देहरादून। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बच्चे की कस्टडी को लेकर दायर एक मां की याचिका पर बड़ा फैसला सुनाया है। अमूमन एक बच्चे की कस्टडी को लेकर दायर याचिकाओं में कोर्ट मां को ही तरजीह देता है, लेकिन उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मां का बच्चे की कस्टडी देने से मना कर दिया। दरअसल, एक महिला ज्योति नौटियाल की ओर से दायर कस्टडी याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। इस याचिका के जरिए मां ने अदालत से अपनी 8 वर्षीय बेटी को उसके ससुराल वालों की हिरासत से मुक्त करने का आदेश मांगा था। बच्ची अभी अपने दादा-दादी के साथ रह रही है।
मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि पिता और दादा-दादी (grandparents) के पास नाबालिग लड़की के रहने को गैरकानूनी नहीं कहा जा सकता है। इसलिए हमें इस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं मिली। इससे पहले कोर्ट ने ज्योति नौटियाल की याचिका स्वीकार करते हुए पुलिस को लड़की को उसके समक्ष पेश करने का निर्देश दिया था। कोर्ट कक्ष में बच्ची ने कहा कि वह अपने दादा-दादी के साथ खुश है। वे उसकी अच्छी देखभाल कर रहे हैं।
कोर्ट में पहुंची बच्ची ने पीठ के सामने यह इच्छा भी जताई कि उसकी मां भी उनके साथ आए ताकि पूरा परिवार एक साथ रह सके। वहीं, ज्योति नौटियाल ने आरोप लगाया था कि उनके पति गौरव को नशे और शराब की लत है। इससे वह अपनी नाबालिग बेटी की देखभाल करने के लिए मानसिक रूप से अयोग्य हो गए हैं। उन्होंने अपने ससुराल वालों पर बेटी के जन्म के समय असंतोष व्यक्त करने और उसे लगातार परेशान करने का आरोप लगाया।
नहीं मिलने देने की शिकायत
याचिकाकर्ता ने शिकायत की थी कि उसे अपनी बेटी से मिलने की अनुमति नहीं दी गई। यहां तक कि लड़की को फोन करने से भी मना किया गया। बच्चे के कल्याण को प्राथमिकता देते हुए कोर्ट ने 21 अक्टूबर को उत्तरकाशी के एसएचओ कोतवाली को लड़की को उसके दादा के साथ पेश करने का निर्देश दिया।
संदर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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