू' कहना मानसिक क्रूरता, मिलेगा तलाक

कटक। उड़ीसा हाईकोर्ट  ने कहा कि पति की शारीरिक कमजोरी पर पत्नी की टिप्पणी मानसिक क्रूरता है और यह तलाक का आधार हो सकता है। न्यायालय ने कहा कि पत्नी का ऐसा व्यवहार पति के प्रति अनादर दर्शाता है। न्यायालय ने कहा कि इस तरह का कारण विवाह विच्छेद का आदेश पारित करने के लिए पर्याप्त आधार है। उच्च न्यायालय ने पति की याचिका को स्वीकार करते हुए विवाह विच्छेद के पक्ष में पुरी परिवार अदालत के फैसले को भी बरकरार रखा। 

न्यायमूर्ति बिभु प्रसाद राउतराय और न्यायमूर्ति चितरंजन दास की खंडपीठ ने कहा कि पत्नी की अपने पति के खिलाफ शारीरिक कमजोरी के मुद्दे पर की गई टिप्पणी से उसे मानसिक पीड़ा हुई होगी। इस तरह का व्यवहार अपने पति के लिए पत्नी के विचारों और सम्मान को दर्शाता है। पति-पत्नी के रिश्ते में शारीरिक कमजोरी के बावजूद पत्नी से पति का साथ मिलने की उम्मीद की जाती है। इस मामले में साफ है कि पत्नी पति की शारीरिक कमजोरी के लिए भद्दी टिप्पणियां कर रही है और भद्दे कमेंट कर रही है। 

न्यायालय ने मानसिक क्रूरता के आधार पर शादी तोड़ने के लिए पुरी परिवार अदालत द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखा। उधर, मामले के रिकॉर्ड में पति-पत्नी की आय के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।  न्यायालय ने कहा कि ऐसी स्थिति में परिवार हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार पत्नी स्थायी रूप से गुजारा भत्ता का मुद्दा परिवार अदालत में उठा सकती है। 

मामले के विवरण से पता चलता है कि पति एक दिव्यांग है। उसने आरोप लगाया है कि उसे उसकी पत्नी द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था। जबकि शादी 2016 में हुई थी, 2019 में, पति ने अपनी पत्नी के खिलाफ पुरी परिवार अदालत में शादी के विघटन के लिए मामला दायर किया। पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी उसकी शारीरिक कमजोरी के मुद्दे पर कठोर शब्दों का इस्तेमाल करती थी और टिप्पणी करती थी। पति ने कोर्ट में गवाही देते हुए अपने बयान में भी यही बात कही थी। कोर्ट में यह साबित नहीं हो सका कि पति का बयान गलत था। 

फैमिली कोर्ट ने 2023 में शादी तोड़ने का फैसला सुनाया था। पत्नी ने फैसले का विरोध करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था क्योंकि परिवार अदालत ने पत्नी को कोई स्थायी रखरखाव दिए बिना तलाक का फैसला पारित किया था।

संदर्भ स्रोत  : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



बॉम्बे हाईकोर्ट : विधवा को ससुराल में रहने का
अदालती फैसले

बॉम्बे हाईकोर्ट : विधवा को ससुराल में रहने का , अधिकार, वंचित करना घरेलू हिंसा के बराबर

विधवा को घर से निकालना सिर्फ अन्याय नहीं, शोषण भी है – कोर्ट की नागपुर बेंच ने ऐसा क्यों कहा

दिल्ली हाईकोर्ट : वैवाहिक झगड़ों में बच्चे को
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : वैवाहिक झगड़ों में बच्चे को , हथियार के रूप में इस्तेमाल करना क्रूरता

कोर्ट ने माना कि नाबालिग बच्चे को जानबूझकर माता-पिता से अलग करने की कोशिश न सिर्फ मनोवैज्ञानिक क्रूरता है, बल्कि यह तलाक...

इलाहाबाद हाईकोर्ट : वैवाहिक कलह के कारण
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : वैवाहिक कलह के कारण , आत्महत्या को उकसावा नहीं माना जाएगा

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि वैवाहिक कलह और घरेलू जीवन में मतभेद काफी आम है।

सुप्रीम कोर्ट : आरक्षण नहीं, अपने दम पर जज बन रही हैं महिलाएं
अदालती फैसले

सुप्रीम कोर्ट : आरक्षण नहीं, अपने दम पर जज बन रही हैं महिलाएं

महिला वकीलों के चैंबर आवंटन की मांग पर  पीठ ने कहा - जब महिलाएं योग्यता से सब कुछ हासिल कर सकती हैं, तो वे किसी विशेष सु...

बरेली फैमिली कोर्ट : मायके में रहना है तो शादी क्यों की
अदालती फैसले

बरेली फैमिली कोर्ट : मायके में रहना है तो शादी क्यों की

पत्नी बोली- पति मां-बाप को छोड़े, प्रॉपर्टी बेचकर मेरे घर रहे,कोर्ट ने लगाई पत्नी को फटकार, जज बोले- ऐसे मुकदमों से परिव...

सुप्रीम कोर्ट :  24 घंटे में पत्नी को लौटाओ उसका सामान
अदालती फैसले

सुप्रीम कोर्ट :  24 घंटे में पत्नी को लौटाओ उसका सामान

वैवाहिक विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने पति को लगाई फटकार. कहा - यह घृणित है कि पति ने 2022 से अब तक पत्नी को अपने कपड़े और न...