छाया : पत्रिका
भोपाल। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में छोटे स्तर पर व्यवसाय कर रहीं महिलाओं के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। ऐसी कई महिलाएं हैं, जो पहले खुद अपने पैरों पर खड़ी हुईं और अब दूसरों को रोजगार दे उन्हें भी आत्मनिर्भर बना रही हैं। ऐसी ही महिलाओं के जज्बे को सलाम करने और लघु उद्योगों को बढ़ावा देने भारत में प्रतिवर्ष 30 अगस्त को स्मॉल इंडस्ट्री डे मनाया जाता है। यह दिन उन लोगों को प्रेरित करने के लिए भी है, जिनमें हुनर तो है, लेकिन वे जोखिम लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। ऐसे में जब बात महिलाओं की हो तो चुनौतियाँ और अधिक बढ़ जाती हैं। भोपाल में भी ऐसी महिलाएं हैं, जिन्होंने अपनी पढ़ाई से हटकर अपना व्यवसाय शुरू किया और आज अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं।
सीमा नाफड़े - 15 साल बाद बुटीक चलाने के बाद शुरू की ऑर्गेनिक खेती
सुकृत ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर प्रा. लि. की संस्थापक सीमा नाफड़े ने शादी के बाद खुद का बुटीक खोला। इसे 15 साल चलाया और कई लोगों को सिलाई भी सिखाई। फिर उन्होंने एक हेल्थ केयर प्रोडक्ट की फ्रेंचाइजी ली। इस इसी दौरान उन्हें यह बात अच्छी तरह समझ आ गयी कि जैविक उत्पादों का उपयोग कर बीमारियों से बचा जा सकता है। बस, फिर क्या था कुछ शोध और जांच पड़ताल के बाद उन्होंने मोरिंगा का व्यवसाय शुरू किया। वे बताती हैं, मैंने नेट पर मोरिंगा के बारे में अनेक शोध पढ़े और फायदे पता किए। इसके बाद गुजरात के कंसल्टेंट की मदद से इसकी खेती सीखी और ये काम शुरू किया।
सीमा ने इसके अलावा केसर भी उगाया। वे बताती हैं आमतौर पर कश्मीर से मंगवाए केसर के बीज पहले साल में तो उग जाता है, लेकिन अगले साल नहीं उग पाता। उसे वैसा वातावरण, जमीन नहीं मिल पाती, लेकिन मैंने गोमूत्र, गोबर जैसी चीजों का उपयोग किया और इसी वजह से हम दूसरे साल भी केसर उगाने में सफल रहे। आज मेरी व्यवसाय अच्छा चल रहा है। मेरी बेटी प्रांजल कंपनी की सह-संस्थापक के रूप में इस काम में सहयोग करती है।
प्रतिभा भंडारी - फ्रेंच टीचिंग का काम छोड़ शुरू किया प्रिंटिंग का काम
प्रतिभा भंडारी ने फ्रेंच लैंग्वेज में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद चार साल फ्रेंच लिट्रेचर भी पढ़ाया, लेकिन इस काम से वे संतुष्ट नहीं थीं। जब इस काम में मन नहीं लगा तो, नौकरी छोड़ भंडारी प्रिंटर्स के नाम से प्रिंटिंग का काम शुरू किया। प्रिंटिंग के बारे में उन्हें कुछ भी जानकारी नहीं थी, लेकिन उन्होंने हर चीज खुद सीखी। ग्राफिक डिजाइनिंग से लेकर मशीनों के बारे में सीखा। टीम इकट्ठी की और इसे शुरू किया। आज इस काम को करते हुए उन्हें 25 साल हो गए हैं। एनुअल रिपोर्ट्स, कैलेंडर, डायरीज के अलावा वे पब्लिशर्स के लिए बुक और मैगजीन भी प्रिंट करती हैं। प्रिंट करती हूं। वे बताती हैं मै प्री- प्रिंटिंग, पोस्ट प्रिंटिंग सब करती हूं। प्रतिभा कहती हैं कोई भी चीज रातों-रात चलने नहीं लगती। हर चीज में वक्त लगता है। साथ ही दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं है, जिसमें समस्या न आए। समस्या तो आएगी, लेकिन ये भी सच है कि एक दरवाजा बंद होगा तो दूसरा खुलेगा। दरवाजा नहीं तो खिड़की खुलेगी, बस आपको हार नहीं मानना है।
शिवानी झरिया - सफलता के लिए खुद को करें प्रोत्साहित
पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर शिवानी झरिया को ग्रीन एनर्जी में 13 साल का अनुभव है। वे हेलियोस्वेंटो पॉवर इंफ्रा (ओपीसी) प्रा. लि. की संस्थापक हैं। उन्होंने स्टार्टअप शुरू करने से पहले नौकरी और फिर फ्रीलांस काम किया। अपनी बचत से साल 2018 में उन्होंने स्टार्टअप शुरू किया। वे बताती हैं, मैं जिस पीजी में रहती थी, मैंने वहीं स्टार्टअप शुरू किया। इसमें मैं और मेरा सहकर्मी बस हम दो लोग थे। हम ग्रीन एनर्जी के जितने भी रिसोर्स हैं, उनकी कंसल्टेंसी पर काम करते हैं। काम शुरू कर दिया और रात- दिन मेहनत कर मुकाम बनाया। 2020 में सरकार की योजना में लोन लेकर ऑफिस लिया। वे कहती हैं, सफलता धैर्य के साथ आती है, इसलिए हारकर फिर उठने को तैयार रहें। आपको खुद को प्रोत्साहित करना होगा। शिवानी कहती हैं कि मेरे पास इतना पैसा नहीं था कि सीए रखूं, तो खुद ही फाइनेंस भी सीखा।
संदर्भ स्रोत : पत्रिका
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *