छाया : एआईएमए मीडिया
शिवपुरी। कभी घर की चारदीवारी में कैद रहने वाली डिंडौरी की आदिवासी लड़कियों ने न सिर्फ प्रतियोगिता में जीत हासिल की, बल्कि टीम कि दो खिलाड़ी अब नेशनल भी खेलेंगी। पिछले दिनों शिवपुरी में आयोजित 68वीं शालेय राज्य स्तरीय हैंडबॉल प्रतियोगिता में डिंडौरी आदिवासी छात्रावास की सभी खिलाड़ियों ने फाइनल में शानदार प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता में जबलपुर, इंदौर, नर्मदापुरम, उज्जैन, शहडोल, रीवा, ग्वालियर के जनजाति कार्य संभाग के खिलाड़ी सम्मिलित हुए। टीम की खिलाड़ी रिंकी परस्ते ने फायनल मुकाबले में अपनी टीम के लिए पूरे 7 गोल दागे, जिसके चलते टीम ने यह उपलब्धि हासिल की।
खास बात यह है कि डिंडोरी और आसपास के जनजातीय क्षेत्र में रहने वाली इन खिलाड़ी छात्राओं को कभी परिजन घर से बाहर भी नहीं निकलने देते थे। इतना ही नहीं, उन्हें हैंडबाल का ‘क ख ग’ भी नहीं मालूम था। अक्सर घर के अंदर रहकर ही वह अपना जीवन गुजारा करती थीं, लेकिन जब गांव के लोगों के कहने पर परिजनों ने उन्हें पढने के लिए आदिवासी छात्रावास में दाखिला दिलवाया तो यह छात्राएं वहां खेल अधिकारी रमा साहू के संपर्क में आईं। इन खिलाड़ियों के अंदर छिपी प्रतिभा को खेल अधिकारी ने न सिर्फ पहचाना, बल्कि उनके हुनर को तराशने जी तोड़ मेहनत भी की। इन खिलाड़ियों को खेल की सारी बारीकियां 2 साल से इनकी कोच रमा साहू सिखा रहीं थीं। उनकी मेहनत रंग लाई और इन आदिवासी छात्राओं ने कोच की अपेक्षाओं पर खरा उतरते हुए बेहतर प्रदर्शन कर अपनी टीम के लिए स्टेट हैंडबॉल प्रतियोगिता जीत ली। प्रतियोगिता में रिंकी परस्ते के साथ अंजलि ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया। अब यह दोनों खिलाड़ी नेशनल टीम में मप्र का प्रतिनिधित्व करेंगी।
कोच रमा साहू का कहना है कि जिन छात्राओं में दौड़ने की क्षमता होती है, जिनकी लम्बाई अच्छी है और जिन खिलाड़ी का स्टेमिना मजबूत होता है वे पूरी शक्ति के साथ बॉल फेंक सकते हैं। इन खिलाड़ियों में मैंने यह सब देखा और इन्हें अभ्यास कराया। किट के साथ अन्य तौर तरीके भी इनको सिखाए। जिसके चलते यह खिलाड़ी अब मप्र टीम का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता रखती हैं।
संदर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर/अन्य वेबसाइट
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